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फिर आंटी ने जल्दी से वहीं टंगी नाइटी पहन ली और मैंने भी अपने कपड़े ठीक किए और आंटी को दिखाकर बोला- आंटी मैं ठीक तो लग रहा हूँ न ? तो आंटी रुठते हुए स्वर में बोली- आज से तू मझे अकेले माया ही बुलाएगा.. नहीं तो मैं तुमसे बात नहीं करूँगी । तो मैंने भी ‘हाँ’ कह दिया और एक बार फिर से उन्हें बाँहों में भर कर एक चुम्बन कर लिया और उनसे बोला- आज से मैं तुम्हें माया ही कहूँगा
फिर हम दोनों कमरे में पहुँचे, जहाँ खाने की टेबल थी.. वहाँ विनोद और रूचि काफी देर से हम लोगों का इन्तजार कर रहे थे । विनोद- आप कर क्या रही थीं.. इतनी देर लगा दी? तो उन्होंने बात बनाते हुए बोला- मेरे को उलटी होने लगी थी… तो काफी देर लग गई.. जिससे मुझे चक्कर आने लगा था तो थोड़ी देर वहीं बैठ गई । मेरी साड़ी भी इसी चक्कर में भीग गई.. तभी तो चेंज करके आई हूँ.. तो विनोद बोला- अरे आपको कोई तकलीफ तो नहीं हो रही है.. नहीं तो डॉक्टर के पास चलें ?
वो बोली- नहीं.. अब ठीक है । तो मैंने उन्हें देखा तो उन्होंने मुस्कुराते हुए बोला- थैंक गॉड.. वहाँ मेरे साथ राहुल था.. नहीं तो ये न पकड़ता तो मैं गिर ही जाती । फिर विनोद ने भी अपनी माँ के लिए मुझे धन्यवाद दिया.. लेकिन ये क्या रूचि मुस्कुरा रही थी । शायद उसने हमारी चोरी पकड़ ली थी और माँ को चूमते हुए बोली- आज तो आपको लगता है हममें से किसी की नज़र लग गई.. तो वो बोली- सब अपने ही है.. होगा मेरी प्यारी बच्ची । फिर हम सबने मिलकर खाना खाया और तभी मेरी नज़र घड़ी पर पड़ी तो मेरे चेहरे पर भी 12 बज गए.. मुझे पता ही न चला कि कब 12 बज गए ।
फिर मैंने घर जाने की इजाजत ली, तो माया आंटी ने मुझे ‘थैंक्स’ बोला और मैंने उन्हें बोला- आज पार्टी में बहुत मज़ा आया । तो विनोद भी बोला- हाँ.. आज वाकयी बहुत दिनों बाद ऐसी पार्टी हुई । फिर सबको ‘बॉय’ बोला और घर की ओर चल दिया । पर मेरा दिल बिल्कुल भी नहीं था कि मैं अपने घर जाऊँ.. लेकिन क्या करता.. जाना तो था ही । जैसे-तैसे मैं अपने घर की ओर चल दिया लेकिन अभी भी मेरी आँखों से माया के गुलाबी चूचे और उस पर चैरी की तरह सुशोभित घुन्डियाँ.. हटने का नाम ही नहीं ले रहे थे । खैर जैसे-तैसे मैं अपने घर पहुँचा.. घन्टी बजाई तो मेरे पापा ने गेट खोला और मुझे डाँटते हुए बोले- आ गए नवाब.. वक्त देखा.. 12:30 हो रहा है.. कहाँ रहे इतनी देर ?
तो मैंने माँ की ओर देखते हुए उनसे बोला- क्या आपने बताया नहीं ? तो पापा बोले- ये बता कि इतनी देर कौन सा डिनर चलता है ? तो मैंने आंटी जी के ‘बर्थडे पार्टी’ वाली बात बता दी.. तब जा कर पापा शान्त और सामान्य हुए और मेरे भी जान में जान आई । मैं सच बोलूँ तो मेरी मेरे पिता से बहुत फटती है । फिर मैं अपने कमरे में गया और कपड़े बदलने लगा । और जैसे ही मैंने अपने आप को वाल मिरर पर देखा.. तो मेरे सामने फिर से माया के चूचे याद आने लगे.. जिसके कारण पता ही नहीं लगा.. कब मेरा सुस्त लौड़ा फिर से ऊँचाइयों को छूने लगा और मेरा हाथ अपने आप ही मेरे खड़े लौड़े को सहलाने लगा.. कभी-कभार दबाने लगा ।
जैसे आज माया ने किया था ठीक उसी अंदाज़ में मेरे हाथ भी लौड़े की मालिश करने लगे और देखते ही देखते मेरा सामान झड़ गया । लेकिन यह क्या आज पहली बार इतना माल निकला था जो कि शायद आंटी की मालिश का कमाल था । फिर मैंने साफ़-सफाई की और सो गया । सुबह देर से उठा तो कॉलेज नहीं गया । विनोद का फ़ोन आया.. तब शायद दिन का एक बजा था तो उसने मुझसे पूछा- आज कॉलेज क्यों नहीं आया बे ? तो मैंने उससे बोला- यार कल रात को काफी देर से सोया था.. तो नींद ही नहीं खुली ।
फिर वो खुद ही बताने लगा मेरे जाने के बाद उसकी माँ और बहन दोनों ने तेरी तारीफ की और मेरी माँ ने तेरा नम्बर भी ले लिया है.. ताकि कोई काम कभी पड़े तो वो तुमसे बात कर सकें । फिर मैंने भी बोल दिया- ठीक किया.. इमरजेंसी कभी भी पड़ सकती है.. ये तो अच्छी बात है उन्होंने मुझ पराये पर इतना भरोसा किया । तो वो बोला- साले दो दिन में तूने क्या कर दिया.. जो अब मेरे घर में सिर्फ तुम्हारी ही बातें होती हैं ? तो मैंने मन में बोला- अभी तो लोहा गर्म किया है.. समय पर पीटूँगा.. तब होगा कुछ.. फिर उससे मैंने बोला- बेटा जलने की महक आ रही है.. तो वो बोला- यार ऐसा नहीं है मेरे दोस्त.. यह तो मेरी खुशनसीबी है कि मुझे तुझ जैसा दोस्त मिला.. वर्ना आजकल ऐसे लोग कहाँ मिलते हैं ।
फिर थोड़ी देर इधर-उधर की बात करने के बाद मैंने फ़ोन काटा । मुझे उस समय उसकी बातों ने इतना झकझोर दिया कि मैं बहुत ही आत्मग्लानि महसूस करने लगा और सोचने लगा कि मैं अपने दोस्त के साथ गलत कर रहा हूँ जो कि गलत ही नहीं अनैतिक भी है । फिर मैंने जान-बूझकर उसके घर जाना छोड़ दिया ताकि कुछ गलत न हो लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मंज़ूर था । विनोद और मैं अब अक्सर मल्टीप्लेक्स में मिलते या मेरे घर पर और वो अक्सर मुझसे बोलता रहता कि माँ ने बुलाया है घर चल.. पर मैं बहाना बना देता !
फिर एक दिन माया का भी फ़ोन आया और उसने मुझसे डाँटते हुए लहजे में बोला- क्या मैं तुम्हें इतनी बुरी लगी.. जो उस दिन के बाद नहीं आया ? तो मैंने बोला- आंटी ऐसा नहीं है । वो बोली- फिर कैसा है ? तो मैंने उन्हें बोला- आंटी आप मेरे दोस्त की माँ है और वो उस दिन गलत हो गया । इस पर वो गरजते हुए बोली- पहले तो तू मुझे माया बोल और रही उस दिन की बात.. तो यह तूने तब नहीं सोचा जब तुम मेरे चूचे चूस रहे थे या तब भी ख़याल नहीं आया.. जब अपना लौड़ा मेरे मुँह में देकर बोल रहे थे.. माया आज तो बहुत ही मज़ा आ रहा है.. क्यों बोल ? मेरे पास इन सब बातों का कोई जवाब न था.. तो मैं क्या कहता ।
हम दोनों लोग शांत थे.. फिर करीब एक मिनट बाद माया रोते हुए बोली- पहली बार मुझे कोई अच्छा लगा और उसने भी धोखा दे दिया.. मैं चुपचाप सुनता रहा । वो जोर-जोर से रोते हुए कहने लगी- मैंने सोचा था तुम भी मुझे पसंद करते हो.. लेकिन ये सब मेरा वहम था । और उसने न जाने क्या-क्या कहा । मैंने मन में सोचा कि भूखी औरत सिर्फ ‘लण्ड-लण्ड’ चिल्लाती है.. जैसे माया चिल्ला रही है और अगर मैंने ये मौका खो दिया तो माया के साथ-साथ रूचि भी हाथ से निकल जाएगी । यह सोचते-सोचते मैंने तुरंत माया से ‘सॉरी’ बोला और उससे कहा- मैं तो बस ये देख रहा था.. जो तड़प तुम्हारे लिए मेरे अन्दर है.. क्या वो तुम्हारे अन्दर भी है या मैं केवल तुम्हारी प्यास बुझाने का जरिया बन कर रह जाऊँगा ।
इस पर उसने बिना देर किए ‘आई लव यू’ बोल दिया और बोली- आज से मेरा सब कुछ तुम्हारा ही है.. तो मैंने मज़ाक में बोला- बस एक अहसान करना.. दो बच्चों का बाप न बना देना । तो वो भी हँसने लगी, फिर वो बोली- अब ये बोलो.. घर कब आओगे? मैंने बोला- अब मैं तभी आऊँगा.. जब घर पर सिर्फ हम और तुम ही रहेंगे । वो इस पर चहकती हुई आवाज़ में बोली- अकेले क्यों? जान लेने का इरादा है क्या ? तो मैंने बोला- नहीं.. तुम्हें प्यार से दबा-दबा कर मारने का इरादा है । वो बोली- मुझे इस घड़ी का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा ।
फिर क्या था.. मैं भी माया को चोदने की इच्छा रखते हुए बेसब्री के साथ उस दिन का इंतज़ार करने लगा।
इसी इन्तजार में धीरे-धीरे हफ्ता हो गया । इस बीच मेरी और माया की लगभग रोज ही बात होती थी और हम फ़ोन-सेक्स भी करते थे । फिर एक दिन उसने मुझसे बोला- घर कल आना । तो मैंने मना कर दिया और अपनी बात याद दिलाई कि जब घर पर कोई नहीं होगा.. तभी मैं आऊँगा । तो वो बोली- नहीं.. तुम कल ही आओ.. तुम्हें मेरी कसम । मैं अब क्या करता.. उनका दिल तो रखना ही था.. तो मैंने उन्हें आने को ‘हाँ’ बोल दिया । दरअसल बात यह थी कि उनकी बेटी रूचि को बैंक का एग्जाम देने के लिए अगले दिन दूसरे शहर जाना था.. तो वो और विनोद दोनों अगले दिन सुबह 9 बजे ट्रेन से दो दिन के लिए जाने वाले थे.. जो मुझे नहीं मालूम था और माया मुझे सरप्राइज़ देने के लिए यह बात नहीं बता रही थी कि कल से वो 2 दिन के लिए घर पर अकेले ही रहेगी..
जो अगले दिन मुझे उनके घर जाने पर मालूम हुआ । खैर.. जैसे-तैसे शाम हुई और मेरा मन उलझन में फंसता चला गया..
यह सोचकर कि अब कल क्या होगा.. मेरी इच्छा कल पूरी हो भी पाएगी या नहीं ? यही सोचते-सोचते कब रात हुई.. पता भी न चला । मैं माया के ख्यालों में इस कदर खो जाऊँगा.. मुझे यकीन ही न था । फिर मैंने अपने परिवार के साथ डिनर किया और सीधे अपने कमरे में जाकर आने वाले कल का बेसब्री के साथ इंतज़ार करते- करते कब आँख लग गई.. पता ही न चला । फिर मैं सुबह उठ कर अच्छे से तैयार होकर ढेर सारे अरमानों को लिए उनके घर की ओर चल दिया ।मुझे क्या पता था कि आज मेरी इच्छा पूरी होने वाली है । फिर थोड़ी ही देर में मैं उनके घर पहुँच गया.. तब तक मेरे फोन पर विनोद की कॉल आ गई ।
मैंने उससे बात की.. तो मुझे उसने बता दिया- आज मैं और रूचि दो दिन के लिए दूसरे शहर जा रहे हैं.. तुम माँ के हालचाल लेते
रहना.. अगर वो कोई मदद मांगें.. तो पूरी कर देना । मैंने ‘ओके’ बोल कर फोन काट दिया और मन ही मन खुश हो गया । अब आगे मैंने सोचा कि मुझे कुछ मालूम ही नहीं है.. मुझे अब ऐसी ही एक्टिंग करनी है । देखते हैं… माया क्या करती है । फिर मैंने दरवाजे की घन्टी बजाई… तो थोड़ी देर बाद माया आई और उसने दरवाजा खोला । जैसे ही दरवाजा खुला.. मेरा तो हाल बहुत ही खराब हो गया । वो आज इतनी गजब की लग रही थी जो कि मैंने सपने में भी नहीं सोचा था । बिल्कुल किसी एक्ट्रेस की तरह उसने आज काले रंग का अनारकली सूट पहन रखा था.. बालों को खोल कर हेयरपिन से बाँधा हुआ था.. जो कि उसकी सुंदरता को चार चाँद लगाने के लिए काफी थे ।
शायद आंटी काफी फैशनेबुल थीं.. बाकायदा मेकअप वगैरह सब कर रखा था । उन्हें देख कर लग ही नहीं रहा था कि ये 40 वर्ष की हैं और दो बच्चों की माँ है । मैं तो उनको आँखें फाड़े देखता ही रहा । फिर उन्होंने मेरे हाथ को पकड़ते हुए.. मुझसे बोला- कहाँ खो गए ? तो मैं अपने आपको सम्हाल.. नहीं पाया मेरी हालत ऐसी हो गई.. जैसे मैं अभी नींद से जागा हूँ…मेरा बैलेंस बिगड़ गया और मेरा नया फ़ोन जो कि मेरी बर्थ-डे पर मेरे पापा ने गिफ्ट किया था… अचानक गिर गया.. जिससे उसका डिस्प्ले ख़राब हो गया, पर मैंने मन में सोचा होगा कि इसे तो बाद में देखेंगे और जेब में डाल लिया ।
फिर उन्होंने मुझे अपने कमरे में जाने को बोला और खुद चाय के लिए रसोई की तरफ चल दी । तो मैंने बोला- यहीं पर ही बैठता हूँ.. कोई आ गया तो मैं क्या बोलूँगा ? तो वो हँसती हुई बोली- तू डरता क्यों है.. कोई नहीं है घर पर… जो कि अब मुझे पता था.. पर मैं नाटक कर रहा था । फिर उन्होंने बोला- अब अन्दर जा.. मैं चाय ले कर आती हूँ । फिर मैं अपनी दबी हुई ख़ुशी के साथ उनके कमरे की ओर चल दिया.. जहाँ मैंने देखा काफी अच्छा और बड़ा सा डबल-बेड पड़ा था.. उस पर डनलप का गद्दा और अच्छी सी कॉटन की चादर बिछी हुई थी.. काफी अच्छा कमरा था ।
फिर बिस्तर के बगल वाली टेबल पर बड़ा सा शीशा लगा था.. टेबल पर जैतून के तेल की बोतल देख कर मैं समझ गया कि बेटा राहुल आज तेरी इच्छा जरूर पूरी होगी । फिर मैं उनके बिस्तर पर बैठ कर गहरी सोच में चला गया.. थोड़ी देर बाद माया आई और मुझे चाय देकर मेरे बगल में ही सट कर बैठ गई.. जिससे उसके बदन की मादक महक मुझे तड़पाने लगी । उसके बदन की गर्मी से मेरा मन विचलित हो गया.. जिससे मेरा लंड कब खड़ा हुआ.. मुझे पता ही न चला । फिर मैंने उसके चेहरे की ओर देखा तो वो हँसते हुए मुझे घूरे जा रही थी । तो मैंने बोला- तड़पा तो चुकी हो.. अब क्या मारने का इरादा है ?
इस पर वो मेरे मुँह पर ऊँगली रखते हुए बोली- ऐसा अब मत बोलना.. क्योंकि जिससे प्यार होता है.. उसे कभी मारा नहीं जा सकता । इतना कह कर वो अपने मुलायम मखमली होंठों को मेरे होंठों पर रख कर चूसने लगी । मैं और वो दोनों कम से कम 10 मिनट तक एक-दूसरे को यूं ही चूमते रहे । फिर मैंने उससे अलग होते हुए कहा- आज नहीं.. कहीं कोई आ गया तो गड़बड़ हो जाएगी । तो माया ने किलकारी मार कर हँसना चालू कर दिया। मुझे तो मालूम था पर फिर भी मैंने पूछा- इतना हंस क्यों रही हो ? तो वो बोली- आज और कल तुम चिल्लाओगे तो भी कोई नहीं आने वाला । क्योंकि मुझे तो पहले ही मालूम था अंकल आने से रहे और मेरा दोस्त अपनी बहन को साथ लेकर दूसरे शहर गया..
फिर भी मैंने ड्रामा करते हुए उनसे पूछा- सब लोग कहाँ है ? तो उन्होंने मुझे बताया- विनोद रूचि को एग्जाम दिलाने
गया है । मैंने उनसे बोला- आपने मुझे कल क्यों नहीं बताया ? तो वो बोली- मैं तुम्हें सरप्राइज़ देना चाहती थी । फिर मुझसे लिपट कर मेरे होंठों पर अपने होंठों को रख कर चूमने लगी । क्या मस्त फीलिंग आ रही थी.. मैं बता ही नहीं सकता.. मैं तो जन्नत की सैर पर था। फिर मैं भी उसके पंखुड़ियों के समान कोमल होंठों को धीरे-धीरे चूसने लगा हम एक-दूसरे को चूसने में इतना खो गए कि हमें होश ही न रहा । करीब 20 मिनट की चुसाई के बाद मैंने उनके शरीर पर होंठों को चूसते हुए हाथ चलाने चालू किए.. जिससे वो और बहकने लगी और मेरे होंठों को चूसते-चूसते काटने लगी ।
फिर उसने एकदम से मुझे अलग किया और बोली- तुम मुझे बहुत पसंद हो.. आज हर तरह से मुझे अपना बना लो और मुझे जिंदगी का असली मज़ा दे दो… मैं इस मज़े के लिए बहुत दिनों से तड़प रही हूँ.. अब मुझे अपना बना लो.. मेरे जानू.. उसने अपनी कुर्ती को उतार दिया और मुझसे बोली- तुम भी अपने कपड़े उतार दो.. आज हम बिना कपड़ों के ही रहेंगे । फिर उसने अपनी सलवार भी उतार दी और तब तक मैं भी अपने सारे कपड़े उतार चुका था। अब मैं और माया सिर्फ अंडरगार्मेंट्स में थे। मैं उसके बदन का दीवाना तो पहले से ही था, पर आज जब उसे इस अवस्था में देखा तो देखता ही रह गया । क्या गजब का माल लग रही थी वो.. उसका शरीर किसी मखमली गद्दे की तरह मुलायम लग रहा था और उसकी आँखें बहुत ही मादक लग रही थीं.. जिसे देख कर कोई भी उसका दीवाना हो जाता ।
फिर माया मेरे पास आई और मेरे गालों को प्यार से चूमते हुए कहने लगी- यह हकीकत है.. मेरे राजा ख्वाबों से बाहर आओ..
फिर हम दोनों एक-दूसरे को फिर से चूमने लगे । यह मेरा पहला मौका था जब मैंने किसी महिला को इतनी करीब से देखा था.. मेरे तो समझ के बाहर था कि मैं क्या करू
फिर मैं और वो एक-दूसरे को चुम्बन करते-करते बिस्तर की तरफ चले गए और मैं उसको बिस्तर पर आहिस्ते से लिटा कर उसके बगल में लेट गया । अब उसकी आँखों में चुदाई का नशा साफ़ दिखने लगा था । मैंने धीरे से उसके बालों की लटों को सुलझाते हुए उसके सर को सहलाना चालू किया और उसके होंठों का रसपान करने लगा.. जिससे उसके शरीर में सिहरन पैदा हो गई.. मानो कामदेव ने हज़ारों काम के तीरों से उसके शरीर को छलनी कर दिया हो । इधर मेरा भी लौड़ा एकदम हथौड़ा बन चुका था जो कि उनकी जांघ पर रगड़ मार रहा था । मैंने धीरे से उसको इशारे में ब्रा खोलने को बोला.. तो वो समझ गई और सीधे लेट कर अपनी पीठ उचका ली ताकि मैं आसानी से ब्रा का हुक खोल सकूँ ।
फिर मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल कर उसके शरीर से उस काले रंग की ब्रा को अलग कर दिया और उसके उठे हुए मस्त चूचे जो बहुत ही मदमस्त करने वाले थे.. उनको हाथों में लेकर दबाने लगा.. मसलने लगा.. मम्मों पर मेरे हाथों का दबाव इतना ज्यादा था कि उसकी मादक आवाज़ निकल गई ।
‘आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.. थोड़ा धीरे करो.. मैं कहीं भागी थोड़ी न जा रही हूँ..’
मैंने आराम से प्यार से उनके चूचों को रगड़ना और मसलना चालू किया.. जिससे वो भी मस्तियाने लगी और उसके मुँह से अजीब सी आवाजें निकलने लगीं- आआअह्हह्हह ऊऊह्ह्हुउउउउउउहु ऊऊओह्हह.. बहुत अच्छा लग रहा है.. राहुल ऐसे ही रगड़ डाल इन्हें.. आज तक ऐसा अनुभव कभी नहीं मिला है.. हाय.. जरा इनको मुँह से भी चूसो न.. रूचि के बाद से इसे किसी ने भी मुँह में ही नहीं लिया है.. मैंने यह सुनते हो उनके उरोजों को एक-एक करके मुँह से चूसना शुरू कर दिया । क्या मखमली एहसास था.. कभी-कभी उनके चूचों के टिप्पों (निप्पलों) को चूसते-चूसते काट भी लेता.. जिससे माया के मुँह से ‘आअह’ निकल जाती और मुझे आनन्द आता । मैंने इसी तरह उनको तड़पाना चालू कर दिया.. फिर वो भी मुझे बेतहाशा चूमने लगी ।
मैंने और उन्होंने एक बार फिर से एक-दूसरे को लॉलीपॉप की तरह चूसने की प्रक्रिया दोहराई । फिर मैं टेबल पर रखे जैतून के तेल की शीशी को लाया और उन्हें पेट के बल लेटने को बोला और उनकी पीठ पर ऊपर से नीचे की ओर तेल की बूँदें गिराईं । उनकी कमर तक और फिर अपनी हथेलियों में भी थोड़ा सा तेल लगा कर उनकी पीठ पर मालिश करना चालू किया । कहानी जारी रहेगी |
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