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(इस कहानी के सभी पात्रों के विषय में यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि सभी पात्र काल्पनिक हैं और इन सभी पात्रों के आपसी रिश्ते एक दुर्घटना के कारण, संयोगवश बने हैं, न कि वास्तविक हैं। कहानी में मुख्य पात्रों में आपस में कोई रक्त सम्बन्ध नहीं है। इसके विषय में कहानी के प्रथम भाग में विस्तृत रूप से लिखा गया है।)
पिछले भाग में आपने पढ़ा कि कैसे मेरी मम्मी ने मुझे मेरी बहन को चोदते हुए पकड़ा, उसके बाद उनके पूछने पर मैंने उन्हें बताना शुरु किया कि इस चुदाई की शुरुआत कैसे हुई थी ।
अब आगे:
सोनिया बोली- मेरे भाई, तुम्हारा लंड सच में बहुत ही मजेदार है और मुझे चूसने में बहुत अच्छा लग रहा है। तुम्हारे इस खड़े लंड को देखने और चूसने से मेरी पैंटी गीली महसूस हो रही है ।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और लग रहा था कि मेरा फिर दुबारा से निकल जाएगा। इसलिए मैंने सोनिया के बालों को पकड़ कर उसके मुँह को अपने लंड पर से हटा कर ऊपर उठा दिया और उसके होंठों पर को चूम लिया। बहन ने भी बहुत प्यार से मेरे होंठों को अपने होंठों के बीच दबा लिया और अपनी जीभ को मेरे मुँह में डाल दिया। हम दोनों करीब पाँच सात मिनट तक दूसरे के होंठों को चूसते रहे ।
कुछ देर बाद सोनू ने अपना चेहरा मेरे से अलग किया और बोली- ओह भाई यह बहुत ही रोमांचक है कि हम दोनों को इस तरह का मौका मिला, तुम और मैं अपनी चुदाई की आग को शांत करने के लिए दोनों जल्दी से चुदाई का खेल शुरू करते हैं । यह कह कर बहन बेड पर पीठ के बल लेट गई, उसके नाइट-गाउन के सारे बटन तो पहले से खुले हुए थे। अब उसने अपनी ब्रा भी उतार दी। उसकी गोल-गोल भरी हुईं चूचियों को मैंने अपने हाथों में ले लिया और एक मुसम्मी को मुँह में भर कर दूसरी मुसम्मी को ज़ोर से दबाते हुए चूसने लगा ।
बहन के मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं, मैं धीरे-धीरे नीचे की ओर सरकता गया और मैंने अपने चेहरे को उसकी मोटी जाँघों के बीच छुपा दिया। उसकी झीनी पैंटी के ऊपर से मैंने उसकी चूत को अपने मुँह में क़ैद कर लिया । मुझे ऐसा लगा जैसे उसकी चूत के ऊपर बाल उगे हुए हैं। मैंने जल्दी से उसकी पैंटी को खींचा सोनू ने भी अपने चूतड़ उठा कर इस काम में मेरी मदद की और मेरे सामने मेरी प्यारी सोनू बहन की खूबसूरत हल्के सुनहरे झाँटों वाली गुलाबी बुर नुमाया हो गई ।
मेरे अंदर जज़्बात का एक तूफान उमड़ पड़ा और मैं अपने आपको इतनी खूबसूरत और प्यारी बुर से अब अलग नहीं रख सकता था। अपनी इस उत्तेजित अवस्था में मुझे अपने चेहरे को उसकी बुर में गाड़ देने में कोई हर्ज़ नज़र नहीं आ रहा था । मैंने ऐसा ही किया और उसकी बुर को चाटने लगा और उनकी फाँकों को अपने जीभ से सहलाने लगा ।
बहन ने भी अपने दोनों हाथों को मेरे सिर पर रख दिया और मेरे बालों में हाथ फेरते हुए मेरे चेहरे को अपनी चूत पर दबा दिया और अपनी कमर को उठाते हुए अपनी बुर को मेरे चेहरे पर रगड़ने लगी । उसकी बुर बहुत पानी छोड़ रही थी और मुझे उसकी बुर के रस का नमकीन पानी बहुत स्वादिष्ट लग रहा था ।
सोनू के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी थीं और वो अपने दोनों हाथों से अपनी दोनों मुसम्मियों को खूब भींच-भींच कर मसल रही थी । मैं इस समय बहुत ही उत्तेजित अवस्था में था, मैंने अपनी जीभ को उसकी बुर में पेल दिया और जीभ को बुर की पुत्तियों रगड़ते हुए अंदर घुमाने लगा। सोनिया उत्तेजना के मारे अपनी पिछाड़ी हवा में उछाल रही थी ।
मेरे लिए उसके ऊपर काबू करना मुश्किल हो रहा था इसलिए मैंने अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ों को पकड़ लिया जिससे कि वो ज्यादा उछल नहीं पाए और तब मैं उसके बुर की टीट (क्लिट) को अपने होंठों के बीच दबा कर चूसने लगा । “जानू मेरे, ओह अब चढ़ जाओ मेरे ऊपर, उफ्फ़…सस्स्स्सीईईई… अब मेरे लिए… ओह, सनम, मेरे प्यारे भाई जल्दी करो, अब मुझ से ये खुजली बर्दाश्त नहीं हो रही है, और अब मेरी बुर को चूसना छोड़ दे मेरे भाई तुम्हें मेरी चूत का रस पीने और भी मौके मिलेंगे, आज हमारा पहला मिलन होने वाला हैं, देर मत करो ब्रदर, अपने मोटे फनफनाते हुए लौड़े को जल्दी से मेरी चूत में पेल दो ।
मैं भी अब उसको चोदने की ज़रूरत महसूस कर रहा था और मैंने जल्दी से अपने चेहरे को उसकी जाँघों के बीच से हटा कर अपने आप को उसकी जाँघों के बीच ले आया एक हाथ से अपने खड़े लंड को पकड़ कर उसकी बुर के गुलाबी छेद पर लगा दिया और एक जोरदार झटका दिया ।
मेरा लंड दनदनाता हुआ सीधा उसकी बुर में घुसता चला गया। सोनू के मुँह से एक चीख निकल गई। शायद मेरे इतनी तेज़ी के साथ लंड घुसने के कारण उसे दर्द हो गया था मगर उसने अपने आप को संभाल लिया और मुझे कस कर अपनी बाँहो में चिपटा लिया ।
ये सही है कि मैंने अपने दोस्तों से चुदाई संबंधी बहुत सारी बातें की हुई थीं और मैंने कुछ किताबें और फोटो एल्बम भी देख रखे थे लेकिन मम्मी, तुम्हारी और पापा की चुदाई को देखने के बाद मैं एकदम से पागल हो गया था ।
“मेरे अंदर वासना का तूफान खड़ा हो गया था। मैं बहन की सिसकारियों और चीखों की तरफ बिना कोई ध्यान दिए बहुत जोरदार धक्के लगा रहा था। कुछ देर बाद ही मेरे जानदार धक्कों का जवाब सोनिया भी अपनी पिछाड़ी उछाल-उछाल कर देने लगी थी ।
अब उसे मज़ा आने लगा था। उसकी बुर एकदम गीली हो चुकी थी और मेरा लंड सटासट अंदर-बाहर हो रहा था, उसकी गोल कठोर चूचियाँ मेरे हाथों में आसानी से फिट हो गई थीं और उनको दबाते और सहलाते हुए मैं अपने लौड़े को बहन की चूत में पेल रहा था ।
मैं उसके रसीले होंठों को चूस रहा था और छोड़ रहा था। बहन अपनी सिसकारियों और किलकरियों के द्वारा मेरा उत्साह बढ़ाते हुए अपने नितम्ब उछाल-उछाल कर दम से चुदवा रही थी । हम दोनों की साँसें धौकनी की तरह चलने लगी और तभी बहन ने मुझे कस कर अपने से चिपटा लिया और अपनी बुर से मेरे लौड़े को कस लिया ।
मेरे लंड से भी वीर्य का एक तेज फ़व्वारा बहन की चूत के अंदर निकल पड़ा। हम दोनों कुछ देर तक ऐसे ही पड़े रहे फिर थोड़ी देर बाद हम एक-दूसरे से अलग हुए और बाथरूम में जाकर अपने अंगों को साफ किया ।
फिर हम दोनों बेड पर बैठ गए, बहना ने मेरे होंठों का एक चुम्बन लिया मुझे उसकी चुदाई करने के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि वो बहुत दिनों से किसी के साथ चुदाई करवाना चाहती थी मगर मौका नहीं मिलने के कारण अपनी सहेलियों के साथ बैंगन का इस्तेमाल करती रही थी, जिससे उसकी झिल्ली फट चुकी थी ।
“मैंने उस से कहा कि आज के बाद उसे बैंगन के इस्तेमाल की ज़रूरत नहीं महसूस होगी। यह हमारी पहली चुदाई थी। इसके बाद हम लगभग रोज चुदाई करते थे और कई-कई बार करते थे । इतना कह कर मैं चुप हो गया। मम्मी बड़े गौर से मेरी कहानी सुन रही थीं। कहानी सुनते सुनते उसके चेहरे का रंग भी लाल हो गया था, मुझे ऐसा लग रहा था कि मम्मी को यह कहानी सुनने में बहुत मज़ा आया था। वो अपने एक हाथ को अपने जाँघों के बीच रखे हुए थीं और वहाँ बार-बार दबा रही थीं ।
अपनी जाँघों को भींचते हुए मुझसे सिगरेट ली और एक बड़ा सुट्टा मार कर बोलीं- सच कह रहे हो तुम? मुझे लगता है मैं ही इन सबका कारण हूँ। तुम्हारी कहानी सुन कर मैं बहुत गरम और उत्तेजित हो गई हूँ । इतना कहते हुए वो बेड की पुष्ट पर पीठ टिका कर अधलेटी सी हो गईं। मेरा हाथ पकड़ कर अपने हाथों में ले लिया और अपने दिल पर रख दिया, मेरे पूरे बदन में सिहरन दौर गई। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ।
“बेटे तुमने मुझे बहुत गर्म कर दिया है, तुम और तुम्हारी बहन दोपहर में बहुत जबरदस्त तरीके से चुदाई कर रहे थे। जैसा कि मैं समझती हूँ और सामाजिक परंपराओं के अनुसार यह पाप है, मगर मेरा दिल जो कि मेरे दिमाग़ से अलग सोच रहा है और कह रहा है कि यह बहुत ही प्यार भरा पाप है। क्या तुम एक और पाप करना चाहोगे? क्या तुम अपनी मम्मी के साथ भी यही पाप करना चाहोगे ?
“मम्मी, तुम क्या कह रही हो, क्या तुम सच में ऐसा कुछ सोच रही हो ? माय डियर सन, क्या तुम्हें अब भी कुछ शक़ हो रहा है? माय डार्लिंग, ज़रा अपनी मम्मी के इन दुद्दुओं को दबाओ और मसलो।” मॉम, ये मेरे लिए एक पाप ही है। मुझे समझ नहीं आ रहा मैं आपको क्या जवाब दूँ और कैसे ये सब करूँ, मम्मी मुझे आपके साथ ये सब करने में बहुत झिझक हो रही है। क्या आ आप…?”
‘मॉम, ये मेरे लिए एक पाप ही है। मुझे समझ नहीं आ रहा मैं आपको क्या जवाब दूँ और कैसे ये सब करूँ, मम्मी मुझे आपके साथ ये सब करने में बहुत झिझक हो रही है। क्या आ आप… ?’ ‘साले हरामी बहनचोद, तुम्हें अपनी फूल सी बहन को चोदने में कोई झिझक नहीं आई और तुमने बेशर्मी से मुझे सारी कहानी भी सुना दी, और अब तुम शर्माने का नाटक कर रहे हो, मेरे बेटे क्या मैं तुम्हें सुंदर नहीं लगती ?
नहीं मम्मी तुम ऐसा कभी नहीं सोचना, तुम बहुत सुंदर हो और तुम्हें देख कर मुझे हमेशा जूही चावला याद आ जाती है। कोई भी मेरी उमर का लड़का तुम्हें प्यार करना चाहेगा। मैं हमेशा से सोचता रहता था कि मेरी मम्मी और बहन से अधिक खूबसूरत कोई भी नहीं है। बहन के साथ प्यार करने के बाद मेरे मन में कई बार यह इच्छा उठी कि मैं तुमसे भी प्यार करूँ, पर आज अचानक…’
मम्मी को खुद की तुलना जूही चावला से करने पर वे बहुत खुश हो गईं और इठलाने लगीं । ‘तुमने जब अपनी बहन को चोदने का पाप कर लिया है तो फिर इस पाप के लिए भी अपने आप को तैयार कर लो… मुझे अपना प्यारा हथियार दिखाओ जिससे तुम दोपहर में अपनी बहन चोद रहे थे ।
‘ओह, माय डार्लिंग मम्मी, मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझे अपने ही घर में ऐसा आनन्द मिलने वाला है!’ कहते हुए मैंने मम्मी की चूचियों को दोनों मुट्ठियों में भर कर कस कर दबाया और अपने आप को उनके ऊपर झुका कर उनके होंठों पर एक जोरदार चुम्बन लिया ।
मम्मी की चूचियाँ मेरी बहन की चूचियों की अपेक्षा ज्यादा बड़ी थीं। जहाँ सोनू की चूचियाँ मेरे हाथों में पूरी तरह से फिट हो जाती थीं, वहीं मम्मी की स्तन थोड़े भारी और बड़े थे । मम्मी के पतले गुलाबी होंठों को चूसते हुए मैंने अपनी जीभ उनके मुँह में घुसा दी और उनकी चूचियों को कस कर दबाने लगा। मम्मी ने भी मुझे अपने से चिपका लिया और मुझे अपने ऊपर खींच कर मेरे चूतड़ों को दबाने लगी ।
चूचियों को दबाना छोड़ कर उनके ब्लाउज के हुक खोल दिए, मम्मी ने ब्रा नहीं पहनी थी, उनकी नंगी गुदाज चूचियों को मैं अपने हाथों से दबाते हुए उनके होंठों से अपने होंठों को अलग किया । मम्मी भी थोड़ा उठ कर बैठ गई अपने ब्लाउज को पूरी तरह से उतार दिया, उनकी चूचियाँ सोनिया की चूचियों से बड़ी थीं मगर उनमें ज़रा सा भी ढलकाव नज़र नहीं आ रहा था। बहुत ही खूबसूरत उरोज थे मम्मी के ।
तभी मम्मी ने मेरे सिर को अपने हाथों से पकड़ कर मेरे मुँह को अपनी चूचियों पर दबा दिया। मैंने चूचियों को अपने मुँह में भर लिया और निप्पलों को मुँह में भरते हुए ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा। एक चूची को चूसते हुए दूसरी चूची को कस कस कर दबाने लगा । मम्मी अब बहुत उत्तेजित हो चुकी थीं और सिसकारते हुए बोलीं- ओह माय लवली सन, ऐसे ही चूसो अपनी मम्मी की चूचियों को, उफ़फ्फ़… तुम बहुत मजा दे रहे हो अपनी मम्मी को ।
मैं पूरे जोश के साथ के दोनों चूचियों को बारी-बारी से चूसता रहा। ऐसा लग रहा था जैसे मैं उनका दूध पीने की कोशिश कर रहा हूँ । ‘ओह बेटे, तुम तो कमाल की चूचियाँ चूसते हो, इसी तरह से मेरे निप्पलों को चूसो प्यारे। तुम्हारे डैडी ने भी कभी इस तरह से नहीं चूसा। मुझे लगता है कि तुमने अपनी बहन की चूचियों का रस पी-पी कर काफ़ी प्रैक्टिस कर ली है ।
‘मम्मी, तुम्हारे चुच्चे ज्यादा रसीले हैं। सोनू की चूचियाँ तुमसे छोटी हैं। इसलिए तुम्हारे आमों को चूसने में मुझे बहुत मजा आ रहा है। तुम्हारे निप्पल भी काफ़ी नुकीले और रसीले हैं। डैडी सच में बहुत लकी हैं । ‘तुम भी कम लकी नहीं हो, मैं तुम्हारी सगी मम्मी नहीं हूँ तो तुमने इनसे दूध तो नहीं पिया है पर इनका रस पीते हुए मजा कर रहे हो और अपना लंड खड़ा कर रहे हो ।
मैंने दोनों चूचियों को चूसते-चूसते लाल कर दिया था। मम्मी के दोनों स्तन मेरे थूक से पूरी तरह से गीले हो गए थे, तभी मेरे होंठ फिसल के उनके हाथ और कंधे के जोड़ तक जा पहुँचे और मेरे नकुओं में उनकी कांख से निकलती हुई मादक खुश्बू भर गई । मैंने मम्मी के हाथ को पकड़ कर अलग किया और अपने चेहरे को उनकी कांख में घुसेड़ दिया ।
उनको हल्की सी गुदगुदी का अहसास हुआ तो वो हँस पड़ी और बोलीं ‘ईईई सस्स्स्ससी सी ये क्या कर रहे हो बेटे, उफ्फ़, क्या तुम अपनी बहन की काँखों को भी चाटते हो, साले शैतान?’ मैं उनकी काँखों की मदमाती खुश्बू से एकदम मदहोश हो चुका था और, फिर मैंने उनकी दूसरी कांख को भी चाटा और नीचे की तरफ बढ़ता चला गया। उनकी नाभि को और पेट खूब अच्छी तरह से चाटा, नाभि के गोलाकार छेद में अपनी जीभ को डाल कर घूमते हुए मैंने उनके पेटीकोट के ऊपर से ही हाथ फिराना शुरू कर दिया और अपने हाथों को उनकी जाँघों के बीच ले जा कर उनकी चूत के उभार को अपनी हाथों में भर कर मसलने लगा ।
उनकी चूत एकदम गीली हो गई थी इसका अहसास मुझे पेटीकोट के ऊपर से भी हो रहा था। मैंने हाथ बढ़ा कर उनकी पेटीकोट ऊपर उठा दिया और उनकी जाँघों को फैला कर उनके बीच आ गया। मम्मी की जाँघें मोटी केले के तने जैसी, मांसल और गोरी थीं। उनकी गोरी मांसल जाँघों के बीच हल्की झांटें थीं और झांटों के झुरमुट के बीच उनकी गोरी चूत चाँद के जैसे झाँक रही। उनकी चूत के गुलाबी होंठ गीले थे और ट्यूब लाइट की रोशनी में चमक रहे थे ।
उनकी गोरी जाँघों में मुँह मारने की मेरी हार्दिक इच्छा हुई और मैंने अपनी इस इच्छा को पूरा कर लिया। उनकी जाँघों को हल्के से दाँत से काटते हुए मैं जीभ से चाटने लगा। चाटते चाटते मैं उनकी रानों के पास पहुँच गया और उनके जाँघों के ज़ोर को चाटने लगा । तभी मेरी नाक में उनकी पानी छोड़ती हुई चूत से आती खुश्बू का अहसास हुआ और मैंने अपना मुँह उनकी चूत की मखमली झांटों पर रख दिया। यह हिंदी चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मम्मी ने भी अपने पैरों को फैला दिया और मेरे सिर के बालों पर हाथ फेरते हुए मेरे चेहरे को अपनी चूत पर दबाया। मैंने भी जीभ निकाल कर उनकी चूत को ऊपर से नीचे एक बार चाटा, फिर चूत के गुलाबी होंठों को अपने हाथों से फैला दिया । मम्मी की चूत अपने ही रस से एकदम गीली थी और चूत की भग्न जो मूंगफ़ली की गिरी जैसी लाल दिख रही थीं, मैंने अपनी जीभ को उस क्लिट के ऊपर हल्के से फेरा तो मम्मी का पूरा बदन कंपकंपा गया ।
उनकी जाँघें काँपने लगी और वो सिसकारते हुए बोली- ओह बेटे, क्या कर रहे हो? आआआः हह बेटे बहुत अच्छा कर रहे हो.. ओह सही जा रहे हो… ऐसे ही अपनी जीभ मेरी चूत पर फिराते रहो और चूसो मेरी चूत को … मैंने चूत के होंठों को अपने होंठों से मिला दिया और चूत के दाने को अपने होंठों में दबा कर थोड़ी देर तक चूसा, फिर उनके पनियाई हुई चूत के छेद में अपनी जीभ को नुकीला करके पेल दिया और तेज़ी के साथ अपनी जीभ को नचाने लगा ।
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