The Adult King

Previous Part : Dost ki Maa aur Behan ko Chodne ki Icha - 7

मैं उसकी बातों को सुनकर आश्चर्य में पड़ गया कि आखिर माया के कहने का मतलब क्या है.. सब कुछ मेरी समझ के बाहर था । तो मैंने उससे बोला- साफ़-साफ़ बोलो.. कहना क्या चाहती हो ? बोली- अरे जान.. तुम्हें नहीं मालूम.. अगर बर्फ से सिकाई अच्छे से की जाए.. जब तक की लण्ड की गर्मी न शांत हो जाए और उसके बाद जो सेक्स करने का समय होता है.. वो बढ़ जाता है और अब तुम परेशान न हो.. परेशान तो मुझे होना चाहिए कि पता नहीं आज मेरा क्या होने वाला है.. और अब मुझे पता है कि इसमें कैसे तनाव आएगा.. पर मेरी एक शर्त है ।
तो मैं बोला- क्या ?
तो बोली- पहले बोलो कि मान जाओगे..
मैंने भी बोला- ठीक है.. मान जाऊँगा ।
तो माया बोली- एक तो आज तक पीछे छेद में मैंने किसी के साथ सेक्स नहीं किया है.. तो तुम फिर से मेरे मुँह की तरह वहाँ जबरदस्ती कुछ नहीं करोगे और पहले मेरी चूत की खुजली मिटाओगे.. तुम्हें नहीं मालूम ये साली छिनाल.. बहुत देर से कुलबुला रही है..
तो मेरे दिमाग में भी एक हरकत सूझी कि बस एक बार किसी तरह माया मेरा ‘सामान’ खड़ा कर दे.. तो इसको भी बर्फ का मज़ा चखाता हूँ । मैंने उससे बोला- ठीक है.. मुझे मंजूर है.. तो वो बर्फ ट्रे लेकर जाने लगी और बोली- अभी आई । तो मैंने बोला- अरे ये ट्रे मुझे दे दो.. तब तक मैं इससे अपनी सिकाई करता हूँ । वो मुझे ट्रे देकर चली गई । अब आखिर उसे कैसे पता चलता कि उसके साथ अब क्या होने वाला है ।
फिर कुछ ही देर में वो मक्खन का डिब्बा लेकर आ गई और बोली- जानू.. अब तैयार हो जाओ.. देखो मैं कैसे अपने राजाबाबू को अपने इशारे पर ठुमके लगवाती हूँ । तो मैंने हल्की सी मुस्कान देकर अपनी सहमति जता दी । अब बारी उसकी थी तो उसने अपने गाउन की डोरी खोली और उसे अपने बदन से लटका रहने दिया और फिर वो एक हलकी पट्टीनुमा चड्डी को दिखाते हुए ही मेरे पास आ गई और मेरे सीने से चिपक कर गर्मी देने लगी और मेरे होंठों को चूसते हुए मेरे बदन पर हाथों को फेरने लगी..
जिससे मेरे बदन में प्रेम की लहर दौड़ने लगी । उसकी इस क्रिया में मैंने सहयोग देते हुए और कस कर अपनी बाँहों में कस लिया.. फिर उसके होंठों को चूसना प्रारम्भ कर दिया । देखते ही देखते हम लोग आनन्द के सागर में डुबकी लगाने लगे और फिर माया ने अचानक से अपना हाथ मेरे लौड़े पर रखकर देखा.. जो कि अभी भी वैसा ही था । तो वो अपने होंठों को मेरे होंठों से हटा कर बोली- लगता है इसको स्पेशल ट्रीटमेंट देना होगा । मैं बोला- कुछ भी कर यार.. पर जल्दी कर । तो माया उठी और मुझे पलंग के कोने पर बैठने को बोला.. तो मैं जल्दी से उठा और बैठ गया ।
मेरे इस उतावलेपन को देखकर माया हँसते हुए बोली- अरे राहुल.. अब होश में रहना.. नहीं तो यूँ ही रात निकल जाएगी.. फिर बाद में कुछ भी न कहना । मैं बोला- यार वो एक बार हो गया… अब ऐसे कभी नहीं करूँगा.. पर दर्द तो जरूर दूँगा.. जब तुझे दर्द में सिसियाते हुए देखता हूँ और तेरी दर्द भरी चीखें मेरे कानों में जाती हैं.. तो मेरा जोश और बढ़ जाता है.. पर अब दर्द देने वाली जगह पर ही दर्द दूँगा । तो वो हँसते हुए बोली- बड़ा मर्द बनने का शौक है तुझे.. चल देखती हूँ कि तू कितना दर्द देता है.. मुझे भी तेरे दर्द देने वाली जगह पर दर्द देने में एक अजीब से प्यार की अनुभूति होती है.. जो कि मुझे तेरा दीवाना बनाए हुए है ।
यह कहते हुए उसने मक्खन निकाला और मेरे लौड़े पर मलने लगी । फिर ऊपरी सतह पर लगाने के बाद उसने थोड़ा मक्खन और निकाला और मेरे लौड़े की खाल को खींच कर सुपाड़े पर हल्के-हल्के नर्म उँगलियों का स्पर्श देते हुए मलने लगी । मैंने ध्यान से देखा तो सुपाड़े का रंग गुलाबी न होकर कुछ कुछ बैंगनी सा हो गया था.. तो मैं चिंता में पड़ कर सोचने लगा कि ये गुलाबी से बैंगनी कैसे हो गया ? तो मेरे दिमाग में आया या तो यह चोट के कारण है.. या फिर बर्फ की ठंडक का कमाल है ? खैर.. अब सब कुछ मैंने माया पर छोड़ दिया था ।
फिर उसने सहलाते हुए मेरे लौड़े को फिर से अपने मुख में ढेर सारा थूक भर कर ले लिया और अपने होंठों से मेरे लौड़े पर पकड़ मजबूत बना दी.. जिससे मुझे मेरे सामान पर गर्मी का अहसास होने लगा । फिर कुछ देर यूँ ही रखने के बाद माया बिना होंठों को खोले अन्दर ही अन्दर मेरे लौड़े के सुपाड़े को चूसने लगी.. जैसे कोई हाजमोला की गोली चूस रही हो । उसकी इस चुसाई से मेरे लौड़े में जगी नई तरंगें मुझे महसूस होने लगीं और समय के गुजरने के साथ साथ मेरा लौड़े ने फिर से माया के मुँह की गर्मी पाकर हिलोरे मारने शुरू कर दिए.. जिसे माया ने भी महसूस किया और मुझसे हँसते हुए बोली- अब होश मत खोना.. बस थोड़ा समय और दो.. देखो कैसे अभी इसे लोहे सा सख्त करती हूँ ।
वो फिर से मेरे लौड़े को मुँह में भरकर चूसने लगी और चूसते हुए उसने मेरे दोनों हाथ पकड़ कर अपनी दोनों चूचियों पर रख दिए । मैंने उसके इस इशारे को समझ कर धीरे-धीरे उसके चूचे मसलने लगा और कुछ ही देर में मैंने महसूस किया कि मेरे लौड़े का हाल पहले ही जैसा और सख्त हो चुका था । तो मैंने माया के मुँह से अपने लौड़े को निकला जो कि उसके थूक और मक्खन से सना होने के कारण काफी चमकदार और सुन्दर महसूस हो रहा था.. जैसे उस पर पॉलिश की गई हो । अब सुपाड़ा भी अपने रंग में वापसी कर चुका था.. जो कि शायद बर्फ की ठंडक के कारण नीला सा हो गया था । फिर धीरे से मैंने माया के माथे को चूमा और उसे ‘थैंक्स’ बोला.. तो बोली- अरे इसमें थैंक्स की क्या बात है.. ये तो सब चलता है.. और किसी का भी ‘आइटम’ इतनी जल्दी खराब नहीं होता.. तभी भगवान ने इसमें हड्डियां नहीं दीं..
ये कह कर वो हँसने लगी । तो मैंने माया के कन्धों को पकड़ा और उसे उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया और उसके दोनों हाथों को सर के ऊपर ले जाकर उसे चूमते हुए.. उसके मम्मों को भींचने लगा । जबकि माया अभी तक इससे अनजान होते हुए बंद आँखों से मेरे होंठों का रस चूस रही थी.. उसे क्या पता की आज मैं उसे कौन सा दर्द देने वाला हूँ और फिर मैंने उसके हाथों पर थोड़ा पकड़ मजबूत की.. तो बोली- अरे हाथों को इतना न कसो.. दर्द होता है । तो मैंने बोला- जानेमन.. अभी तो बहुत बोल रही थीं कि दर्द में मज़ा आता है.. अब क्या हुआ.. अब तू देखती जा.. तेरे साथ क्या होने वाला है ।
तो मारे आश्चर्य के उसकी दोनों आँखें बाहर निकल आईं और बहुत सहमे हुए तरीके से बोली- अब कैसा दर्द देने वाले हो.. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है । तो मैंने बोला- समझ जाओगी.. बस आँखें बंद करो और ऐसे ही लेटी रहो.. अब क्योंकि मैं उसके ऊपर था.. तो मैंने उसके ऊपर अपने शरीर का भार डाल दिया और डोरी को पहले आहिस्ते से पलंग की रैक को खींचने वाले छल्ले में बाँध दिया जिसमें कि पहले से ही लॉक लगा हुआ था । जिसका माया को बिल्कुल भी अहसास न था कि क्या हो रहा.. बल्कि वो भूखी शेरनी की तरह वासना की आग से तड़पती हुई मेरी गर्दन और छाती को चूसने और चाटने में लगी हुई थी ।
फिर मैंने धीरे से अपने पैरों को सिकोड़ लिया और उसकी छाती पर ही बैठ गया ताकि वो कुछ भी न कर सके । वो जब तक कुछ समझ पाती.. मैंने उसके हाथों में रस्सी का फन्दा सा बनाकर मज़बूती से कस दिया और उसके ऊपर से हटकर उसके होंठों को चूसने लगा.. जिससे माया जो बोलना चाह रही थी.. वो बोल ही न सकी । मैं इसी तरह निरंतर उसके होंठों को चूसते हुए उसके मम्मों को रगड़े जा रहा था जिसमें माया का अंग-अंग उमंग में भरकर नाचने लगा था ।
तो मैंने सोचा.. अब मौका सही है.. अब ये कुछ मना नहीं करेगी । मैंने उसके होंठों को आज़ाद करके जैसे ही उठा और बर्फ की ट्रे हाथों में पकड़ी.. वो तुरंत ही चीखकर बोली- अरे राहुल.. अब क्या करने वाले हो.. मुझे बहुत डर लग रहा है.. प्लीज़ पहले मैं बोला- यार वो एक बार हो गया… अब ऐसे कभी नहीं करूँगा.. पर दर्द तो जरूर दूँगा.. जब तुझे दर्द में सिसियाते हुए देखता हूँ और तेरी दर्द भरी चीखें मेरे कानों में जाती हैं.. तो मेरा जोश और बढ़ जाता है.. पर अब दर्द देने वाली जगह पर ही दर्द दूँगा ।
तो वो हँसते हुए बोली- बड़ा मर्द बनने का शौक है तुझे.. चल देखती हूँ कि तू कितना दर्द देता है.. मुझे भी तेरे दर्द देने वाली जगह पर दर्द देने में एक अजीब से प्यार की अनुभूति होती है.. जो कि मुझे तेरा दीवाना बनाए हुए है । यह कहते हुए उसने मक्खन निकाला और मेरे लौड़े पर मलने लगी । फिर ऊपरी सतह पर लगाने के बाद उसने थोड़ा मक्खन और निकाला और मेरे लौड़े की खाल को खींच कर सुपाड़े पर हल्के-हल्के नर्म उँगलियों का स्पर्श देते हुए मलने लगी । मैंने ध्यान से देखा तो सुपाड़े का रंग गुलाबी न होकर कुछ कुछ बैंगनी सा हो गया था.. तो मैं चिंता में पड़ कर सोचने लगा कि ये गुलाबी से बैंगनी कैसे हो गया ?
तो मेरे दिमाग में आया या तो यह चोट के कारण है.. या फिर बर्फ की ठंडक का कमाल है ? खैर.. अब सब कुछ मैंने माया पर छोड़ दिया था । फिर उसने सहलाते हुए मेरे लौड़े को फिर से अपने मुख में ढेर सारा थूक भर कर ले लिया और अपने होंठों से मेरे लौड़े पर पकड़ मजबूत बना दी.. जिससे मुझे मेरे सामान पर गर्मी का अहसास होने लगा । फिर कुछ देर यूँ ही रखने के बाद माया बिना होंठों को खोले अन्दर ही अन्दर मेरे लौड़े के सुपाड़े को चूसने लगी.. जैसे कोई हाजमोला की गोली चूस रही हो । उसकी इस चुसाई से मेरे लौड़े में जगी नई तरंगें मुझे महसूस होने लगीं और समय के गुजरने के साथ साथ मेरा लौड़े ने फिर से माया के मुँह की गर्मी पाकर हिलोरे मारने शुरू कर दिए..
जिसे माया ने भी महसूस किया और मुझसे हँसते हुए बोली- अब होश मत खोना.. बस थोड़ा समय और दो.. देखो कैसे अभी इसे लोहे सा सख्त करती हूँ । वो फिर से मेरे लौड़े को मुँह में भरकर चूसने लगी और चूसते हुए उसने मेरे दोनों हाथ पकड़ कर अपनी दोनों चूचियों पर रख दिए । मैंने उसके इस इशारे को समझ कर धीरे-धीरे उसके चूचे मसलने लगा और कुछ ही देर में मैंने महसूस किया कि मेरे लौड़े का हाल पहले ही जैसा और सख्त हो चुका था । तो मैंने माया के मुँह से अपने लौड़े को निकला जो कि उसके थूक और मक्खन से सना होने के कारण काफी चमकदार और सुन्दर महसूस हो रहा था.. जैसे उस पर पॉलिश की गई हो । अब सुपाड़ा भी अपने रंग में वापसी कर चुका था.. जो कि शायद बर्फ की ठंडक के कारण नीला सा हो गया था ।
फिर धीरे से मैंने माया के माथे को चूमा और उसे ‘थैंक्स’ बोला.. तो बोली- अरे इसमें थैंक्स की क्या बात है.. ये तो सब चलता है.. और किसी का भी ‘आइटम’ इतनी जल्दी खराब नहीं होता.. तभी भगवान ने इसमें हड्डियां नहीं दीं.. ये कह कर वो हँसने लगी । तो मैंने माया के कन्धों को पकड़ा और उसे उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया और उसके दोनों हाथों को सर के ऊपर ले जाकर उसे चूमते हुए.. उसके मम्मों को भींचने लगा । जबकि माया अभी तक इससे अनजान होते हुए बंद आँखों से मेरे होंठों का रस चूस रही थी.. उसे क्या पता की आज मैं उसे कौन सा दर्द देने वाला हूँ और फिर मैंने उसके हाथों पर थोड़ा पकड़ मजबूत की.. तो बोली- अरे हाथों को इतना न कसो.. दर्द होता है ।
तो मैंने बोला- जानेमन.. अभी तो बहुत बोल रही थीं कि दर्द में मज़ा आता है.. अब क्या हुआ.. अब तू देखती जा.. तेरे साथ क्या होने वाला है । तो मारे आश्चर्य के उसकी दोनों आँखें बाहर निकल आईं और बहुत सहमे हुए तरीके से बोली- अब कैसा दर्द देने वाले हो.. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है । तो मैंने बोला- समझ जाओगी.. बस आँखें बंद करो और ऐसे ही लेटी रहो.. अब क्योंकि मैं उसके ऊपर था.. तो मैंने उसके ऊपर अपने शरीर का भार डाल दिया और डोरी को पहले आहिस्ते से पलंग की रैक को खींचने वाले छल्ले में बाँध दिया जिसमें कि पहले से ही लॉक लगा हुआ था ।
जिसका माया को बिल्कुल भी अहसास न था कि क्या हो रहा.. बल्कि वो भूखी शेरनी की तरह वासना की आग से तड़पती हुई मेरी गर्दन और छाती को चूसने और चाटने में लगी हुई थी । फिर मैंने धीरे से अपने पैरों को सिकोड़ लिया और उसकी छाती पर ही बैठ गया ताकि वो कुछ भी न कर सके । वो जब तक कुछ समझ पाती.. मैंने उसके हाथों में रस्सी का फन्दा सा बनाकर मज़बूती से कस दिया और उसके ऊपर से हटकर उसके होंठों को चूसने लगा.. जिससे माया जो बोलना चाह रही थी.. वो बोल ही न सकी । मैं इसी तरह निरंतर उसके होंठों को चूसते हुए उसके मम्मों को रगड़े जा रहा था जिसमें माया का अंग-अंग उमंग में भरकर नाचने लगा था ।
तो मैंने सोचा.. अब मौका सही है.. अब ये कुछ मना नहीं करेगी । मैंने उसके होंठों को आज़ाद करके जैसे ही उठा और बर्फ की ट्रे हाथों में पकड़ी.. वो तुरंत ही चीखकर बोली- अरे राहुल.. अब क्या करने वाले हो.. मुझे बहुत डर लग रहा है.. प्लीज़ पहले अब माया बोली- राहुल अब अन्दर डाल दे.. मुझे बर्दाश्त नहीं होता । तो मैंने भी सोचा वैसे भी समय बर्बाद करने से क्या फायदा.. चल अब काम पर लग ही जाते हैं । वैसे भी अभी गाण्ड भी मारनी है गाण्ड मारने का ख़याल आते ही मेरा ध्यान उसके छेद पर गया जो कि काफी कसा हुआ था ।
मैं सोच में पड़ गया कि मेरा लौड़ा आखिर इतने छोटे और कैसे छेद को कैसे भेदेगा । इतने में ही मेरे दिमाग में एक और खुराफात ने जन्म लिया और वो यह था कि माया की गाण्ड का छेद बर्फ से बढ़ाया जाए.. क्योंकि उसमें किसी भी तरह का कोई रिस्क भी नहीं था.. अन्दर रह भी गई तो घुल कर निकल जाएगी.. पर माया तैयार होगी भी या नहीं इसी उलझन में था । इतने में माया खुद ही बोल पड़ी- अब क्या हुआ जान.. क्या सोचने लगे ?
तो मैंने उससे बोला- मुझे तो पीछे करना था.. पर तुमने पहले आगे की शर्त रखी है.. पर मैं ये सोच रहा हूँ.. अगर आगे करते हुए तुम्हारी गाण्ड में अगर बर्फ ही डालता रहूँ तो उसका छेद आसानी से फ़ैल सकता है । तो वो बोली- यार तेरे दिमाग में इतने वाइल्ड और रफ आईडिया आते कहाँ से हैं ?
तो मैं हँसते हुए बोला- चलो बन जाओ घोड़ी.. अब मैं तेरी सवारी भी करूँगा और तेरी गाण्ड भी चौड़ी करूँगा । तो वो बोली- पहले हाथ तो खोल दे.. अब मेरे हाथों में भी दर्द सा हो रहा है । तो मैंने उसके हाथों की रस्सी खोली और रस्सी खुलते ही उसने मेरे सीने से चिपक कर मेरे होंठों को चूसा और मेरा लण्ड सहलाती हुई मेरी गर्दन पर अपनी गर्म साँसों का एहसास कराते हुए मेरे लौड़े तक पहुँच गई । फिर से उसे मुँह में लेकर कुछ देर चूसा और फिर बिस्तर से उतार कर बिस्तर का कोना पकड़ कर घोड़ी की तरह झुक गई । मैंने भी मक्खन ले कर अच्छे से उसकी गाण्ड के छेद में भर दिया और अपनी ऊँगली उसकी गाण्ड में घुसेड़ कर अच्छे से मक्खन अन्दर तक लगा दिया.. जिससे आराम से ऊँगली अन्दर-बाहर होने लगी ।
फिर मैंने एक बर्फ का टुकड़ा लिया और उसकी गाण्ड में घुसड़ने के लिए छेद पर दबाने लगा.. पर इससे माया को तकलीफ होने लगी.. अब मेरा आईडिया मुझे फेल होता नज़र आ रहा था.. तो मैंने सोचा क्यों न कुछ और किया जाए । तो फिर मैंने अपने लण्ड को पीछे से ही माया की चूत में डाल दिया और उसे धीरे-धीरे पीछे से लण्ड को गहराई तक पेलते हुए चोदने लगा.. जिससे मेरा लण्ड उसकी बच्चेदानी से टकरा जाता और माया के मुँह से ‘आआआह स्स्स्स्स्स्स्श’ की सीत्कार फूट पड़ती । मैं लौड़ा पेलना के साथ ही साथ उसके चूचों को ऐसे दाब रहा था.. जैसे कोई हॉर्न बजा रहा हूँ ।
जब मैंने देखा कि माया पूरी तरह मदहोश हो चुकी थी तो मैंने फिर से ऊँगली उसके गाण्ड के छेद में डाल दी.. जो कि आराम से अन्दर-बाहर हो रही थी । इसी तरह दो ऊँगलियाँ एक साथ डालीं.. वो भी जब आराम से आने जाने लगीं.. तो मैंने फिर से उसकी गाण्ड में बर्फ का टुकड़ा डाला.. पर इस बार उसकी गाण्ड अपने आप ही खुल बंद हो रही थी और बर्फ का ठंडा स्पर्श पाते ही माया का रोम-रोम रोमांचित हो उठा ।
उसकी सीत्कार ‘आआआह्ह्ह स्स्स्श्ह्ह्ह्ह ष्ह्ह उउउउम’ उसके अन्दर हो रहे आनन्द मंथन को साफ़ ब्यान कर रही थी । उसकी गाण्ड की गर्मी पाकर बर्फ जब घुलने सी लगी तो उसकी ठंडी बूँदें उसकी चूत तक जा रही थीं.. जिससे माया को अद्भुत आनन्द मिल रहा था । वो मस्तानी चुदक्कड़ सी सिसिया रही थी, ‘बस ऐसे ही.. अह्ह्हह्ह उउउउम.. और तेज़ करो राहुल.. मुझे बहुत अच्छा लग रहा है.. आआआअह वो अपनी चूत से गर्म रस-धार छोड़ने लगी.. जिससे मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था । एक तो बाहर बर्फ का ठंडा पानी जो कि लौड़े पर गिर रहा था और अन्दर माया के जलते हुए बदन का जलता हुआ गर्म काम-रस.. मुझसे भी अब रहा नहीं जा रहा था ।
जैसे रेस का घोड़ा अपनी मंजिल तक पहुँचने के लिए पूरी ताकत लगा देता है.. वैसे ही मैं पूरी ताकत और रफ़्तार के साथ उसकी चूत में अपना लौड़ा पेलने लगा । जिससे माया लौड़े की हर ठोकर पर ‘आआअह… अह्ह्ह् उउम्म्म ष्ह्ह स्स्स्श्ह्ह्ह’ के साथ जवाब देते-देते चोटें झेलने लगी । उसकी आवाज़ों ने मुझे इतना मदहोश कर दिया था कि मैंने फिर से अपने होश को खो दिया और जो बर्फ का टुकड़ा उसकी गाण्ड के छेद पर टिका रखा था, उसे किसी बटन की तरह उसकी गाण्ड में पूरी ताकत से अंगूठे से दबा दिया.. जिससे एक ही बार में उसकी गाण्ड में बर्फ का टुकड़ा चला गया ।
अब माया गहरी पीड़ा भरी आवाज़ के साथ चिल्लाने लगी- आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह म्मा.. माँ मार.. डाला.. उसकी तो जैसे जान ही निकल गई हो.. पर अब क्या हो सकता था उसे तो निकाला भी नहीं जा सकता था और उसकी आँखों के सामने अंधेरा सा छा गया जो कि मुझे बाद में पता चला । खैर.. अब तो मेरा काम हो ही चुका था.. और माया उसी तरह अपनी टाँगें फैलाए बिस्तर पर सर रखकर झुकी-झुकी ही दर्द पर काबू पाते हुए ‘आआअह आआआह उउउम्म्म्म्म’ कराहने लगी ।
उसके अनुभव के अनुसार उसे उस वक़्त चूत चुदाई का आनन्द और गाण्ड में बर्फ का दर्द दोनों का मिला-जुला अहसास हो रहा था । खैर मैंने उसी तरह माया की ठुकाई करते हुए उसकी चूत में ही अपना वीर्य उगल दिया.. जिससे माया को अपनी चूत में तो राहत सी मिल गई किन्तु उसकी गाण्ड में अब खुजली बढ़ चुकी थी । उसकी गाण्ड की गर्मी का साफ़ पता चल रहा था क्योंकि बर्फ का टुकड़ा लगभग एक मिनट में ही पिघल कर आधा रह गया था । तो मैंने भी वक़्त की नज़ाकत को समझते हुए सोचा.. अभी लोहा गर्म है बेटा.. मार ले हथौड़ा.. नहीं तो चूक जाएगा । तो मैंने तुरंत ही झुककर उसकी पीठ सहलाते हुए उसे चुम्बन भी करना चालू कर दिया और बर्फ के पिघलने से माया का दर्द भी कम सा हो गया था ।
उसके शरीर में रोमांच की तरंगें फिर से उमड़ने लगी थीं.. तो मैंने फिर से उसे यूँ ही प्यार देते हुए जहाँ तक ऊँगलियां जा सकती थीं.. से बचे हुए बर्फ के टुकड़े को और अन्दर करने लगा । फिर मैं अपनी दोनों ऊँगलियां अन्दर-बाहर करते हुए आश्चर्य में था कि पहले जो आराम से नहीं हो रहा था.. पर वो अब आराम से हो रहा था । तो मैंने फिर से एक बर्फ का टुकड़ा लिया और उसकी गाण्ड में दबा दिया जो कि अन्दर नहीं जा पा रहा था और माया फिर से ‘आआअह’ कराह उठी । तो मैंने बर्फ के टुकड़े को मक्खन में सान कर फिर से उसकी गाण्ड में झटके से दबा दिया.. तो इस बार फिर से बर्फ का टुकड़ा गाण्ड में आराम से चला गया और ख़ास बात यह थी कि अबकी बार माया को भी दर्द न हुआ ।
जैसा कि उसने बाद में बताया था कि पहली बार जब अन्दर घुसा था तो उसे ऐसा लगा जैसे उसे चक्कर सा आ रहा है.. उसकी आँखें भी बंद हो चुकी थीं और काफी देर तक उसकी आँखों में अधेरा छाया रहा था.. जैसे किसी ने उसकी जान ही ले ली हो । उसे सुनाई तो दे रहा था.. पर कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था । खैर मैंने यूँ ही बर्फ के टुकड़े डाल डाल कर माया की गाण्ड को अच्छे से फैला दिया था । जब बर्फ का टुकड़ा आराम से अन्दर-बाहर होने लगा.. तो मैंने भी देर न करते हुए माया को चूमा और उसे उठा कर.. फिर से उसके होंठों का रसपान किया और उसके मम्मों को रगड़-रगड़ कर मसलते हुए उसकी चुदाई की आग को हवा देने लगा ।
मेरा लौड़ा भी पूरे शबाव में आकर लहराते हुए उसके पेट पर उम्मीदवारी की दस्तक देने लगा.. जिसे माया ने बड़े प्यार से पकड़ा और उसे चूमते हुए बोली- बहुत जालिम हो गए हो.. अब अपनी गुड़िया को दर्द दिए बिना भी नहीं मानते । वो कुछ इस तरह से बोल रही थी कि उसके शब्द थे तो मेरे लिए.पर वो मेरे लौड़े के लिए लग रहे थे । तो मैंने भी अपने लौड़े को लहराते हुए उससे बोला- जान बस आखिरी इच्छा और पूरी कर दे.. फिर जब तू कहेगी तेरी हर तमन्ना खुशी से पूरी कर दूँगा । तो वो उसे मुँह में भरकर कुछ देर चूसने के बाद बोली- ले अब मार ले बाजी.. लेकिन प्यार से.. उसकी आवाज़ों ने मुझे इतना मदहोश कर दिया था कि मैंने फिर से अपने होश को खो दिया और जो बर्फ का टुकड़ा उसकी गाण्ड के छेद पर टिका रखा था, उसे किसी बटन की तरह उसकी गाण्ड में पूरी ताकत से अंगूठे से दबा दिया.. जिससे एक ही बार में उसकी गाण्ड में बर्फ का टुकड़ा चला गया ।
अब माया गहरी पीड़ा भरी आवाज़ के साथ चिल्लाने लगी- आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह म्मा.. माँ मार.. डाला.. उसकी तो जैसे जान ही निकल गई हो.. पर अब क्या हो सकता था उसे तो निकाला भी नहीं जा सकता था और उसकी आँखों के सामने अंधेरा सा छा गया जो कि मुझे बाद में पता चला । खैर.. अब तो मेरा काम हो ही चुका था.. और माया उसी तरह अपनी टाँगें फैलाए बिस्तर पर सर रखकर झुकी-झुकी ही दर्द पर काबू पाते हुए ‘आआअह आआआह उउउम्म्म्म्म’ कराहने लगी । उसके अनुभव के अनुसार उसे उस वक़्त चूत चुदाई का आनन्द और गाण्ड में बर्फ का दर्द दोनों का मिला-जुला अहसास हो रहा था ।
खैर मैंने उसी तरह माया की ठुकाई करते हुए उसकी चूत में ही अपना वीर्य उगल दिया.. जिससे माया को अपनी चूत में तो राहत सी मिल गई किन्तु उसकी गाण्ड में अब खुजली बढ़ चुकी थी । उसकी गाण्ड की गर्मी का साफ़ पता चल रहा था क्योंकि बर्फ का टुकड़ा लगभग एक मिनट में ही पिघल कर आधा रह गया था । तो मैंने भी वक़्त की नज़ाकत को समझते हुए सोचा.. अभी लोहा गर्म है बेटा.. मार ले हथौड़ा.. नहीं तो चूक जाएगा । तो मैंने तुरंत ही झुककर उसकी पीठ सहलाते हुए उसे चुम्बन भी करना चालू कर दिया और बर्फ के पिघलने से माया का दर्द भी कम सा हो गया था ।
उसके शरीर में रोमांच की तरंगें फिर से उमड़ने लगी थीं.. तो मैंने फिर से उसे यूँ ही प्यार देते हुए जहाँ तक ऊँगलियां जा सकती थीं.. से बचे हुए बर्फ के टुकड़े को और अन्दर करने लगा । फिर मैं अपनी दोनों ऊँगलियां अन्दर-बाहर करते हुए आश्चर्य में था कि पहले जो आराम से नहीं हो रहा था.. पर वो अब आराम से हो रहा था । तो मैंने फिर से एक बर्फ का टुकड़ा लिया और उसकी गाण्ड में दबा दिया जो कि अन्दर नहीं जा पा रहा था और माया फिर से ‘आआअह’ कराह उठी । तो मैंने बर्फ के टुकड़े को मक्खन में सान कर फिर से उसकी गाण्ड में झटके से दबा दिया.. तो इस बार फिर से बर्फ का टुकड़ा गाण्ड में आराम से चला गया और ख़ास बात यह थी कि अबकी बार माया को भी दर्द न हुआ ।
जैसा कि उसने बाद में बताया था कि पहली बार जब अन्दर घुसा था तो उसे ऐसा लगा जैसे उसे चक्कर सा आ रहा है.. उसकी आँखें भी बंद हो चुकी थीं और काफी देर तक उसकी आँखों में अधेरा छाया रहा था.. जैसे किसी ने उसकी जान ही ले ली हो । उसे सुनाई तो दे रहा था.. पर कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था । खैर मैंने यूँ ही बर्फ के टुकड़े डाल डाल कर माया की गाण्ड को अच्छे से फैला दिया था । जब बर्फ का टुकड़ा आराम से अन्दर-बाहर होने लगा.. तो मैंने भी देर न करते हुए माया को चूमा और उसे उठा कर.. फिर से उसके होंठों का रसपान किया और उसके मम्मों को रगड़-रगड़ कर मसलते हुए उसकी चुदाई की आग को हवा देने लगा ।
मेरा लौड़ा भी पूरे शबाव में आकर लहराते हुए उसके पेट पर उम्मीदवारी की दस्तक देने लगा.. जिसे माया ने बड़े प्यार से पकड़ा और उसे चूमते हुए बोली- बहुत जालिम हो गए हो.. अब अपनी गुड़िया को दर्द दिए बिना भी नहीं मानते । वो कुछ इस तरह से बोल रही थी कि उसके शब्द थे तो मेरे लिए.. पर वो मेरे लौड़े के लिए लग रहे थे । तो मैंने भी अपने लौड़े को लहराते हुए उससे बोला- जान बस आखिरी इच्छा और पूरी कर दे.. फिर जब तू कहेगी तेरी हर तमन्ना खुशी से पूरी कर दूँगा । तो वो उसे मुँह में भरकर कुछ देर चूसने के बाद बोली- ले अब मार ले बाजी.. लेकिन प्यार से मैं माया से कुछ बोलता कि इसके पहले ही माया बोली- क्यों अब हो गई न इच्छा पूरी ?
तो मैंने बोला- अभी काम आधा हुआ है ।
वो बोली- चलो फिर पूरा कर लो.. तो मैंने फिर से उसकी गाण्ड से लौड़ा निकाला और तेज़ी के साथ लौड़े को फिर से अन्दर पेल दिया जो कि उसकी जड़ तक एक ही बार में पहुँच गया। जिससे माया के मुख से दर्द भरी सीत्कार, ‘अह्ह्ह ह्ह.. आआआह मार डाला स्स्स्स्श्ह्ह्ह्ह’ फूट पड़ी और आँखों के सामने अँधेरा सा छा गया । और मैं उस पर रहम खाते हुए कुछ देर यूँ ही रुका रहा और आगे को झुक कर मैंने उसकी पीठ को चूमते हुए उसकी चूत में ऊँगली डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा । इसके कुछ देर बाद ही माया सामान्य होते हुए चूत में उँगलियों का मज़ा लेते सीत्कार करने लगी ।
अब मैंने भी इसी तरह उसकी चूत में ऊँगली देते हुए उसकी गाण्ड में लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा फिर कुछ ही समय बाद चूत की खुजली मिटाने के चक्कर में माया खुद ही कमर चलाते हुए तेज़ी से आगे-पीछे होने लगी और उसके स्वर अब दर्द से आनन्द में परिवर्तित हो चुके थे । मैंने वक़्त की नज़ाकत को समझते हुए अपनी भी गति बढ़ा दी और अब मेरा पूरा ‘सामान’ बिना किसी रुकावट के.. उसको दर्द दिए बिना ही आराम से अन्दर-बाहर होने लगा ।
जिससे मुझे भी एक असीम आनन्द की प्राप्ति होने लगी थी.. जिसको शब्दों में परिभाषित नहीं किया जा सकता है । देखते ही देखते माया की चूत रस से मेरी ऊँगलियां ऐसे भीगने लगीं जैसे किसी ने अन्दर पानी की टोंटी चालू कर दी हो । पूरे कमरे उसकी सीत्कारें गूंज रही थी- आआआअह्ह्ह उउम्म्म्म स्सस्स्स्स्श ज्ज्ज्जाअण आआअह आआइ जान बहुत मज़ा आ रहा है.. मुझे नहीं मालूम था कि इतना मज़ा भी आएगा.. शुरू में तो तूने फाड़ ही दी थी.. पर अब अच्छा लग रहा है.. तुम बस अन्दर-बाहर करते रहो.. लूट लो इसके कुंवारेपन का मज़ा.. तो मैं भी बेधड़क हो उसकी गाण्ड में बिना रुके ऐसे लण्ड ठूँसने लगा.. जैसे ओखली में मूसल चल रहा हो ।
उसकी चीखने की आवाजें, ‘उउउउम्म्म्म आआआअह्ह्ह्ह श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हह अह्ह्हह आह आआह’ मेरे कानों में पड़ कर मेरा जोश बढ़ाने लगीं । जिससे मेरी रफ़्तार और तेज़ हो गई और मैं अपनी मंजिल के करीब पहुँच गया। अति-उत्तेजना मैंने अपने लौड़े को ऐसे ठेल दिया जैसे कोई दलदल में खूटा गाड़ दिया हो । इस कठोर चोट के बाद मैंने अपना सारा रस उसकी गाण्ड के अंतिम पड़ाव में छोड़ने लगा और तब तक ऐसे ही लगा रहा.. जब तक उसकी पूरी नली खाली न हो गई । फिर मैंने उसकी गाण्ड को मुट्ठी में भरकर कसके भींचा और रगड़ा.. जिससे काफी मज़ा आ रहा था। और आए भी क्यों न.. माया की गाण्ड किसी स्पंज के गद्दे से काम न थी ।
फिर इस क्रीड़ा के बाद मैं आगे को झुका और उसकी पीठ का चुम्बन लेते हुए.. उसकी बराबरी में जाकर लेट गया । अब उसका सर नीचे था और गाण्ड ऊपर को उठी थी.. तो मैं उसके गालों पर चुम्बन करते हुए उसकी चूचियों को छेड़ने लगा.. पर वो वैसे ही रही । मैंने पूछा- क्या हुआ.. सीधी हो जाओ.. अब तो हो चुका जो होना था । तो माया अपना सर मेरी ओर घुमाते हुए बोली- राहुल तूने कचूमर निकाल दिया । उस समय तो जोश में मैंने भी रफ़्तार बढ़ा दी थी.. पर अब जरा भी हिला नहीं जा रहा है । तो मैंने उसे सहारा देते हुए आहिस्ते से लिटाया और मेरे लिटाते ही माया की गाण्ड मेरे लावे के साथ-साथ खून भी उलट रही थी जो कि उसके अंदरुनी भाग के छिल जाने से हो रहा था ।
मैंने माया के चेहरे की ओर देखा जो कि इस बात से अनजान थी। उसकी आँखें बंद और चेहरे पर ओस की बूंदों के समान पसीने की बूँदें चमक रही थीं और मुँह से दर्द भरी आवाज लगातार ‘आआआअह अह्ह्हह्ह श्ह्ह्ह्ह्ह’ निकाले जा रही थी । मैं उसकी इस हालत तरस खाते हुए वाशरूम गया और सोख्ता पैड और गुनगुना पानी लाकर उसकी गाण्ड और चूत की सफाई की.. जिससे माया ने मेरे प्यार के आगोश में आकर मुझे अपने दोनों हाथ खोल कर अपनी बाँहों में लेने का इशारा किया ।
तो मैं भी अपने आपको उसके हवाले करते हुए उसकी बाँहों में चला गया । उसने मुझे बहुत ही आत्मीयता के साथ प्यार किया और बोली- तुम मेरा इतना ख़याल रखते हो.. मुझे बहुत अच्छा लगता है.. आज से मेरा सब कुछ तुम्हारा राहुल.. आई लव यू.. आई लव यू.. सो मच.. मुझे बस इसी तरह प्यार देते रहना । मैंने माया के चेहरे की ओर देखा जो कि इस बात से अनजान थी। उसकी आँखें बंद और चेहरे पर ओस की बूंदों के समान पसीने की बूँदें चमक रही थीं और मुँह से दर्द भरी आवाज लगातार ‘आआआअह अह्ह्हह्ह श्ह्ह्ह्ह्ह’ निकाले जा रही थी ।
मैं उसकी इस हालत तरस खाते हुए वाशरूम गया और सोख्ता पैड और गुनगुना पानी लाकर उसकी गाण्ड और चूत की सफाई की.. जिससे माया ने मेरे प्यार के आगोश में आकर मुझे अपने दोनों हाथ खोल कर अपनी बाँहों में लेने का इशारा किया । तो मैं भी अपने आपको उसके हवाले करते हुए उसकी बाँहों में चला गया । उसने मुझे बहुत ही आत्मीयता के साथ प्यार किया और बोली- तुम मेरा इतना ख़याल रखते हो.. मुझे बहुत अच्छा लगता है.. आज से मेरा सब कुछ तुम्हारा राहुल.. आई लव यू.. आई लव यू.. सो मच.. मुझे बस इसी तरह प्यार देते रहना ।
ये कहते हुए उसने अपना हाथ मेरे लौड़े पर रख दिया और मेरी आँखों में देखते हुए मुझसे बात करते-करते मेरे लौड़े को मुठियाने लगी । उसकी इस अदा पर में’ फ़िदा ही हो गया था.. आज भी जब कल्पना करता हूँ.. उसके खुले रेशमी बाल.. बड़ी आँखें उसके होंठ.. समझ लो आज भी बस यही सोचकर मुट्ठ मार लेता हूँ । खैर.. अब कहानी में आते हैं.. तो मैं उसके इस रूप पर इतना मोहित हो गया कि बिना कुछ बोले बस एकटक उसे ही देखता रहा… जैसे कि मैं उसे अपनी कल्पनाओं में चोदे जा रहा हूँ.. और देखते ही देखते मैंने उसके होंठों पर अपने होंठों से आक्रमण कर दिया और उसे बेतहाशा मदहोशी के आगोश में आकर चूमने चाटने लगा ।
जिससे माया का भी स्वर बदल गया और उसकी बोलती बंद हो गई और बीच-बीच में बस ‘आआह्ह्ह श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.. ऊऊम्म’ के स्वर निकालने लगी । मैं उसके चूचे ऐसे चूसे जा रहा था जैसे गाय के पास जाकर उसका बछड़ा उसके थनों से दूध चूसता है । फिर कुछ देर बाद देखा तो वो भी मेरी ही तरह से पूरी तरह से मदहोशी के आगोश में आकर अपने दूसरे निप्पल को रगड़कर दबाते हुए, ‘आह्ह्ह्ह्ह श्ह्ह्ह्ह्ह्ह.. उउउउउम..’ की ध्वनि निकाल रही थी.. जिससे कि मेरा जोश और बढ़ गया । मैंने उसे वैसे ही लिटाया और उसके पैरों के बीच खड़ा होकर.. उसकी चूत में एक ही बार में लण्ड डालकर.. उसे जबरदस्त तरीके से गर्दन को बाएं हाथ से पलंग पर दबाकर तेज़ ठोकरों के साथ चोदने लगा ।
माया की सीत्कार ‘आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह’ चीत्कार में बदल गई । ‘अह्ह्हह्ह.. बहुत मज़ा आ रहा है राहुल.. बस ऐसे ही करते आह्ह्ह्ह रहो..।’देखते ही देखते माया का शरीर ढीला पड़ गया और मैं भी उसके साथ तो नहीं… पर उसके शांत होते ही अपने लौड़े का गर्म उबाल.. उगल दिया । फिर उसके मम्मों पर सर रखकर आराम करने लगा । सच बताऊँ दोस्तों इसमें हम दोनों को बहुत मज़ा आया था । थोड़ी देर यू हीं लेटे रहने के बाद माया मेरे सर को अपने हाथों से सहलाते हुए चूमने लगी और बोली- राहुल तुम मेरे साथ जब भी.. कैसे भी.. करते हो, मुझे बहुत अच्छा लगता है और सुकून मिलता है.. मुझे अपना प्यार इसी तरह देते रहना । मैंने बोला- तुमसे भी मुझे बहुत सुकून मिलता है.. तुम परेशान मत होना जान.. मैं हमेशा तुम्हें ऐसे ही प्यार देता रहूँगा ।
फिर वो मुझे चूमते हुए बोली- आगे की तो जंग छुड़ा कर ऑयलिंग कर दी.. पर अब पीछे की बारी है । तो मैंने हैरान होते हुए उसकी आँखों में झाँका.. तो वो तुरंत बोली- क्यों क्या हुआ.. ऐसा मैंने क्या बोल दिया.. जो इतना हैरान हो गए? तो मैंने बोला- अरे कुछ नहीं.. वो बोली- है तो कुछ.. मुझसे न छिपाओ.. अब बोल भी दो । तो मैंने बोला- अरे तुम्हारे पीछे दर्द होगा.. तो क्या बर्दास्त कर लोगी? मैंने देखा था.. महसूस भी किया था तुम्हें बहुत तकलीफ हुई थी ।
तो मुस्कुराते हुए बोली- अले मेले भोलू लाम.. तुम सच में बहुत प्यारे हो.. मेरा बहुत ख़याल रखते हो.. पर तुम्हें जानकर ख़ुशी होगी कि अब तालाब समुन्दर हो गई है.. चाहो तो खुद देख लो । वो मेरा हाथ पकड़ कर अपनी गांड के छेद पर रखते हुए बोली- खुद ही अपनी ऊँगली डालकर देख लो.. तो मैंने उसकी गांड में दो ऊँगलियां डालीं.. जो कि आराम से चली गईं । कुछ देर बाद फिर जब मैंने तीन डालीं तो उसे हल्का सा दर्द महसूस हुआ.. पर वो बोली- चलो अब जल्दी से इस दर्द को भी दूर कर दो । मैंने बोला- अच्छा.. फिर से तेल या मक्खन लगा लो ।
तो वो बोली- अरे अब उसकी जरुरत नहीं है.. मैं हूँ न.. बस तुम सीधे होकर लेट जाओ । फिर मैं सीधा ही लेट गया.. माया अपने हाथ से मेरे लण्ड को मुठियाते हुए मुँह में भरकर चूसने लगी.. जिससे मेरा लौड़ा फिर आनन्द की किश्ती में सवार हो कर झूम उठा और जब उसके मुँह से लौड़ा निकलता तो उसके माथे पर ऐसे टीप मारता.. जैसे कहता हो, ‘पगली.. ठीक से चूस..’ फिर मैंने माया को बोला- जल्दी से इसे ले लो.. वरना ये ऐसे ही उबाल खा कर भावनाओं के सागर में बह जाएगा ।
तो माया ने भी वैसा ही किया और मुँह में ज्यादा सा थूक भरकर.. मेरे लौड़े को तरबतर करके.. खुद ही मैदान सम्हालते हुए मेरे ऊपर आ गई । वो मेरे लौड़े को अपनी गांड के छेद पर टिका कर धीरे-धीरे नीचे को बैठने लगी और उसकी थूक की चिकनाई के कारण आराम से उसकी गांड ने मेरा पूरा लौड़ा निगल सा लिया था । उसकी गांड की गर्माहट पाकर मेरे अन्दर मनोभावनाओं में फिर से तूफ़ान सा जाग उठा और मैं भी कमर चलाकर उसे नीच से ठोकते हुए लण्ड की जड़ तक उसकी गांड में डालने लगा । इतना आनन्द भरा समा चल रहा था कि दोनों सब कुछ भूल कर एक-दूसरे को ठोकर मारने में लगे थे ।
माया ऊपर से नीचे.. तो मैं नीचे से ऊपर की ओर कमर चला रहा था । माया लगातार ‘अह्ह्हह्ह उउउउम..’ करते-करते चूत से पानी बहाए जा रही थी.. जिसकी कुछेक बूँदें मेरे पेट पर गिर चुकी थीं । उसको इतना मज़ा आ रहा था कि बिना चूत में कुछ डाले ही चरमोत्कर्ष के कारण स्वतः ही उसकी चूत का बाँध छूट गया और उसका कामरस मेरे पेट पर ही गिरने लगा । और देखते ही देखते माया ने निढाल सा होकर पलंग पर घुटने टिका कर.. लण्ड को अन्दर लिए ही मेरी छाती पर सर रख दिया और अपने हाथों से मेरे कंधों को सहलाने लगी ।
जिससे मेरा जोश भी बढ़ने लगा और मैंने अपने हाथों से उसके चूतड़ों को पकड़ा और मज़बूती से पकड़ते हुए नीचे से जबरदस्त स्ट्रोक लगाते हुए उसकी गांड मारने लगा । जिससे वो सीत्कार ‘श्ह्ह्ह्ह्ह्ह आआआअह..’ करते हुए जोश में आने लगी और मेरी छातियों को चूमने चाटने लगी । मैंने रफ़्तार बढ़ा कर उसे चोदते हुए उसकी गांड में अपनी कामरस की बौछार कर दी । झड़ने के साथ ही माया को अपनी बाँहों में जकड़ कर उसके सर को चूमते हुए उसे प्यार करने लगा । ऐसा लग रहा था.. जैसे सारी दुनिया का सुख भोग कर आया हूँ ।
फिर उस रात मैंने थोड़ी-थोड़ी देर रुक रूककर माया की गांड और चूत मारी.. करीब पांच बजे के आस-पास हम दोनों एक-दूसरे की बाँहों में निर्वस्त्र ही लिपटकर सो गए ।




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