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फिर वो बोली- ये कहाँ से सीखा था ? तो मैंने बोला- ब्लू-फिल्म में ऐसे करते हुए देखा था । तब उसने मुझसे मुस्कुराते हुए पूछा- तुम कब से ऐसी फिल्म देख रहे हो ? तो मैंने सच बताया कि अभी कुछ दिन पहले से ही मैं और विनोद थिएटर में दो-चार ऐसी मूवी देख चुके हैं । तो उसने आश्चर्य से पूछा- तो विनोद भी जाता है तेरे साथ ? तो मैंने ‘हाँ’ बोला.. फिर उसने पूछा- उसकी कोई गर्ल-फ्रेंड है कि नहीं? तो मैंने बताया- हाँ.. है और वो दोनों शादी के लिए तैयार हैं.. पर पढ़ाई पूरी करने के बाद… वे दोनों एक-दूसरे से काफी ज्यादा प्यार करते हैं । तो वो बोली- अच्छा तो बात यहाँ तक पहुँच गई ?
मैंने बोला- अरे.. चिंता मत करो.. वो आपकी बिरादरी की ही है और उसका स्वभाव भी बढ़िया है । तो वो बोली- दिखने में कैसी है ? मैंने बोला- अच्छी है और गोरी भी.. पर ये किसी भी तरह आप उसे मत बताना या पूछना.. नहीं तो विनोद को बुरा लगेगा.. हम तीनों के सिवा किसी को ये पता नहीं है.. पर लड़की के घर वालों को सब पता है और वक़्त आने पर वो आपके घर भी आएंगे । बोली- चलो बढ़िया है.. वैसे भी जब बच्चे बड़े हो जाएं.. तो उन्हें थोड़ी छूट देना ही चाहिए । मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया । फिर उसने पूछा- अच्छा एक बात बताओ.. उन दोनों के बीच ‘कुछ’ हुआ कि नहीं ? तो मैंने बोला- हाँ.. हुआ है.. विनोद इस मामले में मुझसे अधिक भाग्यशाली रहा है ।
तो उसने पूछा- क्यों ? मैंने उसके चेहरे के भाव देखे और बात बनाई.. और बोला- अरे उसने अपना कौमार्य एक कुँवारी लड़की के साथ खोया… तो इस पर माया रोने लगी और मुझसे रूठ कर दूसरी ओर बैठ गई । मैंने फिर उसके गालों पर चुम्बन करते हुए बोला- यार तुम भी न.. रोने क्यों लगीं ? तो उसने बोला- सॉरी.. मैं तुम्हें वो ख़ुशी नहीं दे पाई । मैंने बोला- अरे तो क्या हुआ.. माना कि तुमने ऐसा नहीं किया, पर तुमने मुझे उससे ज्यादा दिया है और तुम उससे कहीं ज्यादा खूबसूरत और आनन्द देने वाली लगती हो । यह कहते हुए मैं उसके होंठों का रसपान करने लगा.. जिसमें माया ने मेरा पूरा साथ दिया ।
करीब पांच मिनट बाद माया बोली- तुम परेशान मत होना.. अब मैं ही तुमसे एक कुँवारी लड़की चुदवाऊँगी । कहते हुए झड़ गई, जिससे मेरी ऊँगलियाँ उसके कामरस से तर-बतर हो गईं..पर मैं उसकी चूत के दाने को अभी भी धीरे-धीरे मसलता ही रहा और उसकी पीठ पर चुम्बन करते हुए उसे एक बार फिर से लण्ड खाने के लिए मज़बूर कर दिया । इस तरह जैसे ही मैंने दुबारा माया की तड़प बढ़ाई तो माया से रहा नहीं गया और ऊँचे स्वर में मुझसे बोली- जान और न तड़पाओ अब.. बुझा दो मेरी प्यास को.. तो मैंने भी देर न करते हुए थोड़ा सा उसे अपने ठोकने के मुताबिक़ ठीक किया और अपने लौड़े को हाथ से पकड़ कर उसकी चूत के ऊपर ही ऊपर घिसने लगा.. ताकि उसके कामरस से मेरे लण्ड में थोड़ी चिकनाई आ जाए.. अब माया और बेहाल हो गई और गिड़गिड़ाते स्वर में मुझसे जल्दी चोदने की याचना करने लगी ।
जिसके बाद मैंने उसके सुन्दर कोमल नितम्ब पर एक चांटा जड़ दिया और उससे बोला- बस अभी शुरू करता हूँ । मेरे द्वारा उसके नितम्ब पर चांटा मारने से उसका नितम्ब लाल पड़ गया था और उसके मुख से एक दर्द भरी ‘आह्ह्ह ह्ह्ह’ सिसकारी निकल गई जो कि काफी आनन्दभरी थी । मुझे उसकी इस ‘आह’ पर बहुत आनन्द आया था.. इसीलिए मैंने बिना सोचे-समझे.. उसके दोनों चूतड़ों पर एक बार फिर से चांटे मारे.. जिससे उसकी फिर से मस्त ‘आआआअह’ निकल गई । वो बोलने लगी- प्लीज़ अब और न तरसाओ.. जल्दी से पेल दो.. फिर मैंने अपने लौड़े को धीरे से उसकी चूत के छेद पर सैट किया और उसके चूतड़ को नीचे की ओर दबा कर अपने लण्ड को उसकी चूत में धकेला जिससे माया के मुख से एक सिसकारी ‘श्ह्ह्ह्ह्ह्ह’ निकल गई और मेरा लौड़ा लगभग आधा.. माया की चूत में सरकता हुआ चला गया और मैंने फिर से अपने लौड़े को थोड़ा बाहर निकाल कर फिर थोड़ा तेज़ अन्दर को धकेल दिया..
जिसे माया बर्दास्त न कर पाई और फिर से उसके मुख से एक चीख निकल गई । ‘आआअह्हा आआआ हाआआआ श्ह्ह्ह्ह’ मैंने इस बार बिना रुके माया की चुदाई चालू रखी। मुझे बहुत आनन्द आ रहा था मैंने फिल्म देखते वक़्त भी सोचा था कि जीवन में इस तरह एक बार जरूर चोदूँगा.. पर मेरी इच्छा इतनी जल्द पूरी हो जाएगी, इसकी कल्पना न की थी । अब मैं धीरे-धीरे माया की चूत में अपना लण्ड आगे-पीछे करने लगा.. जिससे माया को भी थोड़ी देर में आनन्द आने लगा और वो भी प्रतिक्रिया में अपनी गाण्ड पीछे दबा-दबा कर सिसियाते चुदवाने लगी ‘अह्ह्हह्ह्ह्ह उउउह्ह्ह्ह्ह् श्ह्ह्ह्ह’ यार.. सच में मुझे बहुत अच्छा लग रहा था मैंने आनन्द को और बढ़ाने के लिए उसके चूतड़ों पर फिर से चांटे मारे.. जिससे माया कराह उठती ‘आआआह दर्द होता है जान..’ इस मरमरी अदा से उसने अपनी गर्दन घुमा कर मेरी ओर देखा था कि मैं तो उसका दीवाना हो गया और मैंने अपने हाथों को उसके स्तनों पर रख दिया और उन्हें धीरे-धीरे सहलाते हुए दबाने लगा और कभी-कभी उसके टिप्पों (निप्पलों) को अपने अंगूठों से दबा देता.. जिससे माया का कामजोश दुगना हो जाता और वो तेज़-तेज़ से चुदवाने लगती ।
फिर माया को मैंने उतारा और अब मैं सोफे पर बैठ गया और उसे मैंने अपने ऊपर बैठने को बोला । वो समझ गई और मेरी ओर पीठ करके मेरे लण्ड को हाथ से अपनी चूत पर सैट करके धीरे से पूरा लण्ड निगल गई.. जैसे कोई अजगर अपने शिकार को निगल जाता है । फिर मैंने उसके चूचों को रगड़ना और मसलना चालू किया.. जिससे वो अपने आप का काबू खो बैठी और तेज़-तेज़ से चुदाई करने लगी । मुझे इतना आनन्द आ रहा था कि पता ही न चला कि हम दोनों का रस कब एक-दूसरे की कैद से आज़ाद होकर मिलन की ओर चल दिया । उसकी और मेरी.. हम दोनों की साँसें इतनी तेज़ चल रही थीं कि दोनों की साँसों को थमने में 10 मिनट लग गए और फिर हम दोनों एक-दूसरे को चुम्बन करने लगे ।
फिर उसने मेरी ओर बहुत ही प्यार भरी नज़रों से देखते हुए एक संतुष्टि भरी मुस्कान फेंकी.. तो मैंने भी उसकी इस अदा का जवाब उसकी आँखों को चूम कर दिया और पूछा- तुम्हें कैसा लगा ? तो वो बोली- सच राहुल… आज तक मुझे ऐसी फीलिंग कभी नहीं हुई.. तुमने तो सच में मुझे बहुत आनन्द दे दिया.. मैं आज बहुत खुश हूँ.. आई लव यू राहुल वो ये सब बोलते हुए मेरे लौड़े को सहलाने लगी जो कि उस वक़्त ऐसा लग रहा था जैसे कोई घोड़ा लम्बी दौड़ लगाकर सुस्ता रहा हो और मैं भी उसके शरीर में अपनी ऊँगलियां दौड़ा रहा था.. जिससे दोनों को अच्छा लग रहा था ।
मैंने माया से बोला- अच्छा मेरे इस खेल में तो तुम मज़ा ले चुकी और तुमने मेरी बात मानकर मेरी इच्छा भी पूरी की है.. तो अब मेरा भी फ़र्ज़ बनता है कि तुम जो कहो मैं वो करूँ । तो माया बोली- यार मुझे क्या पता था इसमें उससे कहीं ज्यादा मज़ा आएगा.. पर तुम अगर जानना चाहते हो कि मेरी इच्छा क्या थी.. तो तुम मेरे साथ मेरे कमरे में चलो.. इतना कहकर माया उठी और मेरा हाथ थाम कर साथ चलने का इशारा किया.. तो मैं भी खड़ा हो गया और मैंने अपना बायाँ हाथ उसकी पीठ की तरफ से कन्धों के नीचे ले जाकर उसके बाएं चूचे को पकड़ लिया ।
उसने मेरी इस हरकत पर प्यार से अपने दायें हाथ से मेरे गाल पर एक हलकी थाप देकर बोली- बहुत बदमाश हो गए हो.. कोई मौका नहीं छोड़ते.. तो मैंने धीरे से बोला- तुम हो ही इतनी मस्त.. कि मेरी जगह कोई भी होता तो यही करता.. यह कहते हुए एक बार फिर से मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में भर कर जोरदार तरीके से चूसा.. जिससे उसके होंठ लाल हो गए । होंठ छूटते ही माया बोली- सच राहुल तुम्हारी यही अदा मुझे तुम्हारा दीवाना बनने में मजबूर कर देती है.. खूब अच्छे से रगड़ लेते हो.. लगता नहीं है कि तुम इस खेल में नए हो ।
तब तक हम दोनों कमरे में आ चुके थे.. फिर माया और मैं दोनों वाशरूम गए.. वहाँ उसने गीजर ऑन किया । अब तब मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि ये चाहती क्या है.. तो मैंने उससे पूछा- गीजर क्यों ऑन किया ? तो बोली- आज मुझे भी अपनी एक इच्छा पूरी करनी है । तो मैंने आश्चर्य से उससे पूछा- कैसी इच्छा ? उसने फिर से अपने हाथों से लौड़ा पकड़ा और एक ही झटके में मेरे ऊपर बैठ गई.. जिससे मुझे ऐसा लग रहा था जैसे ठन्ड में रज़ाई का काम होता है.. ठीक वैसे ही उसकी चूत मेरे लौड़े पर अपनी गर्मी बरसा रही थी ।
यह काफी आनन्ददायक आसन था और मैं जोश में भरकर उसके टिप्पों को नोंचने और रगड़ने लगा.. जिससे उसकी दर्द भरी मादक ‘आआआह’ निकलने लगी । थोड़ी देर में ही मैंने महसूस किया मेरे लौड़े पर उसकी चूत ने बारिश कर दी और देखते ही देखते वो आँखें बंद करके मेरी बाँहों में सिकुड़ गई.. जैसे उसमें दम ही न बची हो । अब वो मुझे अपनी बाँहों में जकड़ कर मेरे सीने पर चुम्बन करने लगी..पर मेरी बरसात होनी अभी बाकी थी.. तो मैंने धीरे से उसके नितम्ब को थोड़ा सा ऊपर उठाया ताकि मैं अपने सामान को नीचे से ही आराम से उसकी चूत में पेल सकूँ.. माया भी बहुत खुश थी उसने बिना देर लगाए.. वैसा ही किया तो मैंने धीरे-धीरे कमर उठा-उठा कर उसकी ठुकाई चालू कर दी.. जिससे उसकी चूत फिर से पनियाने लगी और मेरा सामान एक बार फिर से आनन्द रस के सागर में गोते लगाने लगा ।
माया के मुँह से भी चुदासी लौन्डिया जैसी आवाज़ निकलने लगी । ‘आअह्ह्ह्ह आआह बहुत अच्छा लग रहा है जान.. आई लव यू ऐसे ही करते रहो.. दे दो मुझे अपना सब कुछ.. आआआहह आआअह म्मम्म..’ मैं भी बुदबुदाते हुए बोलने लगा- हाँ जान.. तुम्हारा ही है ये.. तुम बस मज़े लो.. और ऐसे ही देखते ही देखते हम दोनों की एक तेज ‘अह्ह्ह’ के साथ-साथ माया और मेरे सामान का पानी छूटने लगा और हम दोनों इतना थक गए कि उठने की हिम्मत ही न बची थी । कुछ देर माया मेरी बाँहों में जकड़ी हुई ऐसे लेटी रही.. जैसे कि उसमें जान ही न बची हो ।
फिर मैंने धीरे से उसे उठाया और दोनों ने शावर लिया और एक- दूसरे के अंगों को पोंछ कर कमरे में आ गए । मुझे और माया दोनों को ही काफी थकान आ गई थी तो मैंने माया को लिटाया और उससे चाय के लिए पूछा तो उसने ‘हाँ’ बोला । यार.. कुछ भी बोलो पर मुझे चाय पीने का बहाना चाहिए रहता है बस.. फिर मैं रसोई में गया और उसके और अपने लिए एक अच्छी सी अदरक वाली चाय बना ली और हम दोनों ने साथ-साथ चाय की चुस्कियों का आनन्द लिया । कुछ देर में हम दोनों की थकान मिट गई और उस रात हमने कई बार चुदाई की.. जो कि सुबह के 7 बजे तक चली.. ऐसा लग रहा था जैसे हमारी सुहागरात हो.. हम दोनों की जांघें दर्द से भर गई थीं तो मैंने और उसने एक-एक दर्द निवारक गोली खाई और एक-दूसरे को बाँहों में लेकर प्यार करते हुए कब नींद की आगोश में चले गए पता ही न चला । फिर करीब 2 से 3 बजे के आसपास मेरी आँख खुली तो मैंने अपने बगल में माया को भी सोते हुए पाया.. शायद वो भी थक गई थी ।
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