The Adult King

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अभी अमित और अन्नू दोनों के एग्जाम ख़त्म हो चुके थे और अन्नू अपनी छुट्टियों को काटने के लिए अपनी नानी के पास यानि मेरे मायके चली गई थी ।
अमित ने बारहवीं पास कर लिया था और अब वो दिन भर घर पर ही रहता था । मेरे पति अभिषेक रोज की तरह सुबह ऑफिस चले जाते थे और फिर रात को ही वापस आते थे । अभिषेक के जाते ही मैं अमित के पास उसे जगाने के लिए जाती थी और फिर हम दोनों एक-दूसरे के साथ जी भर के चुदाई किया करते थे और फिर पूरा दिन हम दोनों नंगे ही घर के काम किया करते थे ।
जब भी अमित मुझे नंगा देख लेता था तो आकर मेरे जिस्म से खेलने लगता था और मन होते ही हम दोनों फिर से शुरू हो जाते थे । एक दिन ऐसे ही अभिषेक के जाने के बाद में घर के कामों में लग गई और रसोई की सफाई कर रही थी। तभी अमित पीछे से आकर मुझसे लिपट गया और अपना लण्ड मेरी गाण्ड में रगड़ने लगा और मेरे मम्मों को जोरों से मसलने लगा ।
मेरे मुख से सीत्कार निकलने लगी । ड़े-खड़े ही अमित ने अपने एक हाथ को मेरे मम्मों पर ही रहने दिया और दूसरे हाथ से मेरे गाउन को उतार दिया। मैंने अन्दर कुछ नहीं पहना हुआ था तो मैं उसके सामने बिल्कुल नंगी हो गई । फिर अमित मुझसे बोला- मम्मी और दिन में तो आप पैंटी भी पहने रहती थी.. पर आज आपने अन्दर कुछ नहीं पहना.. क्यूँ ?
मैं मुस्कुरा कर बोली- तेरे पापा ने कल रात को मुझे पैंटी पहनने का मौका नहीं दिया ।
अमित बोला- मम्मी क्या पापा अभी तक आपको चोदते हैं ?
तो मैंने बोला- क्यों नहीं चोदेंगे.. आखिर पत्नी हूँ मैं उनकी… उनका तो चोदने का मुझ पर सबसे पहला हक़ बनता है ।
फिर अमित ने अपना लण्ड बाहर निकाला और मेरे हाथों में पकड़ा दिया और फिर मेरे होंठों को चूमने लगा। मैं अपने हाथों से उसके लण्ड को सहलाने लगी.. जो कि पूरी तरह से खड़ा था । अब उसके लण्ड की खाल एकदम ठीक हो चुकी थी और उसके लण्ड का सुपाड़ा पूरी तरह बाहर भी आ चुका था ।
अमित नीचे बैठ गया और फिर मेरी चूत पर मुँह लगा कर उसे जोरों से चाटने और चूसने लगा। अमित की नुकीली जीभ को मेरी चूत के अन्दर जाते ही मैं सिहर उठी और मैं वहीं खड़ी हो कर जोरों से कांप रही थी ।
अमित उठा और उसने अपना लण्ड मेरी चूत पर लगाया और एक ही झटके के साथ उसने अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में उतार दिया। मैं वहीं खड़ी हुई और थोड़ा ऊपर को उछल गई.. पर अमित ने मुझे मजबूती से पकड़ रखा था । उसके करारे धक्के मेरी चूत को तेजी से चोदे जा रहे थे । मैं भी उसके हर धक्कों का जवाब अपनी सीत्कारों के साथ दे रही थी.. जो कि अमित का जोश बढ़ा रही थीं ।
थोड़ी देर बाद मैं झड़ने लगी और ‘आहहह.. रोहहहन.. मैं गईई ऊऊहह..’ चिल्लाते हुए झड़ने लगी पर अमित अभी तक मैदान में था । मेरी चूत से निकले हुए पानी के कारण उसका लण्ड गीला हो चुका था और अब रसोई में ‘फच फच’ की आवाज़ गूँज रही थी । अमित ने अब अपने धक्कों को बढ़ा दिया और तेजी के साथ अपने लण्ड को मेरी चूत के अन्दर-बाहर धकेल रहा था ।
थोड़ी देर बाद वो मुझसे बोला- मम्मी मैं झड़ने वाला हूँ.. अपना वीर्य कहाँ निकालूँ । तो मैंने उससे बोला- अन्दर मत झड़ना बस ।
फिर उसने अपना लण्ड बाहर निकाला और मुझसे जमीन पर बैठने के लिए बोला और फिर अपने लण्ड को मेरे मुँह की तरफ लाकर अपने हाथों से हिलाने लगा तो मैं उसके लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और फिर वो झड़ने लगा । लगातार चार या पांच पिचकारियों में वो मेरे मुँह में ही स्खलित हो गया और मैं उसके गाढ़े और मीठे वीर्य को अन्दर तक निगल गई ।
इतनी देर चुदाई के बाद हम दोनों थक चुके थे, मैं और अमित दोनों उठे और हम दोनों बेडरूम में आकर नँगे ही लेट गए । वो अभी भी मेरे मम्मों से खेल रहा था.. कभी उन पर चुम्मी देता.. कभी मेरे निप्पल्स दबा देता.. तो कभी उन्हें मसलने लगता ।
फिर अमित मुझसे बोला- मम्मी एक बात पूछूँ ?
मैंने बोला- हाँ पूछो ।
तो अमित बोला- मुझे आपकी और पापा की चुदाई देखनी है ।
मैंने उससे बोला- पागल हो गया है क्या तू.. अगर तेरे पापा ने तुझे देख लिया तो फिर तू ही समझ लेना कि तेरा क्या होगा ! मेरी इस बात पर अमित बोला- वो सब मैं देख लूँगा.. बस आप मुझे किसी भी तरह रात को कमरे के अन्दर घुसा लेना । मैंने उसे साफ मना कर दिया कि मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगी.. पर अमित जिद पर अड़ गया और फिर मैंने उसे ‘हाँ’ बोल दिया ।
उसके बाद हम दोनों उठे और अपने काम करने में लग गए। थोड़ी देर बाद नहा-धो कर हम लोगों ने खाना खाया और फिर हम दोनों ने एक बार और चुदाई की और फिर वैसे ही सो गए । रात को अभिषेक घर आए तो हम सबने मिलकर खाना खाया और फिर अभिषेक और अमित दोनों टीवी देखने लगे । साढ़े दस बज चुके थे तो मैं हॉल में गई और सभी को सोने के लिए बोला ।
अमित उठकर अपने कमरे में जाने लगा तो मैंने उसे चुपके से अपने बेडरूम में बुला लिया और फिर उसे वहीं अलमारी.. जो दीवार में ही बनी हुई थी और छत से लगी हुई थी.. उस पर बिठा दिया । वो अलमारी एक बड़े परदे से ढकी हुई थी। जिससे अमित उसके साइड से बड़ी ही आसानी से पूरे कमरे के अन्दर का माहौल देख सकता था ।
मैंने उसे बोला- जब तक मैं इशारा न कर दूँ.. तब तक वहीं रहना । थोड़ी देर बाद अभिषेक कमरे में आए, उन्होंने आते ही गेट बंद कर दिए और बिस्तर पर जाकर लेट गए । मैं भी उठकर उनके बगल में लेट गई । मैंने तिरछी नज़रों से ऊपर अलमारी की तरफ देखा.. तो अमित वहीं बैठा हुआ था, उस पर किसी की नज़र नहीं जा सकती थी ।
फिर मैं अभिषेक के साथ उनसे लिपटकर बातें करने लगी और उनके गालों पर किस करने लगी । वो भी मुझे अपनी बाहों में लिए हुए मुझे चूम रहे थे । अब अभिषेक उठे और उन्होंने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए। सबसे पहले उन्होंने मेरा गाउन उतार दिया और फिर मेरी पैंटी भी उतार दी। मैं अब बिल्कुल नंगी बिस्तर पर लेटी हुई थी ।
अभिषेक भी सिर्फ अपनी चड्डी में थे और उनका लण्ड खड़ा हुआ था । अभिषेक उठकर मेरे पास आए और मुझसे बोले- कन्डोम लगाऊँ या फिर ऐसे ही करूँ । मैंने उनसे कन्डोम लगाने का बोल दिया । मैं नंगी ही बिस्तर से उठी और अलमारी की तरफ जाने लगी, मेरी गदराई हुई गोल गाण्ड मेरे हर कदम पर ऊपर-नीचे हो रही थी.. जो अभिषेक और शायद अमित दोनों को ही काफी उत्तेजित कर रही थी ।
मैंने अलमारी से कन्डोम निकाला और वापस बिस्तर पर आ गई। फिर मैंने अभिषेक के लण्ड को पकड़ा और कन्डोम को उनके लण्ड पर चढ़ा दिया । अब अभिषेक उठे और उन्होंने मुझे अपने नीचे लेटा लिया । उन्होंने मेरी दोनों टाँगों को अपने कंधे पर रख लिया और फिर अपने लण्ड को मेरी चूत के छेद पर लगाकर उसमें अपने लण्ड को डालना शुरू कर दिया ।
तीन-चार धक्कों में अभिषेक का पूरा लण्ड मेरी चूत के अन्दर जा चुका था। अभिषेक का लण्ड भी बहुत मोटा और लम्बा था.. पर उनकी एक बात मुझे बहुत अच्छी लगती थी कि उनकी चोदने की शक्ति बहुत प्रबल थी । उन्हें चूत चाटना बिल्कुल भी पसंद नहीं था और वो अपना लण्ड भी बहुत ही कम बार मुझसे चुसवाते थे ।
अभिषेक का पूरा लण्ड अब मेरी चूत के अन्दर था और अब वो लगातार झटकों से मेरी चूत चोद रहे थे । उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरे मम्मों को जकड़ लिया और उन्हें दबाना शुरू कर दिया । मेरे कसे हुए मम्मों की बनावट ऐसी है कि उन्हें देखकर कोई भी उन्हें दबाने के लिए तैयार हो जाए। शायद यही वजह है कि चुदाई के वक्त उन पर कुछ ज्यादा ही जुल्म होता था और शायद इसी वजह से वो ज्यादा आकर्षित दिखने लगे थे ।
अभिषेक लगातार मेरे मम्मों को दबा रहे थे और अपने धक्कों से मेरी चूत को बेहाल कर रहे थे । मेरे मुँह से सीत्कारों का तो जैसे पिटारा ही खुल गया था, मेरी सिसकारियाँ उनको बहुत ही उत्तेजित कर रही थीं | मेरी इस तरह की आवाजें पूरे कमरे में गूंजने लगीं । मैं अपनी चुदाई में इतनी मशगूल थी कि मुझे अमित के होने का आभास तक नहीं था ।
अभिषेक के तेज धक्कों की वजह से मेरा बदन अकड़ने लगा और मैं ना चाहते हुए भी झड़ने लगी। झड़ते समय मेरे दोनों हाथ अभिषेक के हाथों को जकड़े हुए थे.. जिससे अभिषेक मेरे मम्मों को दबा रहे थे और मैं चिल्लाते हुए झड़ने लगी । मेरे झड़ने के बाद अभिषेक ने अपना लण्ड बाहर निकाला और मुझे घोड़ी बनने का बोला । मैं घुटनों के बल बैठकर घोड़ी बन गई, मेरी गाण्ड अभिषेक की तरफ थी ।
अभिषेक ने पहले तो मेरी गदराई गाण्ड को अपने हाथों से सहलाया और फिर अपने लण्ड को मेरी चूत पर रखकर धक्के देना शुरू कर दिए । अभिषेक के धक्के लगातार बढ़ते ही जा रहे थे और वो और तेजी से मुझे चोद रहे थे। मैं भी अब उनके हर धक्कों पर अपनी गाण्ड को पीछे कर रही थी.. जिससे उनका पूरा लण्ड मेरी चूत में उतर जाता था ।
थोड़ी देर इसी तरह चोदने से उनका भी स्खलन होने लगा और वो झड़ने लगे। झड़ते समय उन्होंने अपने झटकों की गति को और तेज कर दिया और फिर मैं भी उनके साथ साथ झड़ने लगी । झड़ने के बाद अभिषेक वैसे ही मेरे ऊपर लेट गए और मुझसे बोले- सोना.. हमारी शादी को इतने साल हो गए.. पर तुम आज भी पहले से ज्यादा खूबसूरत और सेक्सी लगने लगी हो । उनकी इस बात पर हम दोनों खूब हँसे और फिर वो मेरे मम्मों को छेड़ने लगे । कुछ पलों के बाद अभिषेक उठकर बाथरूम जाने लगे । उनके जाते ही मैं नंगी ही बिस्तर से उठी और मैंने अमित को बाहर आने का बोला । अमित के बाहर आते ही मैंने उसे उसके रूम में जाने को कहा । चार-पांच मिनट बाद अभिषेक कमरे में आए और हम लोग वैसे ही सो गए ।
सुबह रोज की तरह मैं उठी.. उठते ही मैंने अपना गाउन पहना और फिर अभिषेक का लंच तैयार करके उन्हें ऑफिस भेजा । उसके बाद मैं अमित के कमरे में गई और उसे जगाया । उसके बगल में मेरी काली पैंटी पड़ी हुई थी। मैंने उसे उठाकर देखा तो वो बिल्कुल गीली थी और उसमें से वीर्य की खुश्बू आ रही थी ।
मैंने अमित को उठाकर पूछा- तूने इसमें कितनी बार मुठ मारी.. जो ये अभी तक गीली है ?
अमित बोला- मम्मी कल रात से मैं आपको याद कर करके चार बार मुठ मार चुका हूँ। जब पापा आपको चोद रहे थे उसी टाइम मैंने दो बार आपकी पैंटी में मुठ मारी और फिर कमरे में आकर भी लौड़ा हिलाया। मेरा बहुत मन कर रहा था आपको चोदने का.. इसलिए फिर से मुझे मुठ मारकर ही काम चलाना पड़ा । मैं हँस दी ।
फिर अमित बोला- थैंक्स मम्मा.. आप मेरी हर बात मानती हो.. कल आप ही की वजह से मैं ऐसा नज़ारा देख पाया हूँ। मम्मा.. जब पापा आपको चोद रहे थे.. उस समय आप गजब की सेक्सी लग रही थी और आपकी सिसकारियाँ मुझे भी आपको चोदने के लिए मजबूर कर रही थीं.. पर मैं आपको नहीं चोद पाया ।
तो मैं हँसते हुए बोली- कोई बात नहीं मेरे राजा बेटा.. आज तू और मैं मिलकर कल रात की सारी कसर को पूरा कर लेंगे । मेरे इतना बोलते ही उसने मुझे अपनी तरफ खींच लिया और फिर हम दोनों ने एक-दूसरे के कपड़े उतार दिए और फिर अमित ने उस दिन लगातार तीन बार मुझे चोदा ।




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