Previous Part : Dost ki Maa aur Behan ko Chodne ki Icha - 3
उसने झट से मेरी ‘हाँ’ में ‘हाँ’ मिला दी तो मैंने बोला- ठीक आठ बजे विनोद को बोलना कि वो मेरे नम्बर पर काल करे तो में अपनी माँ से बात करा दूँगा । उसे बस इतना बोलना है कि मेरी माँ आज घर पर अकेली है तो आप राहुल को रात में घर में सोने के लिए भेज दें.. बस बाकी का मैं सम्हाल लूँगा । इस पर माया चेहरा खिल उठा और वो मुझे प्यार से चुम्बन करने लगी और बोली- तुम तो बहुत होशियार हो । फिर मुझे याद आया कि मेरा तो सेल-फोन टूट गया है.. तो मै मन ही मन निराश हो गया । मेरे चेहरे के भावों को देखकर माया बोली- अब दुखी क्यों हो गए ?
तो मैंने उन्हें अपना फोन दिखाते हुए सारी घटना कह सुनाई । वो हँसते हुए बोली- तुम्हें जब सब पता चल चुका था.. तो ड्रामा क्यों कर थे । मैंने बोला- मेरा फोन खराब हो गया है.. तुम मज़ाक कर रही हो । तो वो धीरे से उठी और मुझसे बोली- तुम्हारा फोन कितने का था ? मैंने पूछा- क्यों ? बोली- अभी जाकर नया ले लो.. नहीं तो बात कैसे हो पाएगी और अपने पापा से क्या बोलोगे कि नया फ़ोन कैसे टूटा ? फिर मैंने बोला- शायद 6300 का था । उस समय मेरे पास नोकिया 3310 था मार्केट में नया ही आया था । तो माया ने मुझे 7000 रूपए दिए और बोली- जाओ जल्दी से फोन खरीद कर फोन करना । माया का इतना प्यार देखकर मैंने फिर से उसे अपनी बाँहों में लेकर चूमना शुरू कर दिया ।
माया बोली- अब तो पूरी रात पड़ी है.. जी भर के प्यार कर लेना.. अभी जाओ जल्दी.. क्या करूँ यार मुझे जाना पड़ा.. पर उसे छोड़ने का मेरा तो मन ही नहीं कर रहा था । मैं उसके घर से निकल आया । अब आगे फिर मैं उनके घर से निकल कर मॉल रोड गया और नोकिया सेंटर से एक नया फ़ोन 3310 फिर से ख़रीदा जो की 6150 रूपए का मिला.. मैंने अपना वाला हैंडसेट भी रिपेयरिंग सेंटर में बेच दिया.. क्योंकि उसका मैं क्या करता जिसके मुझे 1500 रूपए मिले। फिर मैंने माया को अपने नए सेल से कॉल की.. तो उसने फ़ोन उठाते ही ‘आई लव यू मेरी जान’ कहा.. प्रतिक्रिया में.. मैंने भी वही दोहरा दिया और उसको ‘थैंक्स’ बोला.. तो वो गुस्सा करने लगी ।
बोली- एक तरफ मुझे अपना बनाते हो और दूसरी तरफ एक झटके में ही बेगाना कर देते हो.. क्या जरूरत है तुम्हें ‘थैंक्स’ बोलने की.. अगर मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करूँगी.. तो मुझे ख़ुशी मिलेगी.. आज के बाद जब कभी भी किसी चीज़ की जरुरत पड़े तो बस कह देना.. बिना कुछ सोचे.. नहीं तो मैं समझूँगी कि तुम मुझे अपना समझते हो । मुझे उसके इस अपनेपन पर बहुत प्यार आया और मैंने उसे ‘आई लव यू’ बोल कर फ़ोन पर चुम्बन दे दिया.. जिसके प्रतिउत्तर में माया ने भी मुझे चुम्बन किया । फिर मैंने ‘बाय’ बोल कर फ़ोन काटा और अपने घर चल दिया । मैं जैसे ही घर पहुँचा तो माँ ने सवालों की झड़ी लगा दी- कहाँ थे.. क्या कर थे ?
मैं खामोशी से सुन रहा था.. थोड़ी देर बाद जब वे शांत हुईं तो प्यार से बोलीं- तूने कुछ बताया नहीं ? तो मैंने उन्हें बोला- माँ.. अब मैं स्कूल का नहीं.. कालेज का छात्र हूँ और मैं अपने दोस्तों के साथ मूवी देखने गया था.. इस वजह से देर हो गई.. आप प्लीज़ ये पापा को मत बोलना । वो मान गईं.. अब आप सब समझ ही सकते हो कि माँ अपने बच्चे को बहुत प्यार करती है । खैर.. जैसे-जैसे समय बीतता गया.. मेरे दिल की भी धड़कनें बढ़ती ही जा रही थी और मेरा लौड़ा भी पैन्ट में टेन्ट बनाए खड़ा था । फिर जब मैं बाथरूम में जाकर मुट्ठ मार रहा था.. तभी मेरे फोन की रिंग बजी.. जो कि बाहर कमरे में चार्जिंग पर लगा था । मैं रिंग को नजरअंदाज करते हुए मुट्ठ मारने में मशगूल हो गया और जब मेरा होने ही वाला था.. तभी दोबारा फोन बजा जिसे मेरी माँ ने उठाया और बात की मैंने पानी से अपने सामान को साफ़ किया और कमरे में पहुँचा.. तो सुना, माँ बोल रही थीं- अरे बेटा, इसमें अहसान की क्या बात है.. मैं अभी राहुल के पापा से बात करके राहुल को भेज दूँगी और वैसे भी उनका आने का समय हो गया है ।
यह कहते हुए माँ ने फ़ोन काट दिया और मेरा प्लान सफल होने के कगार पर था । मुझे उनकी बातों से लग गया था कि वो विनोद से बात कर रही हैं । फिर माँ से मैंने पूछा- किसका फ़ोन था ? तो उन्होंने बोला- विनोद का । अभी करीब सवा आठ बजे होंगे । मैंने पूछा- उसने इतनी रात फ़ोन क्यों किया था ? तो उन्होंने बताया- वो अपनी बहन को पेपर दिलाने बाहर ले गया है और उसकी माँ घर पर अकेले ही हैं.. पापा कहीं बाहर जॉब करते हैं । तो मैंने पूछा- फिर ? वो बोलीं- कह रहा था कि राहुल को आज और कल रात के लिए घर भेज दीजिएगा क्योंकि हम परसों सुबह तक घर पहुँचेंगे ।
तो मैंने बोला- फिर आपने क्या कहा ? बोलीं- अरे इतने दीन भाव से कह रहा था.. तो मैंने बोल दिया उसके पापा आने वाले हैं.. मैं उनसे बात करके भेज दूँगी । मैंने तपाक से बोला- अगर पापा ने मना कर दिया तो आपकी बात का क्या होगा ? तो बोलीं- अरे वो मुझ पर छोड़ दो.. मैं जानती हूँ.. वो किसी की मदद करने में पीछे नहीं रहते.. फिर तो ये तेरा दोस्त है.. वो कुछ नहीं कहेंगे । मुझे बहुत ख़ुशी हो रही थी, पर अन्दर ही अन्दर पापा के निर्णय का डर भी था । तभी दरवाजे की घन्टी बजी.. मैंने गेट खोला तो पापा ही थे । माँ ने आकर उन्हें पानी दिया और विनोद की बात बताते हुए कहने लगीं- मैंने बोल दिया है.. राहुल को 9 बजे तक भेज दूँगीं ।
तो पापा का भी पता नहीं क्या मूड था.. उन्होंने भी ‘हाँ’ कर दी । फिर क्या था.. मेरे मन में हज़ारों तरह की तरंगें दौड़ने लगीं । फिर पापा ने मुझे बुलाया और कहने लगे - उसका घर कहाँ है ? तो मैंने बोला- बस पास में ही है.. तो उन्होंने कार की चाभी दी और बोला गाड़ी अन्दर कर दो और फिर चले जाओ । मेरी माँ बोलीं- अरे यह क्या.. आप इसे उनके घर छोड़ आओ.. आप उनका घर भी देख लोगे.. कहाँ है ? शायद यह माँ की अपने बेटे के लिए चिंता बोल रही थी, तो पापा भी बोले- हाँ.. ये ठीक रहेगा । तो मैंने बोला- एक मिनट आप रुकिए.. मैं अभी आया । मैं अपने कमरे में गया और लोअर पहना और टी-शर्ट पहन कर आ गया और अपने पापा के साथ उनके घर पहुँच गया ।
फिर पापा उनके घर के बाहर मुझे ड्राप करके वापस चले गए । मैंने विनोद के घर की घण्टी बजाई । तभी दरवाजे की घन्टी बजी.. मैंने गेट खोला तो पापा ही थे । माँ ने आकर उन्हें पानी दिया और विनोद की बात बताते हुए कहने लगीं- मैंने बोल दिया है.. राहुल को 9 बजे तक भेज दूँगीं । तो पापा का भी पता नहीं क्या मूड था.. उन्होंने भी ‘हाँ’ कर दी । फिर क्या था.. मेरे मन में हज़ारों तरह की तरंगें दौड़ने लगीं । फिर पापा ने मुझे बुलाया और कहने लगे- उसका घर कहाँ है ? तो मैंने बोला- बस पास में ही है.. तो उन्होंने कार की चाभी दी और बोला गाड़ी अन्दर कर दो और फिर चले जाओ ।
मेरी माँ बोलीं- अरे यह क्या.. आप इसे उनके घर छोड़ आओ.. आप उनका घर भी देख लोगे.. कहाँ है ? शायद यह माँ की अपने बेटे के लिए चिंता बोल रही थी, तो पापा भी बोले- हाँ.. ये ठीक रहेगा । तो मैंने बोला- एक मिनट आप रुकिए.. मैं अभी आया । मैं अपने कमरे में गया और लोअर पहना और टी-शर्ट पहन कर आ गया और अपने पापा के साथ उनके घर पहुँच गया । फिर पापा उनके घर के बाहर मुझे ड्राप करके वापस चले गए । मैंने विनोद के घर की घण्टी बजाई । तो वो मुस्कुराते हुए अपनी भौंहें तान कर बोली- अरे ये क्या.. मैं भला.. बुरा क्यों मानूंगी.. मुझे तो अपने नवाब का कहना मानना ही पड़ेगा ।
तो मैंने बोला- मैं कोई नवाब नहीं हूँ । बोली- तो क्या हुआ.. शौक तो नवाबों वाले हैं । फिर वो रसोई गई और मेरे लिए चाय ले आई और मुझे चाय का कप पकड़ाते हुए हँसने लगी । मैंने कारण पूछा- अब क्या हुआ ? तो बोली- और कोई हुक्म..? मैंने बोला- यार प्लीज़.. मेरा मजाक मत उड़ाओ नहीं तो मैं नाराज हो जाऊँगा । वो बोली- अरे ऐसा मत करना.. भला अपनी दासी से कोई नाराज़ होता है.. नहीं न.. बल्कि हुक्म देता है । मैंने बोला- अच्छा अगर यही बात है.. तो क्या मेरी इच्छा पूरी करोगी ? तो बोली- मैं तो तुम्हारी हर इच्छा पूरी करने के लिए तैयार हूँ । मैंने बोला- मेरे मन में बहुत दिन से था कि जब मेरी शादी हो जाएगी तो अपनी बीवी को रात भर निर्वस्त्र रखूँगा.. क्या आप मेरे लिए अपने सारे कपड़े उतार सकती हैं ।
वो बोली- बस.. इत्ती सी बात.. राहुल मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकती हूँ.. मैं तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ । यह कहते हुए माया ने एक-एक करके सारे कपड़े निकाल दिए । उसके जोश और मादकता से भरे शरीर को देखकर मेरे पप्पू पहलवान में भी जान आने लगी और धीरे-धीरे लौड़े के अकड़ने से मेरे लोअर के अन्दर टेंट सा बन गया.. जिसे माया ने देख लिया और मुस्कराते हुए बोली- मेरा असली राजकुमार तो ये है.. जो मुझे देखते ही नमस्कार करने लगता है और एक तुम हो जो हमेशा मेरे राजाबाबू को दबाते और मुझसे छिपाते रहते हो । मैंने बोला- अरे ऐसा नहीं है.. आओ मेरे पास आ कर बैठो । वो मुस्कुराते हुए मेरे बगल में बैठ गई तो मैंने उसके गाल पर चुम्बन लिया और अपनी गोद में लिटा लिया ।
हम दोनों की प्यार भरी बातें होने लगी जिससे हम दोनों को काफी अच्छा महसूस हो रहा था.. ऐसा मन कर रहा था कि जैसे बस इसी घड़ी समय रुक जाए और ये पल ऐसे ही बने रहें । मैं कभी उसके बालों से खेलता तो कभी उसकी नशीली आँखों में झांकते हुए उसके होंठों में अपनी उँगलियों को घुमाता.. जिससे दोनों को ही मज़ा आ रहा था । मुझे तो मानो जन्नत सी मिल गई थी, क्योंकि ये अहसास मेरा पहला अहसास था । मैं और वो इस खेल में इतना लीन हो गए थे कि मुझे पता ही न चला कि मैंने कब उसके उरोजों को नग्न कर दिया और उसको भी कोई होश न था कि उसके मम्मे अब कपड़ों की गिरफ्त से आज़ाद हैं ।
जब मैंने उसके कोमल संतरों और गेंद की तरह सख्त उरोजों को मल-मल कर रगड़ना और सहलाना प्रारम्भ किया तो उनके मुख से एक आनन्दमयी सीत्कार “आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह” निकल पड़ी । जिसके कारण मेरा रोम-रोम खिल उठा और मैंने माया के किशमिशी टिप्पों (निप्पलों) को अपने अंगूठों से मींजने लगा । जिससे माया को अहसास हुआ कि उसके गेंदनुमा खिलौने कपड़ों की गिरफ्त से छूट कर मेरे हाथों में समा चुके हैं । उसके मुख की सीत्कार देखते ही देखते बढ़ती चली गई- आआअहह श्ह्ह्हह्ह् ह्ह्ह्ह.. बहुत अच्छा लग रहा है राहुल.. इनको मुँह से चूसो.. चूस लो इनका रस.. निकाल दो इसकी सारी ऐंठन.. मैंने उसी अवस्था में झुक कर उनके माथे को चूमा और उनकी आँखों में आनन्द की झलक देखने लगा ।
एकाएक माया ने अपने हाथों से मेरे सर को झुका कर मेरे होंठों को अपने होंठों से लगा कर रसपान करने लगी। जिसका मैंने भी मुँहतोड़ जवाब देते हुए करीब 15 मिनट तक गहरी चुम्मी ली । जैसे हम जन्मों के प्यासे.. एक-दूसरे के मुँह में पानी ढूँढ़ रहे हों और इस प्रक्रिया के दौरान उसके मम्मों की भी मालिश जारी रखी जिससे माया के अन्दर एक अजीब सा नशा चढ़ता चला गया जो कि उसकी निगाहों से साफ़ पता चल रहा था ।
फिर धीरे से उसने मेरे होंठों को आज़ाद करते हुए अपने मम्मों को चूसने का इशारा किया तो मैंने भी बिना देर करते हुए ही उसके सर को अपनी गोद से हटाकर कुशन पर रखा और घुटनों के बल जमीन पर बैठ कर उसके चूचों का रस चूसने लगा । क्या मस्त चूचे थे यार.. पूछो मत । मैं सुबह तो इतना उत्तेजित था कि मैंने इन पर इतना ध्यान ही न दिया था । लेकिन हाँ.. इस वक़्त मैं उसको चूसते हुए एक अज़ब से आनन्द के सागर में गोते लगाने लगा था। उसके चूचे इतने कोमल कि जैसे मैं किसी स्ट्रॉबेरी को मुँह में लेकर चूस रहा हूँ.. इस कल्पना को शब्दों में परिणित ही नहीं कर सकता कि क्या मस्त अहसास था उसका.. मैं अपने दूसरे हाथ से उसके टिप्पों को मसल रहा था, जिससे माया के मुँह से आनन्दभरी सीत्कार ‘आआअह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह’ निकल जाती जिससे मैं अपने आप आनन्द में डूब कर उसके मम्मों को और जोर से चूसने और रगड़ने लगता ।
माया को भी इस खेल में इतना आनन्द आ रहा था जो कि उसके बदन की ऐंठन से साफ़ पता चल रहा था और हो भी क्यों न… जब इतना कामोत्तेजक माहौल होगा.. तो कुछ भी हो सकता था । मैं कभी उसके बालों से खेलता तो कभी उसकी नशीली आँखों में झांकते हुए उसके होंठों में अपनी उँगलियों को घुमाता.. जिससे दोनों को ही मज़ा आ रहा था । मुझे तो मानो जन्नत सी मिल गई थी, क्योंकि ये अहसास मेरा पहला अहसास था । मैं और वो इस खेल में इतना लीन हो गए थे कि मुझे पता ही न चला कि मैंने कब उसके उरोजों को नग्न कर दिया और उसको भी कोई होश न था कि उसके मम्मे अब कपड़ों की गिरफ्त से आज़ाद हैं ।
जब मैंने उसके कोमल संतरों और गेंद की तरह सख्त उरोजों को मल-मल कर रगड़ना और सहलाना प्रारम्भ किया तो उनके मुख से एक आनन्दमयी सीत्कार “आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह” निकल पड़ी । जिसके कारण मेरा रोम-रोम खिल उठा और मैंने माया के किशमिशी टिप्पों (निप्पलों) को अपने अंगूठों से मींजने लगा । जिससे माया को अहसास हुआ कि उसके गेंदनुमा खिलौने कपड़ों की गिरफ्त से छूट कर मेरे हाथों में समा चुके हैं । उसके मुख की सीत्कार देखते ही देखते बढ़ती चली गई- आआअहह श्ह्ह्हह्ह् ह्ह्ह्ह.. बहुत अच्छा लग रहा है राहुल.. इनको मुँह से चूसो.. चूस लो इनका रस.. निकाल दो इसकी सारी ऐंठन.. मैंने उसी अवस्था में झुक कर उनके माथे को चूमा और उनकी आँखों में आनन्द की झलक देखने लगा ।
एकाएक माया ने अपने हाथों से मेरे सर को झुका कर मेरे होंठों को अपने होंठों से लगा कर रसपान करने लगी। जिसका मैंने भी मुँहतोड़ जवाब देते हुए करीब 15 मिनट तक गहरी चुम्मी ली । जैसे हम जन्मों के प्यासे.. एक-दूसरे के मुँह में पानी ढूँढ़ रहे हों और इस प्रक्रिया के दौरान उसके मम्मों की भी मालिश जारी रखी जिससे माया के अन्दर एक अजीब सा नशा चढ़ता चला गया जो कि उसकी निगाहों से साफ़ पता चल रहा था । फिर धीरे से उसने मेरे होंठों को आज़ाद करते हुए अपने मम्मों को चूसने का इशारा किया तो मैंने भी बिना देर करते हुए ही उसके सर को अपनी गोद से हटाकर कुशन पर रखा और घुटनों के बल जमीन पर बैठ कर उसके चूचों का रस चूसने लगा ।
क्या मस्त चूचे थे यार.. पूछो मत । मैं सुबह तो इतना उत्तेजित था कि मैंने इन पर इतना ध्यान ही न दिया था । लेकिन हाँ.. इस वक़्त मैं उसको चूसते हुए एक अज़ब से आनन्द के सागर में गोते लगाने लगा था। उसके चूचे इतने कोमल कि जैसे मैं किसी स्ट्रॉबेरी को मुँह में लेकर चूस रहा हूँ.. इस कल्पना को शब्दों में परिणित ही नहीं कर सकता कि क्या मस्त अहसास था उसका.. मैं अपने दूसरे हाथ से उसके टिप्पों को मसल रहा था, जिससे माया के मुँह से आनन्दभरी सीत्कार ‘आआअह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह’ निकल जाती जिससे मैं अपने आप आनन्द में डूब कर उसके मम्मों को और जोर से चूसने और रगड़ने लगता ।
माया को भी इस खेल में इतना आनन्द आ रहा था जो कि उसके बदन की ऐंठन से साफ़ पता चल रहा था और हो भी क्यों न… जब इतना कामोत्तेजक माहौल होगा.. तो कुछ भी हो सकता था । यह मैंने केवल फिल्मों में ही देखा था जो कि आज मेरे साथ हकीकत में हो रहा था। मेरे शरीर में एक अजीब सा करंट दौड़ रहा था जैसे हज़ारों चीटिंयाँ मेरे शरीर पर रेंग रही हों । कुछ ही मिनटों के बाद मैंने माया से बोला- अब मेरा होने वाला है.. मुझे कुछ अजीब सी मस्ती हो रही है । तो माया मेरे सख्त लौड़े को पुनः अपने मुलायम होंठों में भरकर चूसने लगी और कुछ ही देर में एक ‘आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह’ के साथ मेरा गर्म लावा उसके मुँह में समा गया जिसे माया बड़े ही चाव से चखते हुए पी गई और आँख मारते हुए बोली- कैसा लगा ? तो मैंने उसे अपनी बाँहों में ले कर बोला- सच माया… आज तो तूने मुझे जन्नत की सैर करा दी ।
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