मेरी उम्र अब 28 है मेरा कद पांच फिट नौ इंच है और शरीर की बनावट औसत है। मेरे लण्ड का नाप 6.5 इंच है। अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ । बात उन दिनों की है जब मैं स्नातकी के दूसरे वर्ष में था । तभी मेरी मुलाकात मेरे कॉलेज में पढ़ने वाले विनोद से हुई, वो मेरी ही क्लास में पढ़ता था । मुझे पता चला कि वो मेरे ही घर के पास, लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर रहता है । धीरे-धीरे हमारी दोस्ती बढ़ती गई और हम अक्सर साथ में मूवी देखने और घूमने जाने लगे ।
जब हम स्नातक के तीसरे वर्ष में पहुँचे तो मेरे और उसके बीच की दोस्ती इतनी बढ़ गई कि लोग हमसे जलते थे । एक दिन अचानक मेरी मुलाकात उसके घर के पास हुई और वो मुझे अपने घर चलने के लिए जिद करने लगा । मैंने भी उसको मना नहीं किया क्योंकि मैं इसके पहले कभी भी उसके घर नहीं गया था, तो मैं भी उसके घर वालों से मिलने के लिए बहुत उत्सुक था। जब हम घर पहुँचे तो दरवाजा आंटी जी ने खोला । जैसे ही गेट खुला वैसे ही मेरा मुँह खुला का खुला रह गया ।
क्या सौंदर्य था उसका.. मैं उसे शब्दों में बयान ही नहीं कर सकता । तभी विनोद ने उनसे बोला- माँ.. यह राहुल है और हम काफी अच्छे दोस्त हैं । तो उसकी माँ ने हमें अन्दर आने को बोला । तब जाकर मुझे होश आया कि मैं अपने दोस्त के साथ हूँ और अपने सुनहरे सपनों से बाहर आते हुए मैंने बड़ी हड़बड़ाहट के साथ उनको ‘हैलो’ बोला और अन्दर जाकर सोफे पर बैठ कर विनोद से बात करने लगा ।
तभी अचानक मेरी नज़र उसकी बहन पर पड़ी जो कि मुझसे केवल 2 साल छोटी थी । क्या बताऊँ.. उसकी माँ और उसकी बहन दोनों ही एक से बढ़ कर एक माल थीं । फिर विनोद से मैंने उसके परिवार के बाकी लोगों के बारे में पूछा । तो उसने बोला- हम चार लोग है मैं, बहन और मेरे माता-पिता । उसके पिता का नाम घनश्याम है, माँ का नाम माया और बहन का नाम रूचि था । ये सभी काल्पनिक नाम हैं । तभी उसकी माँ मेरे और विनोद के लिए चाय लाई और मेरी तरफ कप बढ़ाने के लिए जैसे ही झुकी अचानक उनका पल्लू नीचे गिर गया, जिससे उसके 40 नाप के मखमली मम्मे मेरी आँखों के सामने आ गए और मैं उन्हें देखता ही रह गया ।
मेरा मन तो किया कि इन्हें पकड़ कर अभी इसका सारा रस चूस कर गुठली बना दूँ । लेकिन मेरी इच्छा दबी रह गई क्योंकि मेरा दोस्त भी साथ में था और हम काफी अच्छे दोस्त थे । मेरे दोस्त की माँ दिखने में बहुत ही आकर्षक और जवान हुस्न की मल्लिका थी । उसकी उम्र उस समय लगभग 40 या 42 होगी, लेकिन वो अपने आपको इतना संवार कर रखे हुए थी कि लगता ही नहीं था कि वो दो बच्चों की माँ भी है । वो तो बस 30 की ही लग रही थी ।
उसके लम्बे काले बाल उसके नितम्बों तक आते थे और उसके नितम्ब इतने अच्छे आकार में थे कि अच्छे-अच्छों का लौड़ा खड़ा कर दे, फिर मैं क्या था ? फिर उन्होंने पल्लू सही करते हुए मेरी ओर कप लेने का इशारा किया तो मैंने जैसे ही हाथ आगे बढ़ाया, उनका हाथ मेरे हाथ से टकरा गया । हाय… क्या मुलायम हाथ थे । उनके स्पर्श मात्र से मेरे बदन में एक बिजली सी दौड़ गई और अचानक मेरा लौड़ा तनाव में आने लगा ।
खैर.. जैसे-तैसे मैंने खुद पर संयम किया लेकिन उसकी माँ ने मेरे खड़े लण्ड को देख लिया और एक मुस्कान छोड़ कर वहाँ से चली गई । फिर मेरी और विनोद की बातचीत सामान्य तरीके से होने लगी । उसने बताया उसके पिता सरकारी नौकरी करते हैं और हफ्ते में कभी-कभार ही अपने परिवार के साथ रह पाते हैं । उसकी बहन जो बारहवीं क्लास में पढ़ रही थी । मैं आपको रूचि के बारे मैं बताना ही भूल गया । आज तो उसकी शादी को दो साल हो गए, पर उस समय वो केवल 19 साल की थी । जब मैंने उसे पहली बार देखा था और देखता ही रह गया था ।
वो परी की तरह दिखती थी उसके लम्बे बाल, कमर तक थे । उसकी बड़ी-बड़ी आँखें, उस समय उसके स्तन 32 इंच के रहे होंगे । मतलब उसका हुस्न क़यामत ढहाने के लिए काफी था । उसका साइज 32-27-32 था । उसको मैंने कैसे चोदा, यह बाद में बताऊँगा । फिर हमने चाय खत्म की और मैं उसके घर से सीधे अपने घर की ओर चल दिया । घर पहुँचते ही मैंने अपने बाथरूम में माया और रूचि के नाम की मुट्ठ मारी, तब जाकर मेरे लण्ड को कुछ आराम मिला ।
शाम हो गई थी लेकिन मेरी आँखों के सामने से उन दोनों के चेहरे हटने का नाम ही नहीं ले रहे थे । जैसे-तैसे रात हुई, मेरी माँ ने मुझे बुलाया और कहा- क्या बात है.. आज कुछ बोल क्यों नहीं रहे हो ? तो मैंने उन्हें बोला- आज तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही है । इस पर उन्होंने मुझे एक दवाई दी और खाना खिला कर सोने के लिए बोला, तो मैं चुपचाप आकर अपने कमरे में लेट गया, तब शायद 10:30 बजे थे । कमरे मे लेटते ही मुझे फिर से उनके चेहरे परेशान करने लगे और मेरा हाथ कब मेरे लोअर में चला गया मुझे पता ही न चला और लोअर में ही फिर एक बार झड़ गया, तब होश आया ।
फिर मैं उठा और बाथरूम में जाकर मैंने अपने लण्ड को साफ़ किया और दूसरा लोअर पहन कर सो गया । अगले दिन जब मैं सोकर उठा तो देखा मेरा लोअर फिर से गीला था । शायद रात को मेरे सपनों में वो दोनों फिर से आ गई होंगी । फिर मैं सीधे बाथरूम गया और नहा-धोकर सीधा माँ के पास गया और उनसे नाश्ता देने को बोला क्योंकि कॉलेज के लिए लेट हो रहा था । फिर मैं नाश्ता करके कॉलेज पहुँच गया और विनोद से पूछा- तुम्हारे घर मैं कल पहली बार आया था, तो तुम्हारी माँ और बहन को कैसा लगा ?
तो उसने बोला- उसकी माँ ने मेरे जाने के बाद उससे बोली कि तुमने बहुत ही शरीफ और अच्छे लड़के से दोस्ती की है । आज से तुम दोनों अच्छे दोस्त की तरह ही जिंदगी भर रहना । मैंने अपने होंठों पर मुस्कान बिखेरी । वो आगे यह भी बोला- तुझे माँ ने रात के खाने पर आज बुलाया है । तो मुझे मन ही मन बहुत ही खुशी हुई ऐसा लगा जैसे माया को चोदने की मेरी इच्छा जरूर पूरी होगी । फिर मैं कॉलेज खत्म होने का इन्तजार करने लगा और फिर घर जाते मैंने शेव किया और माँ से बोला- आज रात का खाना मैं अपने दोस्त के यहाँ से ही खा कर आऊँगा, आप मेरे लिए इन्तजार मत करना । आप और पापा वक्त से खाना खा लेना ।
मैंने एक अच्छी सी टी-शर्ट निकाली और जींस पहनी और इम्पोर्टेड क्वालिटी का परफ्यूम लगा कर विनोद के घर की ओर चल दिया । जैसे ही मैंने उसके घर के दरवाजे की घन्टी बजाई, अन्दर से एक बहुत ही मीठी आवाज़ आई- दरवाज़ा खुला है आप आ जाइए.. मैं समझ गया कि यह जरूर रूचि ही होगी । जैसे ही मैं अन्दर गया, देखा सामने वाकयी रूचि ही खड़ी थी । आज वो बहुत ही सुन्दर लग रही थी, उसने स्लीवलेस टॉप और मिनी स्कर्ट पहन रखी थी, जो उसकी सुंदरता में चार चाँद लगा रहे थे । इस टॉप में उसको स्तनों का उभार साफ़ दिख रहा था ।
मैं तो उसके स्तन ही देखता रहा और अभी मन ही मन उन्हें चचोर कर चूस ही रहा था कि तभी उसने मेरी हरकत पकड़ ली और मुझसे बोली- भईया, आप गेट पर ही खड़े रहोगे या अन्दर भी आओगे ? मैं सच मैं बहुत झेंप गया था और बहुत बुरा भी लगा कि मुझे अपने दोस्त की बहन को ऐसे नहीं देखना चाहिए था । फिर मैं आगे बढ़ा उसने मुझे सोफे पर बैठने का बोला तो मैंने उससे पूछा- विनोद और आंटी जी कहाँ है? तो उसने बताया- माँ अपने कमरे में तैयार हो रही हैं और विनोद भईया केक लेने गए हैं ।
तो मैंने उससे बहुत ही आश्चर्य के साथ पूछा- केक लेने ? वो किस लिए ? तो रूचि बोली- आज माँ का जन्मदिन है और इसलिए आपको भी निमंत्रित किया गया है । मैंने उससे पूछा- सच बताओ.. वो बोली- सच में.. मैं सच ही बोल रही हूँ । फिर मुझे विनोद पर बहुत गुस्सा आया कि उसने मुझे नहीं बोला कि आज माया का जन्मदिन है.. नहीं तो मैं खाली हाथ न जाता । मैंने रूचि से बोला- मैं अभी थोड़ी देर में आता हूँ । तो वो बोली- भैया आप कहाँ जा रहे हो ? भाई अभी आता ही होगा, केक काटने में पहले ही इतनी देर हो चुकी है और देर हो जाएगी ।
मैंने उससे बोला- मैं तुम्हारी माँ के लिए कुछ गिफ्ट लेने जा रहा हूँ.. मुझे नहीं पता था कि आज उनका जन्मदिन है । नहीं तो मैं साथ लेकर ही आता । तब तक माया उस कमरे में आ चुकी थी । हमारी बातों को सुनकर माया हँसी और मुझसे कहने लगी- मैंने ही विनोद को मना किया था कि तुम्हें कुछ न बताए और रही गिफ्ट की बात तो मैं तुमसे कभी भी मांग लूँगी.. वादा करो जब मैं मांगूगी तो तुम मुझे गिफ्ट दोगे…!
अब सब शांत हो गए.. लेकिन मैं ऐसे खड़ा था, जैसे मैंने कुछ सुना ही न हो और ऐसा हो भी क्यों न… क्योंकि आज तो माया ऐसी लग रही थी कि उसकी बेटी जो 19 साल की भरी-पूरी जवान थी.. वो भी उसके सामने फीकी लग रही थी । आज माया ने काले रंग की नेट वाली साड़ी पहन रखी थी, उनके स्तन बहुत ही सख्त और उभरे हुए लग रहे थे । उन्होंने चेहरे पर हल्का सा मेक-अप भी कर रखा था । वो आज पूरी काम की देवी लग रही थी ।
मैं उसकी सुंदरता के ख़यालों में इतना खो गया कि मुझे होश ही न रहा कि मैं एक बेटी के सामने उसकी ही माँ को कामवासना की नज़र से उसको चोदने की इच्छा जता रहा हूँ । तभी माया ने मेरे हाथ को पकड़ते हुए बोला- क्या हुआ राहुल ? तुम कहाँ खो गए… तबियत तो सही है न ? तब मैंने हड़बड़ाहट में उनसे बोला- हाँ.. ऑन्टी जी मैं ठीक हूँ । वो बोली- फिर तुम्हारा ध्यान किधर था ? शायद वो सब जानते हुए भी मुझसे सुनना चाह रही थी तो मैंने उनके उरोजों की तरफ देखते हुए कहा- ऑन्टी जी आज तो आप बहुत ही हॉट लग रही हो.. इससे पहले मैंने कभी इतनी सुन्दर लेडी नहीं देखी ।
फिर माया ने केक काटा और हम सबको खिलाया । अब मेरे दिमाग में एक खुराफात सूझी कि क्यों न इस पार्टी को और मदमस्त बनाया जाए, अब मैं तो विनोद के परिवार से काफी घुल-मिल चुका था, तो मुझे भी कुछ करने में संकोच नहीं हो रहा था । फिर मैं अपनी इच्छा को प्रकट करते हुए माया से बोला- आंटी जी.. क्यों न इस पल को और हसीन बनाया जाए..! तो इस पर उन्होंने मुस्करा कर हामी भरी । फिर क्या था… मैं झट से उठा और सामने टेबल पर रखे केक से क्रीम उठा कर आंटी जी के चेहरे पर मल दी और मेरे ऐसा करते ही विनोद और रूचि ने भी ऐसा ही किया ।
फिर माया आंटी ने भी सबको केक लगाया और हम सब खूब हँसे.. फिर विनोद और रूचि के साथ मैं वाशरूम गया और हमने अपने चेहरों की क्रीम साफ़ की । पहले विनोद ने साफ की और बाहर कमरे में चला गया.. फिर रूचि ने की और मैं वाशरूम के अन्दर उसके बगल में ही खड़ा उसे देख रहा था । लेकिन चेहरे को साफ़ करते वक़्त उसकी आँखें बंद थीं और उसकी 32 नाप की चूचियाँ पानी टपकने से भीग गई थीं.. जिसके कारण मुझे उसकी गुलाबी ब्रा साफ़ नज़र आ रही थी । मैं उसके उरोज़ों की सुंदरता में इतना खो गया कि मुझे होश ही नहीं था कि घर में सब लोग हैं और अगर मुझे रूचि ने इस तरह देख कर चिल्ला दिया तो गड़बड़ हो जाएगी ।
लेकिन यह क्या… अगले ही पल का नजारा इसके विपरीत हुआ.. उसने जैसे ही मेरी ओऱ देखा तो वो समझ गई कि मैं उसकी चूचियों को निहार रहा हूँ… तो मैं थोड़ा घबरा गया कि पता नहीं अब क्या होगा ? पर उसने मुझसे कहा- भैया.. अब आप देख चुके हो.. तो थोड़ा एक तरफ आ जाओ.. ताकि मैं निकल सकूँ । मैं थोड़ा बगल में होकर उसे देखने लगा जब वो कमरे की ओऱ जाने लगी तो पीछे मुड़कर उसने मुझे देखा और मुस्कुराते हुए आँख मार दी । तो मुझे लगा बेटा राहुल लगता है.. तेरी इच्छा जल्द ही पूरी होगी.. उसकी इस हरकत से मेरा लण्ड जींस के अन्दर अकड़ सा गया था ।
फिर मैंने मुँह धोया और कमरे में जाकर बैठ गया । कमरे में अब सिर्फ मैं और विनोद थे.. ऑन्टी और रूचि खाना डाइनिंग-टेबल पर लगा रही थीं, जो कि उनके दूसरे कमरे में था । आज मैं बहुत ही खुश था और महसूस कर रहा था कि जल्द ही माया या रूचि को चोदने की इच्छा पूरी होगी । मैं और विनोद आपस में बात कर रहे थे.. तभी ऑन्टी आईं और बोलीं- खाना लग गया है.. जल्दी से चलकर खा लो.. मुझे तो बहुत जोरों की भूख लगी है । तभी मैंने देखा कि आंटी जी के चेहरे और गले में अभी भी केक लगा है ।
शायद वो भूल गई होंगी.. लेकिन ये मेरी भूल थी क्योंकि उन्होंने ऐसा जानबूझ कर किया था.. ये मुझे बाद में पता चला । खैर.. मैंने अपनी इच्छा प्रकट करते हुए माया से बोला- आंटी जी.. आपने तो अभी अपना चेहरा साफ़ ही नहीं किया । तो वो बोलीं- अरे मैं तो काम के चक्कर में तो भूल ही गई थी.. चलो बढ़िया ही है.. अब तूने ही ये गेम शुरू किया था तो ख़त्म भी तू ही कर… मैंने आश्चर्य भरी निगाहों से देखते हुए उनसे पूछा- मैं क्या कर सकता हूँ ? तो वो बोलीं- तूने ही पहले क्रीम लगाई थी.. तो साफ़ भी तू ही करेगा । तब मैंने विनोद की प्रतिक्रिया जानने के लिए उसकी ओर देखा तो वो बोला- उठ न.. माँ का कहना मान.. वो भी तो तेरी माँ समान हैं ।
तो मैंने मन में बोला- ये माँ.. नहीं माल समान है । फिर आंटी ने बोला- अब सोचता ही रहेगा या साफ़ भी करेगा.. मैंने भी बोला- जैसी आपकी इच्छा.. मुझे तो बस इसी मौके की तलाश थी जिसकी वजह से आज मुझे उनके गालों को रगड़ने का मौका मिल रहा था । फिर मैं और आंटी वाशरूम की ओर चल दिए चलते-चलते आंटी विनोद से बोलीं- जा अपनी बहन की मदद कर दे.. वो ‘हाँ.. माँ’ कह कर दूसरे कमरे में जहाँ खाने का प्रोग्राम था.. वहाँ चला गया । आंटी और मैं जैसे ही वाशरूम पहुँचे.. वैसे आंटी ने मुझसे बोला- बेटा दरवाजे बंद कर ले..
मैंने पूछा- क्यों ?
तो बोली- कुछ नहीं.. बस यूँ ही..
मैंने भी दरवाजे को बंद कर लिया, फिर आंटी ने साड़ी जैसे ही उतारनी चालू की, मैंने पूछा- ये आप क्यों कर रही हैं ?
तो उन्होंने बोला- ये भीग कर ख़राब हो जाएगी.. फिर उन्होंने साड़ी उतार कर एक तरफ हैंगर पर टांग दी और बोली- जल्दी काम पर लग जा.. वो बोली तो ऐसे थी.. जैसे कह रही हो.. जल्दी से मुझे चोद दे… फिर मैं उनके पास जैसे-जैसे बढ़ता गया वैसे-वैसे मेरी साँसें भी बढ़ती जा रही थीं । क्योंकि आज पहली बार मैंने किसी को इस अवस्था में देखा था और मेरा लौड़ा भी जींस के अन्दर टेंट बनाने लगा था । वो भी क्या लग रही थी.. मैं तो बस देखता ही रह गया, फिर मैं उनसे बोला- आप मेरे आगे आ जाएं.. ताकि मैं अच्छे से आप का चेहरा साफ़ कर सकूँ और आप भी खुद को सामने आईने में देख कर संतुष्ट हो सकें ।
मेरा इतना कहना ही हुआ था कि वो मुस्कुराते हुए मेरे सामने आ कर खड़ी हो गई.. फिर मुझसे बोली- तू मसाज कर लेता है ?
तो मैंने बोला- हाँ.. बोली- पहले थोड़ा क्रीम की मसाज कर दे फिर धो देना.. मैंने बोला- जैसी आपकी इच्छा.. आप आँख बंद कर लो.. नहीं तो केक की क्रीम लग सकती है । वो बोली- ठीक है.. फिर मैंने पीछे से उनको हल्के हाथों से मसाज देना चालू किया.. तभी मेरी नज़र उनके उठे हुए चूचों पर पड़ी जो कि अभी भी कसाव लिए खूब मस्त लग रहे थे । मेरा तो मन कर रहा था, अभी इनको निकाल कर इनका रस चूस लूँ.. पर मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाह रहा था और मेरे हल्के हाथों के स्पर्श से शायद आंटी भी मदहोश हो गई थीं ।
उनकी छाती से साफ़ पता चल रहा था क्योंकि उनकी साँसे धीरे-धीरे तेज़ हो चली थीं । तभी मैंने उनको छेड़ते हुए बोला- आंटी लगता है… आप काफी मजा ले रही हो.. तो वो बोली- हाँ.. तुम्हारे हाथों में तो गजब का जादू है.. मुझे बहुत अच्छा लग रहा है.. मन करता है इन्हें चूम लूँ । तो मैंने बोला- आप को रोका किसने है.. फिर उन्होंने मेरे हाथों पर एक चुम्बन कर लिया । मैंने बोला- अब मुझे भी फ़ीस चाहिए । तो बोली- कैसी फ़ीस ?
मैंने बोला- आपको मसाज देने की..
वो बोली- वो क्या है ?
मैंने भी झट से बोल दिया- आपके गुलाबी गालों पर एक चुम्बन..
बस फिर उन्होंने मेरी ओर गाल करते हुए बोला- इसमें कौन सी बड़ी बात है.. ले कर ले.. चुम्बन.. मैं उन्हें चुम्बन करके झूम उठा, फिर उन्होंने बोला- चल अब मुँह धो दे । तो मैंने उनकी छाती की ओर इशारा करते हुए बोला- अभी यहाँ आप सफाई कर लेंगी या मैं ही कर दूँ ?
तो बोली- तू ही कर दे..
मैं उनसे और सट कर खड़ा हो गया जिससे मेरे लण्ड की चुभन उनकी गाण्ड के छेद ऊपर होने लगी और मैं धीरे-धीरे साफ़ करते-करते मदहोश होने लगा। शायद आंटी भी मदहोश हो गई थीं क्योंकि उनकी आँखें बंद थीं । मैंने बोला- ब्लाउज और उतार दो.. नहीं तो गीला हो जाएगा..
तो बोली- हम्म्म.. तेरी बात तो सही है.. तू ही उतार दे.. तो मैंने उतार दिया… क्या गजब के चूचे थे यार… मैं तो बता ही नहीं सकता और उस पर काली ब्रा.. हय.. क्या कहने.. बहुत ही खूबसूरत लग रहे थे । आंटी ने देख लिया कि मेरा ध्यान उनके मम्मों पर है और वो भी यही चाहती थीं कि मैं उनको दबाऊँ.. उनका रस पी लूँ.. तो उन्होंने बोला- इसे भी उतार दे.. अभी कल ही ली है.. ख़राब हो जाएगी । मेरी तो जैसे इच्छा ही पूरी हो गई हो ।
मैंने झट से उनकी ब्रा भी उतार दी और उनके मम्मों को अपनी हथेलियों में भर लिया और मसक-मसक कर धीरे-धीरे मसाज देने लगा । आंटी अपनी चूचियाँ मसलवाने में इतनी मस्त हो गईं कि उनके मुँह से सिसकारी निकलने लगी.. जो मुझे और मदहोश करने के लिए काफी थी । फिर मैंने भी उनके मम्मों को तेज़ रगड़ना चालू कर दिया और वो भी आँखें बंद करके मेरे लण्ड पर अपनी गाण्ड रगड़ने लगीं ।
अब वो कहने लगीं- राहुल, आज तो तूने मुझे पागल कर दिया.. इतना मजा मुझे पहले कभी नहीं आया.. तो मैंने उनका मुँह अपनी ओर घुमा कर उनके होंठों से रस-पान करने लगा । जिससे मुझे बहुत मजा आ रहा था और हाथों से उनके चूचों को भी रगड़ रहा था । आंटी तो इतना मस्त हो गई कि पूछो नहीं.. ‘आअह अहह वाह… अह्ह… ओह..’ की आवाज़ करने लगीं । अब उन्होंने बोला- ओह्ह.. मेरी चूची मुँह में लेकर चूस… वे अपना एक निप्पल मेरी तरफ बढ़ा कर बोली- ले.. इन्हें भी चूस कर हल्का कर दे.. बहुत दिनों से इसे तेरे अंकल ने हल्का नहीं किया.. क्योंकि वो तो अक्सर बाहर ही रहते हैं ।
फिर मैंने उनके मम्मों को चूसना चालू कर दिया और दूसरे को दूसरे हाथ से रगड़ने लगा । मैंने उनके मम्मों के निप्पलों को जोर-जोर से काटने और चूसने लगा.. जिससे आंटी की सीत्कार बढ़ गई.. वो शायद झड़ रही थी । फिर वो ‘आआ.. आआआ.. ह्ह्ह्हा.. आआ… ईईईई…’ करती हुई शांत हो गई.. जैसे उनमें जान ही न बची हो । मैंने उनके होठों को चूसना चालू कर दिया.. तो उन्होंने भी मेरा साथ देना चालू कर दिया.. ‘मुआअह मुआअह’ की आवाज़ होने लगी । फिर अचानक उन्होंने मेरे लण्ड को जींस के ऊपर से पकड़ा, जो कि चूत पर रगड़ खा-खा कर तन्नाया हुआ खड़ा था ।
उनके स्पर्श से मेरे मुँह से भी एक हल्की ‘आअह’ निकल गई । उन्होंने बोला- मुझे दिखा.. मैं भी तो देखूँ इसमें दम है भी या नहीं ? तो मैंने भी बोल दिया- एक मौका तो दो.. उन्होंने मेरी जींस को मेरी ‘वी-शेप’ अंडरवियर के साथ एक ही झटके में नीचे कर दी और मेरा लण्ड भी उन्हें सलामी देने लगा । उनकी मुस्कान साफ़ कह रही थी कि उनको मेरा ‘सामान’ पसंद आ गया था । वो अपने हाथों से मुठियाने लगी और मैं उनके चूचियों की घुंडियों को फिर से मसलने लगा और उनसे पूछ भी लिया- आपको मेरी बन्दूक कैसी लगी ?
वो बोली- क्यों इसकी बेइज्जती कर रहा है.. ये बन्दूक नहीं तोप है.. तेरे अंकल का तो सिर्फ पांच इंच का ही है.. यह तो उनसे काफी बड़ा और मोटा है। मेरा तो मन कर रहा है.. इसे खा जाऊँ.. तो मैंने बोला- खा लो.. रोका किसने है ? आंटी घुटनों के बल बैठ कर मेरे लौड़े के सुपाड़े को मुँह में लेकर आइसक्रीम की तरह चूसने लगी । यह पहला अनुभव था मेरा.. जो कि मैंने उन्हें बताया । तो वो बहुत ही खुश हो गईं और बोलने लगीं- मैं तुम्हें सब सिखा दूँगी और मजे भी दूँगी.. मेरे वर्जिन राजा.. वो फिर से मेरे लौड़े को जोर-जोर से चूसने लगी, जिससे मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था और मेरे मुँह से ‘आआह्ह्ह्ह हाआअ’ की सी आवाज़ निकलने लगी ।
मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने उन्हें बोला- मेरा निकलने वाला है.. आप मुँह हटा लो । तो वो बोली- मुझे चखना है और देखना है कि इसमें कैसा स्वाद है ? तभी मेरे मुँह से एक जोर की ‘आह’ निकली और मेरा माल आंटी के मुँह में ही झड़ गया.. जिसे आंटी ने बड़े चाव के साथ पी लिया और मेरे लण्ड को चाट-चाट कर साफ़ भी कर दिया । तभी दरवाज़े पर किसी ने नॉक किया तो आंटी ने बोला- कौन ? तो बाहर से रूचि की आवाज़ आई- मैं हूँ.. कितनी देर लगा दी आपने.. जल्दी आओ.. खाना ठंडा हो रहा है । फिर आंटी बोली- बस हो गया.. अभी आई ।
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