Previous Part : Dost ki Maa aur Behan ko Chodne ki Icha - 6
जिस पर माया के चेहरे की ख़ुशी दुगनी हो गई और आँखों में एक अजीब सी चमक साफ़ दिखने लगी । शायद वो अपने तन-मन से मुझे बहुत चाहने लगी थी.. उसने भी अपना एक हाथ मेरी जांघ पर रख दिया और बोली- राहुल सच में.. तुम भी मुझसे प्यार तो करते हो न.. मैंने भी ‘हाँ’ में जवाब दिया.. तो बोली- राहुल मैं तुम्हें वो सारी खुशियाँ दूँगी जिसके तुम हकदार हो.. तुम जैसा चाहोगे मैं वैसा ही करुँगी.. पर मेरे लिए अपने दिल में हमेशा यूँ ही जगह बनाए रखना.. वरना मेरा क्या होगा । यह कहते हुए वो अपने हाथों को मेरी जाँघों में फिराने लगी । जिससे मेरा जोश बढ़ने लगा.. मुझे उसका इस तरह से छूना बहुत ही आनन्ददायक लग रहा था ।
मैं भी उसके स्पर्श का मज़ा लेते हुए उससे रोमांटिक बातें करने लगा और घर जाने के लिए मैंने लम्बा वाला रास्ता पकड़ लिया ताकि इस रोमांटिक समय को और ज्यादा देर तक एन्जॉय किया जा सके । मेरे लम्बे रास्ते की ओर गाड़ी घुमाते ही माया मुस्कुराकर मुझसे बोली- क्या बात है.. तुमने लम्बा रास्ता क्यों पकड़ लिया ? तो मैंने उसे बताया- तुम्हारे साथ इस पल को और लम्बा बनाना चाहता था.. बस इसीलिए । फिर माया मेरी ओर थोड़ा खिसक आई और मेरे लौड़े को जींस के ऊपर से ही रगड़ने मसलने लगी। उसकी इस हरकत से मेरे कल्लू नवाब को एक पल बीतते ही होश आ गया और वो अन्दर ही अन्दर अकड़ने लगा.. मानो जिद कर रहा हो कि बस अब मुझे आज़ाद कर दो ।
माया ने जब मेरे लण्ड का कड़कपन अपनी हथेलियों में महसूस किया.. तो उसने मेरी जींस की ज़िप खोल दी और अन्दर हाथ घुसेड़ कर लण्ड को मुट्ठी में भरते हुए निकालने लगी.. पर इतनी आसानी से वो कहाँ निकलने वाला था । इस वक़्त वो अपने पूरे होश ओ हवाश में खड़ा हो चुका था। वो उस वक़्त इतना सख्त हो चुका था कि मेरी वी-शेप की चड्डी में नहीं मुड़ पा रहा था । माया ने कई बार उसे दबा कर एक बगल से निकालने का प्रयास किया.. पर जब वो न निकाल पाई तो कहने लगी- राहुल क्या बात है.. आज यह मेरा छोटा राहुल लगता है मुझसे नाराज हो गया है.. देखो कितनी देर से मैं इसे देखने के लिए तड़प रही हूँ.. पर यह है कि निकल ही नहीं रहा है ।
तो मैंने भी मज़ाक में बोल दिया- अरे ये तुम्हारा राहुल है न.. वो इसे निकाल देगा.. पर तुम्हें इसे मनाना खुद ही पड़ेगा । तो वो मुस्कुराते हुए बोली- अरे फिर देर कैसी.. एक बार निकाल दो.. फिर देखो.. इसे मैं कैसे प्यार से मनाती हूँ । तो मैंने भी गाड़ी एक बगल में ली और जींस का बटन खोल कर नीचे सरका दी और अपनी चड्डी को साइड से पकड़ कर अपने सरियानुमा लौड़े को हवा में लहरा दिया । वो एकदम ऐसा अकड़ा हुआ किसी झंडे की तरह खड़ा था जिसे माया देखकर अपनी मुस्कान न रोक सकी ।
वो मेरे लौड़े को हाथ में लेकर उसे प्यार से सहलाने लगी और बोली- अरे वाह.. तू तो हर समय तैयार रहता है.. मुझसे नाराज हो गया था क्या ? जो मेरे निकालने पर नहीं निकल रहा था । मैं फिर से गाड़ी चलाने लगा.. पर अब रफ़्तार धीमी थी.. ताकि कोई दिक्कत न हो । उधर माया लगातार मेरे लौड़े को प्यार किए जा रही थी जो कि मेरे अन्दर की कामुकता को बढ़ने के लिए काफी था । मैंने बोला- ये आज ऐसे नहीं मानेगा.. वो- फिर कैसे ? मैंने बोला- अरे इसे प्यार करो.. चूमो-चाटो.. तब शायद कोई बात बन जाए ।
मैंने भी माया का दायां चूचा दबा दिया.. जिसके लिए वो तैयार न थी । मेरे इस हमले से उसके मुँह से एक दर्द भरी ‘आह्ह्ह्ह्ह्’ निकल गई और उसने भी जवाब में मेरे लौड़े को कस कर दबा दिया.. जिससे मेरे भी मुख से एक ‘आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह’ निकल गई । फिर उसने अपने होंठों से मेरे गाल पर चुम्बन किया और मेरे लौड़े के टोपे पर अपने होंठों को टिका कर उसे चूसने लगी । उसकी इतनी मादक चुसाई से मेरे शरीर में कम्पन होने लगा.. अब उसे क्या पता कि दाल में कितना नमक है.. खैर.. वो माया को बोली- आपके अचानक अन्दर आ जाने पर सर बहुत परेशान से हो गए थे.. उनकी हालत तो देखने वाली थी.. लगता है आपको कुछ ज्यादा ही प्यार करते हैं ।
तो माया मुस्कुरा कर मेरे पास आई और मेरे हाथ पकड़ कर बोली- तुम इतनी जल्दी क्यों परेशान हो जाते हो? तो मैंने बोला- तुम बिना बताए अचानक यहाँ आ गईं और मुझे नहीं दिखीं.. तो मेरा परेशान होना तो लाजिमी है । उसने मुझसे ‘सॉरी’ बोलते हुए कहा- यार मेरी कंडीशन ही ऐसी हो गई थी कि मैं क्या करती? मेरी कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ? फिर मैंने बोला- चलो कोई बात नहीं.. अब तुम ठीक हो न ?
तो उसने ‘हाँ’ में सर हिलाया.. फिर हम दोनों बाहर आए और गेटमैन से गाड़ी मंगवाई और घर की ओर चल दिए । रास्ते में मैंने उससे पूछा- माया जब तुम शैम्पेन बर्दास्त नहीं कर सकती थीं तो पीने की क्या जरुरत थी? तो वो बोली- मैं तो बस तुम्हें वो सब देने के लिए ऐसा कर रही थी.. जो आजकल की लड़कियाँ करती हैं । मैंने भी उसके इस प्यार का जवाब माया ‘आई लव यू.. वेरी मच’ बोलकर दिया । जिस पर माया के चेहरे की ख़ुशी दुगनी हो गई और आँखों में एक अजीब सी चमक साफ़ दिखने लगी । शायद वो अपने तन-मन से मुझे बहुत चाहने लगी थी.. उसने भी अपना एक हाथ मेरी जांघ पर रख दिया और बोली- राहुल सच में.. तुम भी मुझसे प्यार तो करते हो न.. मैंने भी ‘हाँ’ में जवाब दिया.. तो बोली- राहुल मैं तुम्हें वो सारी खुशियाँ दूँगी जिसके तुम हकदार हो.. तुम जैसा चाहोगे मैं वैसा ही करुँगी.. पर मेरे लिए अपने दिल में हमेशा यूँ ही जगह बनाए रखना.. वरना मेरा क्या होगा ।
यह कहते हुए वो अपने हाथों को मेरी जाँघों में फिराने लगी । जिससे मेरा जोश बढ़ने लगा.. मुझे उसका इस तरह से छूना बहुत ही आनन्ददायक लग रहा था । मैं भी उसके स्पर्श का मज़ा लेते हुए उससे रोमांटिक बातें करने लगा और घर जाने के लिए मैंने लम्बा वाला रास्ता पकड़ लिया ताकि इस रोमांटिक समय को और ज्यादा देर तक एन्जॉय किया जा सके । मेरे लम्बे रास्ते की ओर गाड़ी घुमाते ही माया मुस्कुराकर मुझसे बोली- क्या बात है.. तुमने लम्बा रास्ता क्यों पकड़ लिया ? तो मैंने उसे बताया- तुम्हारे साथ इस पल को और लम्बा बनाना चाहता था.. बस इसीलिए । फिर माया मेरी ओर थोड़ा खिसक आई और मेरे लौड़े को जींस के ऊपर से ही रगड़ने मसलने लगी। उसकी इस हरकत से मेरे कल्लू नवाब को एक पल बीतते ही होश आ गया और वो अन्दर ही अन्दर अकड़ने लगा.. मानो जिद कर रहा हो कि बस अब मुझे आज़ाद कर दो ।
माया ने जब मेरे लण्ड का कड़कपन अपनी हथेलियों में महसूस किया.. तो उसने मेरी जींस की ज़िप खोल दी और अन्दर हाथ घुसेड़ कर लण्ड को मुट्ठी में भरते हुए निकालने लगी.. पर इतनी आसानी से वो कहाँ निकलने वाला था । इस वक़्त वो अपने पूरे होश ओ हवाश में खड़ा हो चुका था। वो उस वक़्त इतना सख्त हो चुका था कि मेरी वी-शेप की चड्डी में नहीं मुड़ पा रहा था । माया ने कई बार उसे दबा कर एक बगल से निकालने का प्रयास किया.. पर जब वो न निकाल पाई तो कहने लगी- राहुल क्या बात है.. आज यह मेरा छोटा राहुल लगता है मुझसे नाराज हो गया है.. देखो कितनी देर से मैं इसे देखने के लिए तड़प रही हूँ.. पर यह है कि निकल ही नहीं रहा है ।
तो मैंने भी मज़ाक में बोल दिया- अरे ये तुम्हारा राहुल है न.. वो इसे निकाल देगा.. पर तुम्हें इसे मनाना खुद ही पड़ेगा । तो वो मुस्कुराते हुए बोली- अरे फिर देर कैसी.. एक बार निकाल दो.. फिर देखो.. इसे मैं कैसे प्यार से मनाती हूँ । तो मैंने भी गाड़ी एक बगल में ली और जींस का बटन खोल कर नीचे सरका दी और अपनी चड्डी को साइड से पकड़ कर अपने सरियानुमा लौड़े को हवा में लहरा दिया । वो एकदम ऐसा अकड़ा हुआ किसी झंडे की तरह खड़ा था जिसे माया देखकर अपनी मुस्कान न रोक सकी । वो मेरे लौड़े को हाथ में लेकर उसे प्यार से सहलाने लगी और बोली- अरे वाह.. तू तो हर समय तैयार रहता है.. मुझसे नाराज हो गया था क्या ?
जो मेरे निकालने पर नहीं निकल रहा था । मैं फिर से गाड़ी चलाने लगा.. पर अब रफ़्तार धीमी थी.. ताकि कोई दिक्कत न हो । उधर माया लगातार मेरे लौड़े को प्यार किए जा रही थी जो कि मेरे अन्दर की कामुकता को बढ़ने के लिए काफी था । मैंने बोला- ये आज ऐसे नहीं मानेगा.. वो- फिर कैसे ? मैंने बोला- अरे इसे प्यार करो.. चूमो-चाटो.. तब शायद कोई बात बन जाए । मैंने भी माया का दायां चूचा दबा दिया.. जिसके लिए वो तैयार न थी । मेरे इस हमले से उसके मुँह से एक दर्द भरी ‘आह्ह्ह्ह्ह्’ निकल गई और उसने भी जवाब में मेरे लौड़े को कस कर दबा दिया.. जिससे मेरे भी मुख से एक ‘आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह’ निकल गई ।
फिर उसने अपने होंठों से मेरे गाल पर चुम्बन किया और मेरे लौड़े के टोपे पर अपने होंठों को टिका कर उसे चूसने लगी । उसकी इतनी मादक चुसाई से मेरे शरीर में कम्पन होने लगा.. अन्दर जाते ही पहले मेन गेट को लॉक किया और माया को आवाज़ दी- माया कहाँ हो तुम?
तो बोली- मैं रसोई में हूँ ।
तो मैंने बोला- अब वहाँ क्या कर रही हो ?
बोली- अरे तेरे साथ-साथ मुझे भी अब चाय का चस्का लग गया है और सर भी भारी-भारी सा लग रहा है.. तो मैंने सोचा चाय पी ली जाए । मैंने भी बोला- चलो अब इस घर में भी मेरी आदतों को ध्यान में रखने वाला कोई हो गया है । मैं मन ही मन खुश हो गया.. फिर मैंने सोफे पर रखे बैग से अपना लोअर निकाला और सारे कपड़े उतार कर सिर्फ टी-शर्ट और लोअर में आ गया । अब मेरे बदन पर मात्र तीन ही कपड़े थे लोअर.. हाफ टी-शर्ट और वी-शेप की चड्डी.. फिर मैंने उससे पूछा- कार की चाभी कहाँ रखनी है ?
तो बोली- अरे टीवी के नीचे वाली रैक में डाल दो । मैंने चाभी रखी और टीवी ऑन करके टीवी देखने बैठ गया । तभी मेरी माँ का फोन आ गया.. मैंने रिसीव किया तो बोलीं- खाना वगैरह खा लिया ? तो मैंने बोला- हाँ माँ.. बस अभी ही खाया है.. वैसे इतनी रात को क्यों फोन किया ? तो बोलीं- बस ऐसे ही तेरे हाल लेने के लिए । मैंने बोला- माँ इतनी फिक्र मत किया करो.. मैं यहाँ बिल्कुल अपने घर की तरह से ही रह रहा हूँ । इतने में माया आ गई और चाय देते हुए बोली- अरे विनोद से बात हो रही है क्या ? तो मैं बोला- नहीं मेरी माँ से.. माया ने बोला- अरे मुझे भी बात करवाओ..
तो मैंने उनको फोन दिया और अब बस माया की ही आवाज़ सुन रहा था । वो बोल रही थी- अरे भाभी जी, आप बिल्कुल चिंता न करें.. इसे भी घर ही समझें.. पर एक बात बताइए.. क्या ये चाय बहुत पीता है ? फिर शांत हो गई.. अब माँ ने जो भी बोला हो.. फिर माया बोली- अरे कोई नहीं जी.. इसी बहाने मैं भी पी लेती हूँ । वो झूट ही बोल गई.. मुझे भी चाय पीने का शौक है.. इसलिए पूछा । फिर कहने लगी- वैसे भी कल से इसे मिस करूँगी.. मेरे बच्चे इतना चाय नहीं पीते.. तो मुझे कोई कंपनी देने वाला नहीं मिलेगा ।
उधर से माँ ने कुछ कहा होगा ।‘अच्छा भाभी जी अब हम रखते हैं ।’ फिर माया ने फोन जैसे ही कट किया.. तो मैंने उसे बाँहों में भर कर चुम्बन करते हुए बोलने लगा- झूठी.. माँ से झूठ क्यों बोली.. मुझे भी चाय पसंद है ? तो बोली- अरे तो उनसे क्या कहती.. अपने राजाबाबू से सीखी हूँ.. यह कहते हुए उसने आँख मार कर लिपलॉक करके मेरे होंठों को जी भर कर चूसने लगी और मैं भी उसके चूचों को कपड़ों के ऊपर से मसलने लगा.. जिससे उसकी ‘आह्ह्ह्हह्ह’ निकलने लगी और साँसे भी गति पकड़ने लगीं ।
वो मुझसे बोली- जान श्ह्ह्ह्ह इतनी तेज़ से न भींचा करो.. दु:खता है.. फिर वो मुझसे अलग हुई तो मैंने लपक कर उसके हाथों को पकड़ा.. तो बोली- रुको.. पहले कपड़े बदल लूँ और विनोद से भी बात कर लूँ.. फिर हम अपनी लीला में मन को रमायेंगे । तो मैंने भी उसके बालों के क्लचर को खोल दिया और उसके सर को पकड़ कर गर्दन पर चुम्बन करने लगा । जिससे माया आंटी का पारा चढ़ने लगा और वो ‘श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.. बस.. बस्स्स्स्स.. आआह.. रुको भी..यार एक तो पहले ही आग लगी हुई है.. तुम और हवा दे रहे हो.. कपड़े चेंज कर लेने दो.. नहीं तो अगर ख़राब हुए तो रूचि को बहुत जवाब देने पड़ेंगे..’
तो मैंने बोला- ये उसके कपड़े हैं ?
बोली- नहीं.. पर मुझे इस तरह की ड्रेस वही दिलाती है.. प्लीज़ अब जाने दो.. बस 5 मिनट और मैं यूँ गई और आई.. तब तक तुम विनोद से हाल-चाल लो ताकि ज्यादा वक्त खराब न हो.. मैं बस अभी आई.. यह कहते हुए मेरे गालों पर चुम्मा लेते हुए चली गई । मैं मन ही मन बहुत खुश था कि आज मेरी एक अनचाही इच्छा भी पूरी होने वाली है । तभी फिर मैंने ख्यालों से बाहर आते हुए विनोद को कॉल लगाई तो उधर से रूचि ने फोन उठाया और मेरे बोलने के पहले ही.. वो फ़ोन उठाते ही बोलने लगी- मम्मा आई मिस यू सो मच.. लव यू अभी मैं आपकी ही याद करके फोन मिलाने जा रही थी.. फिर जब वो शांत हुई तो कुछ देर मैं भी नहीं बोला.. तो वो हैलो.. हैलो.. करने लगी ।
तो मैंने ‘उम्म्महह उम्म्ह्ह्ह्ह्ह’ करके हल्का सा खांसा.. तो वो समझ गई कि उसने क्या किया.. तो बोली- अरे सॉरी.. मैंने सोचा माँ हैं । ‘हम्म..’ ‘और आप भी कुछ नहीं बोले..’ तो मैंने बोला- अरे तुमने तो मौका ही नहीं दिया.. वर्ना मैं भी कुछ बोल देता ।
तो बोली- अरे सॉरी मैं तो भूल ही गई थी कि आप भी हो.. मैंने भी उसे छेड़ते हुए हिम्मत करके बोल ही दिया- आज कुछ सुनकर मन बहुत खुश हो गया.. तो बोली- ऐसा मैंने क्या बोल दिया ? मैंने पूछा- चल छोड़.. ये बताओ विनोद कहाँ है ? तो बोली- अरे भाई तो कोच और प्लेटफॉर्म पता करने गए हैं.. पर आप बताओ न मैंने ऐसा क्या बोल दिया.. जिससे आप को ख़ुशी हुई ? तो मैंने वक़्त की नज़ाकत को समझते हुए बोल ही दिया- तुम्हारे मुँह से ‘आई लव यू’ सुनकर.. तो वो बोली- मैंने अपनी माँ के लिए बोला था । मैंने बोला- होगा माँ के लिए ही सही.. पर तुम्हारे ये शब्द मेरे दिल में घर कर गए.. आई लव यू रूचि.. तो बोली- अरे ये कैसे हो सकता है.. आप मेरे भाई जैसे हो.. और वो या मैं कुछ बोलता कि इधर माया आ गई और उधर विनोद… फिर मैंने विनोद से ट्रेन की डिटेल पूछी और ‘हैप्पी जर्नी’ बोल कर माया को फोन दे दिया ।
फिर माया विनोद से बात करने लगी और इधर मेरे दिल में उसकी बेटी की प्यारी सी फीलिंग ने हलचल सी मचा रखी थी.. चड्डी के अन्दर ही मेरा लौड़ा उसकी जवानी को महसूस करके फड़फड़ाने लगा था.. जिसे माया बहुत गौर से देख कर मुस्कुरा रही थी.. पर उसे क्या मालूम कि ये किसकी जवानी का करेंट है । फिर माया ने बोला- अच्छा जब ट्रेन में बैठ जाना.. तो फोन करना ओके..
माया ने फोन काट दिया और मेरे पास आकर मेरे सामान को पकड़ते हुए मेरे होंठों को चूसने लगी । जैसे उसे मेरे होंठों में शहद का रस मिल रहा हो.. फिर मैं भी उसके होंठों को उसी तरह चूसते हुए अपनी बाँहों में दबोच लिया । यार कहो चाहे कुछ भी माया में भी एक अजीब सी कशिश थी । उसका बदन मखमल सा मुलायम और इतना मादक था कि कोई भी बिना पिए ही बहक जाए.. इस समय उसने क्रीम कलर का बहुत ही हल्का और मुलायम सा गाउन पहन रखा था । उसकी पीठ पर सहलाते समय ऐसा लग रहा था जैसे कि उसने कुछ पहना ही न हो ।
उसको मैं अपनी बाँहों में कस कर जकड़ कर जोर-जोर से उसके होंठों का रस चूसने लगा । उसकी कठोर चूचियाँ मेरे सीने से रगड़ कर साफ़ बयान कर रही थी कि आज वो भी परिंदों की तरह आज़ाद हैं.. इसी मसली- मसला के बीच एक बार फिर से फ़ोन की घंटी बजी । माया ने विनोद की काल देख कर तुरंत ही फोन रिसीव किया । शायद वो लोग ट्रेन में बैठ चुके थे। यही बताने के लिए फोन किया था.. पर उसके फ़ोन पर बात करते समय मैं उसके पीछे खड़ा होकर उसकी जुल्फों को एक तरफ करके.. उसकी गर्दन पर चाटते हुए चूमे जा रहा था.. जिससे माया की आवाज़ में कंपकंपी और आँखें बंद होने लगी थीं ।
तभी माया अचानक बोली- अरे क्या हो गया..? तो मैं भी रुक गया कि पता नहीं क्या हो गया.. उधर विनोद क्या बोल रहा था मुझे नहीं मालूम.. पर तभी माया बोली- मना करती हूँ.. ज्यादा उलटी-सीधी चीज़ न खाया करो.. लेकिन तुम लोग मानते कहाँ हो.. खैर जब रूचि आ जाए.. तो बात कराना.. ये कह कर उसने फोन काट दिया और मेरे पूछने पर माया ने बताया- रूचि को उलटी आने लगी है.. उन लोगों ने चाउमिन खाई थी.. जो कि शायद उसे सूट नहीं की..
मैंने पूछा- अब कैसी है ?
तो बोली- अभी वो ट्रेन के वाशरूम में है.. आएगी तो फोन करेगी । फिर मैंने उसे बोला- अरे कोई बात नहीं.. कभी-कभी हो जाता है.. कोई बड़ी बात नहीं.. इसी बहाने उसका पेट भी साफ़ हो गया । ये कहते हुए मैंने उसके गले में हाथ डाला और कमरे की ओर चल दिया । माया मेरी पीठ सहलाते हुए बोली- क्या बात है.. आज बड़े मूड में लग रहे हो तो मैंने भी उसके बालों के क्लचर को खोल दिया और उसके सर को पकड़ कर गर्दन पर चुम्बन करने लगा ।
जिससे माया आंटी का पारा चढ़ने लगा और वो ‘श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.. बस.. बस्स्स्स्स.. आआह.. रुको भी..यार एक तो पहले ही आग लगी हुई है.. तुम और हवा दे रहे हो.. कपड़े चेंज कर लेने दो.. नहीं तो अगर ख़राब हुए तो रूचि को बहुत जवाब देने पड़ेंगे..’ तो मैंने बोला- ये उसके कपड़े हैं ? बोली- नहीं.. पर मुझे इस तरह की ड्रेस वही दिलाती है.. प्लीज़ अब जाने दो.. बस 5 मिनट और मैं यूँ गई और आई.. तब तक तुम विनोद से हाल-चाल लो ताकि ज्यादा वक्त खराब न हो.. मैं बस अभी आई.. यह कहते हुए मेरे गालों पर चुम्मा लेते हुए चली गई ।
मैं मन ही मन बहुत खुश था कि आज मेरी एक अनचाही इच्छा भी पूरी होने वाली है । तभी फिर मैंने ख्यालों से बाहर आते हुए विनोद को कॉल लगाई तो उधर से रूचि ने फोन उठाया और मेरे बोलने के पहले ही.. वो फ़ोन उठाते ही बोलने लगी- मम्मा आई मिस यू सो मच.. लव यू अभी मैं आपकी ही याद करके फोन मिलाने जा रही थी.. फिर जब वो शांत हुई तो कुछ देर मैं भी नहीं बोला.. तो वो हैलो.. हैलो.. करने लगी ।
तो मैंने ‘उम्म्महह उम्म्ह्ह्ह्ह्ह’ करके हल्का सा खांसा.. तो वो समझ गई कि उसने क्या किया.. तो बोली- अरे सॉरी.. मैंने सोचा माँ हैं ।‘हम्म..’ ‘और आप भी कुछ नहीं बोले..’ तो मैंने बोला- अरे तुमने तो मौका ही नहीं दिया.. वर्ना मैं भी कुछ बोल देता ।
तो बोली- अरे सॉरी मैं तो भूल ही गई थी कि आप भी हो.. मैंने भी उसे छेड़ते हुए हिम्मत करके बोल ही दिया- आज कुछ सुनकर मन बहुत खुश हो गया.. तो बोली- ऐसा मैंने क्या बोल दिया ? मैंने पूछा- चल छोड़.. ये बताओ विनोद कहाँ है ? तो बोली- अरे भाई तो कोच और प्लेटफॉर्म पता करने गए हैं.. पर आप बताओ न मैंने ऐसा क्या बोल दिया.. जिससे आप को ख़ुशी हुई ? तो मैंने वक़्त की नज़ाकत को समझते हुए बोल ही दिया- तुम्हारे मुँह से ‘आई लव यू’ सुनकर.. तो वो बोली- मैंने अपनी माँ के लिए बोला था । मैंने बोला- होगा माँ के लिए ही सही.. पर तुम्हारे ये शब्द मेरे दिल में घर कर गए.. आई लव यू रूचि..
तो बोली- अरे ये कैसे हो सकता है.. आप मेरे भाई जैसे हो.. और वो या मैं कुछ बोलता कि इधर माया आ गई और उधर विनोद… फिर मैंने विनोद से ट्रेन की डिटेल पूछी और ‘हैप्पी जर्नी’ बोल कर माया को फोन दे दिया । फिर माया विनोद से बात करने लगी और इधर मेरे दिल में उसकी बेटी की प्यारी सी फीलिंग ने हलचल सी मचा रखी थी.. चड्डी के अन्दर ही मेरा लौड़ा उसकी जवानी को महसूस करके फड़फड़ाने लगा था.. जिसे माया बहुत गौर से देख कर मुस्कुरा रही थी.. पर उसे क्या मालूम कि ये किसकी जवानी का करेंट है ।
फिर माया ने बोला- अच्छा जब ट्रेन में बैठ जाना.. तो फोन करना ओके.. माया ने फोन काट दिया और मेरे पास आकर मेरे सामान को पकड़ते हुए मेरे होंठों को चूसने लगी । जैसे उसे मेरे होंठों में शहद का रस मिल रहा हो.. फिर मैं भी उसके होंठों को उसी तरह चूसते हुए अपनी बाँहों में दबोच लिया । यार कहो चाहे कुछ भी माया में भी एक अजीब सी कशिश थी । उसका बदन मखमल सा मुलायम और इतना मादक था कि कोई भी बिना पिए ही बहक जाए.. इस समय उसने क्रीम कलर का बहुत ही हल्का और मुलायम सा गाउन पहन रखा था ।
उसकी पीठ पर सहलाते समय ऐसा लग रहा था जैसे कि उसने कुछ पहना ही न हो । उसको मैं अपनी बाँहों में कस कर जकड़ कर जोर-जोर से उसके होंठों का रस चूसने लगा । उसकी कठोर चूचियाँ मेरे सीने से रगड़ कर साफ़ बयान कर रही थी कि आज वो भी परिंदों की तरह आज़ाद हैं.. इसी मसली- मसला के बीच एक बार फिर से फ़ोन की घंटी बजी । माया ने विनोद की काल देख कर तुरंत ही फोन रिसीव किया । शायद वो लोग ट्रेन में बैठ चुके थे। यही बताने के लिए फोन किया था.. पर उसके फ़ोन पर बात करते समय मैं उसके पीछे खड़ा होकर उसकी जुल्फों को एक तरफ करके.. उसकी गर्दन पर चाटते हुए चूमे जा रहा था.. जिससे माया की आवाज़ में कंपकंपी और आँखें बंद होने लगी थीं ।
तभी माया अचानक बोली- अरे क्या हो गया..? तो मैं भी रुक गया कि पता नहीं क्या हो गया.. उधर विनोद क्या बोल रहा था मुझे नहीं मालूम.. पर तभी माया बोली- मना करती हूँ.. ज्यादा उलटी-सीधी चीज़ न खाया करो.. लेकिन तुम लोग मानते कहाँ हो.. खैर जब रूचि आ जाए.. तो बात कराना.. ये कह कर उसने फोन काट दिया और मेरे पूछने पर माया ने बताया- रूचि को उलटी आने लगी है.. उन लोगों ने चाउमिन खाई थी.. जो कि शायद उसे सूट नहीं की..
मैंने पूछा- अब कैसी है?
तो बोली- अभी वो ट्रेन के वाशरूम में है.. आएगी तो फोन करेगी । फिर मैंने उसे बोला- अरे कोई बात नहीं.. कभी-कभी हो जाता है.. कोई बड़ी बात नहीं.. इसी बहाने उसका पेट भी साफ़ हो गया । ये कहते हुए मैंने उसके गले में हाथ डाला और कमरे की ओर चल दिया । माया मेरी पीठ सहलाते हुए बोली- क्या बात है.. आज बड़े मूड में लग रहे हो मैं लगातार यूँ ही उसकी चूचियों को रगड़ते हुए उसके नुकीले टिप्पों को मसले जा रहा था और जिससे उसकी आवाजों में मादकता के साथ-साथ कम्पन भी बढ़ने लगा था ।
उसी अवस्था में उसने अपना हाथ पीछे की ओर ले जाकर मेरे तने हुए लौड़े पर रख दिया और उस सहलाते हुए अपने सर को थोड़ा बाएं मोड़ कर मेरे माथे पर चुम्बन जड़ दिया । उसकी इस क्रिया के जवाब में मैंने अपने होंठों को उसके होंठों पर लगा दिया और एक बार पुनः एक-दूसरे को चुम्बन करने लगे । इतना आनन्द आ रहा था दोस्तो.. जिसकी कल्पना करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है । उसके मुख से लगातार ‘उम्म्म फच उम्म्म्म्’ के नशीले स्वर निकल रहे थे और माया अपने हाथों से मेरे लौड़े को सहलाते हुए अपनी गांड के छेद पर दबा कर रगड़ रही थी..
जिससे ऐसी अनुभूति हो रही थी कि मानो मेरे लौड़े से कह रही हो- जान आज तेरा यही घर है.. कर ले जी भर के अपनी इच्छा पूरी.. मैं तैयार हूँ.. तेरी इस दर्द भरी ठुकाई के लिए । फिर मैंने उसके बदन की सुलगती आग को महसूस करते हुए उसके मम्मों को सहलाते हुए अपने हाथों को उसके आगे किए और रसीले मम्मों को ऊपर-नीचे सहलाते हुए उसके बदन से खेलने लगा । साथ ही मैं उसके कानों के बीच में चुम्बन करते हुए कान के निचले हिस्से को भी दांतों से रगड़ने लगा.. जिससे माया के बदन में सिहरन दौड़ने लगी ।
वो अपना काबू खो कर मेरे लौड़े को सख्ती के साथ भींचने लगी.. जिससे मेरा भी जोश बढ़ गया और मैं उसकी गर्दन में अपने होंठों को गड़ा कर चूसने लगा । मेरे इस वार को माया बर्दास्त न कर सकी और अपनी चूत की सब्र का बांध तोड़ते हुए, ‘अह्ह्ह आआह्ह्ह शह्ह्ह..’ की आवाज़ के साथ अपनी गांड को मेरे लौड़े पर दबाते हुए अपनी पीठ को मेरे सीने से चिपका कर अपनी गर्दन दाएं-बाएं करने लगी । दोस्तों इस अद्भुत आनन्द की घड़ी में मैंने महसूस किया जैसे मैं बिना पंख के ही आसमान में सबसे तेज़ उड़ रहा हूँ । मुझे भी होश न रहा और मैं बिना लोअर उतारे ही उसकी गांड मैं लण्ड रगड़ते हुए झड़ गया ।
जब मुझे मेरे ही वीर्य की गर्म बूंदों का अहसास मेरी जाँघों पर हुआ.. तो मुझे होश आया और तब मुझे अहसास हुआ कि कोई इतना भी बहक सकता है । और ऐसा हो भी क्यों न.. जब माया जैसी काम की देवी साथ हो । मैं भी झड़ने के बाद कुछ देर बाद तक उसके कंधे पर सर रख कर उसके अपने होंठों से सटे गाल पर चुम्बन करते हुए उसके चूचों को प्यार से मसले जा रहा था और मेरे मुख से ‘उम्म्म्म चप्प-चप्प’ के साथ बस यही शब्द निकल रहे थे, ‘जानू आई लव यू.. आई लव यू सो मच..’ जिससे माया के बदन की आग फिर से दहकने लगी और वो भी अपने होंठों को मेरे होंठों में देकर कहते हुए बोलने लगी, ‘आई लव यू टू.. आई लव यू टू.. जान मेरा सब कुछ तुम्हारा ही तो है.. ले लो अपनी जानू की जिंदगी का रस.. आज तो मज़ा आ गया.. ऐसी घड़ी आज के पहले मेरे जीवन में कभी न आई..’ ये कहते हुए उसने अपना हाथ फिर से पीछे ले जाकर मेरे लौड़े पर रख दिया। वो हाथ रखते ही बोली- अरे ये क्या आज तुम भी भावनाओं के सागर में बह गए क्या..?
तो मैंने बोला- अरे तुम हो ही मज़ेदार और सेक्सी.. जो किसी का भी लौड़ा बस देखकर ही बहा दो.. तो माया किलकारी मारकर हँसते हुए बोली- जानू आई लव यू.. बस मैं तुम्हारी इसी अदा पर ही तो फ़िदा हूँ.. तुम साथ में जीने का कोई भी मौका नहीं गंवाते हो । यह कहते हुए वो मेरी ओर घूमी और अपने होंठों को मेरे होंठों से गड़ा कर मेरी पीठ पर अपने हाथों को चींटी की तरह धीरे- धीरे चलाते हुए मेरी टी-शर्ट के निचले सिरे पर पहुँच गई । वो पीछे से अपने हाथों को मेरे शर्ट के अन्दर डालते हुए उसे ऊपर धीरे-धीरे उठाने लगी ।
मैं अपनी आँखों को बंद किए हुए उसे चूमने-चाटने में इतना मदहोश था कि मुझे तब होश आया जब उसने मेरी टी-शर्ट को निकालने में थोड़ी ताकत का प्रयोग किया । ये सोचकर आज मैं बहुत हैरान था कि क्या ऐसा भी होता है कि इंसान इतना खो जाता है कि उसे होश ही नहीं रहता है कि उसके साथ क्या हो रहा है । फिर टी-शर्ट निकालने में मैंने उसका सहयोग करते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर उठा लिया । पर आज माया अपनी जवानी के नशे में मुझे खा जाने के मूड में थी ।
अब आप लोग सोच रहे होंगे ऐसा क्या किया माया ने.. तो बता दूँ उस वक़्त वो मेरे होंठों को तो चूस नहीं सकती थी.. पर मेरी नंगी छाती जो कि अब उसके हवाले थी.. उसे वो प्यार से अपनी जुबान से चाटते हुए चूमने लगी थी । और मेरी टी-शर्ट के उतरते ही माया ने मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया और मेरे बदन की गर्माहट अपने शरीर में महसूस कराने लगी । अब वो दाईं ओर अपना मुँह करके बंद आँखों से अपने सर को मेरे कंधे पर टिका कर.. राहत भरी सांस भरने लगी.. जैसे मेरे बदन की गर्माहट उसकी दुखती रगों को सेक रही हो ।
मैंने भी उसकी पीठ को धीरे-धीरे प्यार से सहलाना शुरू किया और बोला- थक गई हो तो आराम कर लो । मेरे इतना बोलते ही माया ने अपनी आँखें खोल दीं और प्यार भरी निगाहों से देखते हुए बोली- जान आई लव यू सो मच.. मुझे तुम्हारी बाँहों में बहुत सुख मिलता है.. मेरा बस चले तो मैं इन्हीं बाँहों में अपना सारा जीवन बिता दूँ ।फिर माया ने बारी-बारी से मेरे माथे को चूमा.. दोनों आँखों को चुम्मी ली.. फिर मेरे गालों के दोनों ओर चूम कर अपने होंठों से पुनः मेरे होंठों का करीब एक मिनट तक रसपान करती रही ।
वो यूँ ही चूमते हुए धीरे-धीरे नीचे को बढ़ने लगी । तो माया किलकारी मारकर हँसते हुए बोली- जानू आई लव यू.. बस मैं तुम्हारी इसी अदा पर ही तो फ़िदा हूँ.. तुम साथ में जीने का कोई भी मौका नहीं गंवाते हो । यह कहते हुए वो मेरी ओर घूमी और अपने होंठों को मेरे होंठों से गड़ा कर मेरी पीठ पर अपने हाथों को चींटी की तरह धीरे-धीरे चलाते हुए मेरी टी-शर्ट के निचले सिरे पर पहुँच गई । वो पीछे से अपने हाथों को मेरे शर्ट के अन्दर डालते हुए उसे ऊपर धीरे-धीरे उठाने लगी ।
मैं अपनी आँखों को बंद किए हुए उसे चूमने-चाटने में इतना मदहोश था कि मुझे तब होश आया जब उसने मेरी टी-शर्ट को निकालने में थोड़ी ताकत का प्रयोग किया । ये सोचकर आज मैं बहुत हैरान था कि क्या ऐसा भी होता है कि इंसान इतना खो जाता है कि उसे होश ही नहीं रहता है कि उसके साथ क्या हो रहा है । फिर टी-शर्ट निकालने में मैंने उसका सहयोग करते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर उठा लिया ।
पर आज माया अपनी जवानी के नशे में मुझे खा जाने के मूड में थी । अब आप लोग सोच रहे होंगे ऐसा क्या किया माया ने.. तो बता दूँ उस वक़्त वो मेरे होंठों को तो चूस नहीं सकती थी.. पर मेरी नंगी छाती जो कि अब उसके हवाले थी.. उसे वो प्यार से अपनी जुबान से चाटते हुए चूमने लगी थी । और मेरी टी-शर्ट के उतरते ही माया ने मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया और मेरे बदन की गर्माहट अपने शरीर में महसूस कराने लगी । अब वो दाईं ओर अपना मुँह करके बंद आँखों से अपने सर को मेरे कंधे पर टिका कर.. राहत भरी सांस भरने लगी.. जैसे मेरे बदन की गर्माहट उसकी दुखती रगों को सेक रही हो ।
मैंने भी उसकी पीठ को धीरे-धीरे प्यार से सहलाना शुरू किया और बोला- थक गई हो तो आराम कर लो । मेरे इतना बोलते ही माया ने अपनी आँखें खोल दीं और प्यार भरी निगाहों से देखते हुए बोली- जान आई लव यू सो मच.. मुझे तुम्हारी बाँहों में बहुत सुख मिलता है.. मेरा बस चले तो मैं इन्हीं बाँहों में अपना सारा जीवन बिता दूँ । फिर माया ने बारी-बारी से मेरे माथे को चूमा.. दोनों आँखों को चुम्मी ली.. फिर मेरे गालों के दोनों ओर चूम कर अपने होंठों से पुनः मेरे होंठों का करीब एक मिनट तक रसपान करती रही ।
वो यूँ ही चूमते हुए धीरे-धीरे नीचे को बढ़ने लगी । मेरे इस तरह करने से उसे बहुत पीड़ा हुई थी और उसका मुँह भी दर्द से भर गया था, जिसे उसने बाद में बयान किया । और सच कहूँ तो मुझे भी बाद में अच्छा नहीं लगा.. पर अब तो सब कुछ हो ही चुका था.. इसलिए पछताने से क्या फायदा.. पर कुछ भी हो ये तरीका था बड़े कमाल का.. आज के पहले मुझे लौड़ा चुसाई में इतना आनन्द नहीं मिला था । फिर मैंने पास रखी बोतल उठाई और पानी के कुछ ही घूट गटके थे कि माया आई और दर्द भरी आवाज़ में बोली- राहुल आज तूने तो मेरे मुँह का ऐसा हाल कर दिया कि बोलने में भी दुखता है.. आआआह.. पता नहीं तुम्हें क्या हो गया था.. इसके पहले तुमने कभी ऐसा नहीं किया.. तुम्हें मेरी हालत देखकर भी तरस नहीं आया.. बल्कि चांटों को जड़कर मेरे गाल लाल करके.. दर्द को और बढ़ा दिया ।
तो मैंने उससे माफ़ी मांगी और बोला- माया मुझे माफ़ कर दे.. मैं इतना ज्यादा कामभाव में चला गया था कि मुझे खुद का भी होश न था.. पर अब ऐसा दुबारा नहीं होगा । मेरी आवाज़ की दर्द भरी कशिश को महसूस करके माया मेरे सीने से लग गई और बोली- अरे ये क्या.. माफ़ी मांग कर मुझे न शर्मिंदा करो.. होता है.. कभी-कभी ज्यादा जोश में इंसान बहक जाता है.. कोई बात नहीं मेरे सोना.. मेरे राजाबाबू.. आई लव यू.. आई लव यू.. यह कहते हुए वो मेरे होंठों को चूसने लगी और अभी मेरे लौड़े में भी पीड़ा हो रही थी जो कि मेरे जंग में लड़ने की और घायल होने की दास्तान दर्द के रूप में बयान कर रही थी ।
एक अज़ीब सा मीठा दर्द महसूस हो रहा था.. ऐसा लग रहा था कि अब जैसे इसमें जान ही न बची हो । फिर मैंने माया को जब ये बताया कि तुम्हारे दाँतों की चुभन से मेरा सामान बहुत दुःख रहा है.. ऐसा लग रहा है.. जैसे कि इसमें जान ही न बची हो.. अब मैं कैसे तुम्हारी गांड मार कर अपनी इच्छा पूरी कर पाउँगा और कल के बाद पता नहीं ये अवसर कब मिले.. मुझे लगता नहीं कि अब मैं कुछ और कर सकता हूँ.. ये तो बहुत ही दुःख रहा है ।
तो माया ने मेरे लौड़े को हाथ से छुआ जो कि सिकुड़ा हुआ.. किसी सहमे से कछुए की तरह लग रहा था । माया मुस्कुराई और मुझे छेड़ते हुए बोली- और बनो सुपर हीरो.. अब बन गए न जीरो.. देखा जोश में होश खोने का परिणाम.. और मुझे छेड़ते हुए मेरी मौज लेने लगी.. पर मेरी तो दर्द के मारे लंका लगी हुई थी.. तो मैंने झुंझला कर उससे बोला- अब उड़ा लो मेरा मज़ाक.. तुम भी याद रखना.. मुझे इतना दर्द हो रहा है और साथ-साथ अपनी इच्छा न पूरी हो पाने का कष्ट भी है.. और तुम हो कि मज़ाक उड़ा रही हो.. वैसे भी कल वो लोग आ जायेंगे.. तो पता नहीं कब ऐसा मौका मिले… तुमने तो इतनी तेज़ी से दाँतों को गड़ाया.. जिससे मेरी तो जान निकल रही है ।
मैं बोल कर दर्द से बेहाल चेहरा लिए वहीं बिस्तर पर आँख बंद करके लेट गया । मेरे दर्द को माया सीरियसली लेते हुए मेरे पास आई और मेरे माथे को चूमते हुए मेरे मुरझाए हुए लौड़े पर हाथ फेरते हुए बोली- तुम इतनी जल्दी क्यों परेशान हो जाते हो ? तो मैंने बोला- तुम्हें खुराफात सूझ रही है और मेरी जान निकाल रही है । वो मुस्कुराते हुए प्यार से बोली- राहुल तेरी ये जान है न.. इसमें जान डालने के लिए.. तुम अब परेशान मत हो.. अभी देखना मैं कैसे इसे मतवाला बनाकर एक बार फिर से झूमने पर मज़बूर कर दूंगी ।
और मैं कुछ बोल पाता कि उसके पहले ही उसने अपने होंठों से मेरे होंठ सिल दिए । फिर वो मेरी गर्दन को अपने जीभ की नोक से सहलाने लगी..जिससे मुझे असीम आनन्द प्राप्त हो रहा था । फिर वो धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ते हुए मेरी छाती को चूमने लगी और निप्पलों को जुबान से छेड़ने लगी.. जिससे बदन में अजीब सा करेंट दौड़ गया और वो मेरे बदन के कम्पन को महसूस करते हुए पूछने लगी- राहुल कैसा लग रहा है ?
तो मैंने कहा- बहुत ही हॉट फीलिंग आ रही है.. मज़ा आ गया । फिर वो धीरे-धीरे मेरे निप्पलों को जुबान की नोक से छेड़ते हुए अपने हाथों को मेरे लोअर तक ले गई और चाटते हुए नीचे को बैठने लगी । फिर जैसे ही उसने मेरी नाभि के पास चुम्बन लिया तो मेरे बदन में एक अज़ीब सी सिहरन हुई । तो उसने मुस्कान भरे चेहरे से मेरी ओर देखा.. और शरारती अंदाज़ में आँख मारते हुए बोली- क्यों मज़ा आया न ?
तो मैंने बोला- यार सच में.. इतना तो मैंने कभी सोचा ही नहीं था । फिर देखते ही देखते उसने मेरा लोअर मेरे पैरों से आज़ाद कर दिया और मेरी जांघों को रगड़ने लगी । तो मैंने उसका सर पकड़ लिया और बोला- मेरी जान.. क्या इरादा है..? तो बोली- इरादा तो नेक है.. बस अंजाम देना है । फिर जैसे ही उसकी नज़र मेरी चड्डी के अन्दर खड़े लौड़े पर पड़ी तो उसकी आँखों की चमक दुगनी हो गई। उसने आव न देखा ताव.. मेरे लौड़े को चड्डी के ऊपर से ही अपने मुँह में भरकर दाँतों को गड़ाने लगी और वो साथ ही साथ मेरी जांघों को हाथों से सहला रही थी ।
उसकी इस प्रतिक्रिया पर मेरे मुँह से दर्द भरी मादक ‘आह्ह्ह ह्ह्ह्ह’ निकालने लगी । मैंने उसके सर को मजबूती से पकड़ कर अपने लौड़े पर दाब दिया.. जो आनन्द मुझे मिल रहा था उसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है क्योंकि शब्दों में बयान किया तो उस आनन्द की तौहीन होगी । फिर उसने मेरी चड्डी को अपने दाँतों से पकड़ कर नीचे सरकाया जैसे ही मेरा लण्ड गिरफ्त से बाहर आया तो उसने आते ही माया के माथे पर सर पटक दिया । मानो कह रहा हो- तुस्सी ग्रेट हो तोहफा कबूल करो ।
फिर उसने चड्डी को मेरे जिस्म से अलग कर दिया । अब मैं उसके सामने पूर्ण निर्वस्त्र खड़ा था और वो उसी गाउन में नीचे झुकी बैठी थी.. जिससे उसके अनार साफ झलक रहे थे । फिर उसने मेरे लौड़े को मुँह में भर लिया और लॉलीपॉप की तरह उसे चूसने लगी.. जिससे मेरा आनन्द दुगना हो गया और मेरे मुँह से मादक भरी- श्ह्ह्ह ह्ह्ह आआआअह्ह्ह श्ह्ह्ह ह्हह्ह !! सीत्कार निकालने लगी और मैंने आनन्द भरे सागर में गोते लगाते हुए उसके सर को अपने हाथों से कस लिया ।
इसके पहले वो कुछ समझ पाती.. मैंने उसके सर को दबा कर अपने लौड़े को जड़ तक उसके मुँह में घुसेड़ कर उसके मुँह को जबरदस्त अपनी कमर को उचका-उचका चोदने लगा । मेरे इस प्रकार चोदने से माया की हालत ख़राब हो गई। उसके मुँह के भावों से उसकी पीड़ा स्पष्ट झलक रही थी.. उसके होंठों के सिरों से उसकी लार तार-तार होकर बहने लगी । इतना आनन्दमयी पल था.. जिसको बता पाना कठिन है.. उसकी आँखों की पुतलियों में लाल डोरे गहराते चले जा रहे थे और उसके मुख से बहुत ही उत्तेजित कर देने वाली दर्द भरी सीत्कार ‘आआआह्ह्ह ह्ह्ह आआआउउउ उउउम्म्म्म्म गुगुउउउ’ की आवाजें बड़े वेग के साथ रुंधे हुए (रोते हुए) स्वर में निकली जा रही थीं ।
मैं बिना उसकी इस दशा की परवाह किए.. बस उसे चोदे जा रहा था.. और जब कभी उसके दांत मेरे लौड़े पर रगड़ जाते.. तो मैं उसके गाल पर तमाचा जड़ देता.. जैसा कि मैंने फिल्मों में देखा था । जब मुझे यह अहसास हुआ कि अब मैं खुद को और देर नहीं रोक पाऊँगा.. तो मैंने उसके सर को पकड़ा और तेज़ स्वर में ‘आह्ह आआअह्ह्ह्ह आआह जानू.. बस ऐसे ही करती रहो.. थोड़ा और सहो.. मेरा होने वाला है बस..’ और देखते ही देखते मेरे वीर्य निकालने के साथ-साथ मेरी पकड़ ढीली हो गई ।
और फिर माया ने तुरंत ही मेरे लौड़े से मुँह हटा लिया और खांसने लगी और सीधा वाशरूम चली गई । मेरे इस तरह करने से उसे बहुत पीड़ा हुई थी और उसका मुँह भी दर्द से भर गया था, जिसे उसने बाद में बयान किया। और सच कहूँ तो मुझे भी बाद में अच्छा नहीं लगा.. पर अब तो सब कुछ हो ही चुका था.. इसलिए पछताने से क्या फायदा.. पर कुछ भी हो ये तरीका था बड़े कमाल का.. आज के पहले मुझे लौड़ा चुसाई में इतना आनन्द नहीं मिला था । फिर मैंने पास रखी बोतल उठाई और पानी के कुछ ही घूट गटके थे कि माया आई और दर्द भरी आवाज़ में बोली- राहुल आज तूने तो मेरे मुँह का ऐसा हाल कर दिया कि बोलने में भी दुखता है.. आआआह.. पता नहीं तुम्हें क्या हो गया था.. इसके पहले तुमने कभी ऐसा नहीं किया.. तुम्हें मेरी हालत देखकर भी तरस नहीं आया.. बल्कि चांटों को जड़कर मेरे गाल लाल करके.. दर्द को और बढ़ा दिया ।
तो मैंने उससे माफ़ी मांगी और बोला- माया मुझे माफ़ कर दे.. मैं इतना ज्यादा कामभाव में चला गया था कि मुझे खुद का भी होश न था.. पर अब ऐसा दुबारा नहीं होगा । मेरी आवाज़ की दर्द भरी कशिश को महसूस करके माया मेरे सीने से लग गई और बोली- अरे ये क्या.. माफ़ी मांग कर मुझे न शर्मिंदा करो.. होता है.. कभी-कभी ज्यादा जोश में इंसान बहक जाता है.. कोई बात नहीं मेरे सोना.. मेरे राजाबाबू.. आई लव यू.. आई लव यू.. यह कहते हुए वो मेरे होंठों को चूसने लगी और अभी मेरे लौड़े में भी पीड़ा हो रही थी जो कि मेरे जंग में लड़ने की और घायल होने की दास्तान दर्द के रूप में बयान कर रही थी ।
एक अज़ीब सा मीठा दर्द महसूस हो रहा था.. ऐसा लग रहा था कि अब जैसे इसमें जान ही न बची हो । फिर मैंने माया को जब ये बताया कि तुम्हारे दाँतों की चुभन से मेरा सामान बहुत दुःख रहा है.. ऐसा लग रहा है.. जैसे कि इसमें जान ही न बची हो.. अब मैं कैसे तुम्हारी गांड मार कर अपनी इच्छा पूरी कर पाउँगा और कल के बाद पता नहीं ये अवसर कब मिले.. मुझे लगता नहीं कि अब मैं कुछ और कर सकता हूँ.. ये तो बहुत ही दुःख रहा है । तो माया ने मेरे लौड़े को हाथ से छुआ जो कि सिकुड़ा हुआ.. किसी सहमे से कछुए की तरह लग रहा था ।
माया मुस्कुराई और मुझे छेड़ते हुए बोली- और बनो सुपर हीरो.. अब बन गए न जीरो.. देखा जोश में होश खोने का परिणाम.. और मुझे छेड़ते हुए मेरी मौज लेने लगी.. पर मेरी तो दर्द के मारे लंका लगी हुई थी.. तो मैंने झुंझला कर उससे बोला- अब उड़ा लो मेरा मज़ाक.. तुम भी याद रखना.. मुझे इतना दर्द हो रहा है और साथ-साथ अपनी इच्छा न पूरी हो पाने का कष्ट भी है.. और तुम हो कि मज़ाक उड़ा रही हो.. वैसे भी कल वो लोग आ जायेंगे.. तो पता नहीं कब ऐसा मौका मिले… तुमने तो इतनी तेज़ी से दाँतों को गड़ाया.. जिससे मेरी तो जान निकल रही है ।
मैं बोल कर दर्द से बेहाल चेहरा लिए वहीं बिस्तर पर आँख बंद करके लेट गया । मेरे दर्द को माया सीरियसली लेते हुए मेरे पास आई और मेरे माथे को चूमते हुए मेरे मुरझाए हुए लौड़े पर हाथ फेरते हुए बोली- तुम इतनी जल्दी क्यों परेशान हो जाते हो ? तो मैंने बोला- तुम्हें खुराफात सूझ रही है और मेरी जान निकाल रही है ।वो मुस्कुराते हुए प्यार से बोली- राहुल तेरी ये जान है न.. इसमें जान डालने के लिए.. तुम अब परेशान मत हो.. अभी देखना मैं कैसे इसे मतवाला बनाकर एक बार फिर से झूमने पर मज़बूर कर दूंगी ।
और मैं कुछ बोल पाता कि उसके पहले ही उसने अपने होंठों से मेरे होंठ सिल दिए । हम कुछ देर यूँ ही एक-दूसरे को चूमते रहे.. फिर माया के दिमाग में पता नहीं क्या सूझा वो उठ कर गई और फ्रिज से बर्फ के टुकड़े ले आई । यार सच कहूँ तो मेरी समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था कि ये सब क्या करने वाली है । फिर उसने मेरे लंड को पकड़ कर उसकी अच्छे से सिकाई की.. यार दर्द तो चला गया पर बर्फ का अधिक प्रयोग हो जाने से वो सुन्न सा पड़ गया था । मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरे मतवाले हाथी को किसी ने मार दिया हो और अन्दर ही अन्दर बहुत डर सा गया था कि अब क्या होगा.. अगर इसमें तनाव आना ख़त्म हो गया.. तो क्या होगा ?
मेरे चेहरे के चिंता के भावों को पढ़कर माया बोली- अरे राहुल क्या हुआ.. तुम इतना उलझन में क्यों लग रहे हो ? तो मैंने बोला- मेरा दर्द तो ठीक हो गया.. पर मुझे अब ये डर है कि इसमें जान भी बची है कि नहीं ? तो माया मुस्कुरा दी और हँसते हुए बोली- तुमने कभी सुना है..‘अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारना..’ अब तुमने मेरे मुँह में जबरदस्ती सब कुछ किया.. तो तुम भुगत रहे हो.. पर अब जो मैं तुम्हारे दर्द को दूर करने के लिए कर रही हूँ.. उससे शायद मैं खुद ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जा रही हूँ ।
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