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बॉयफ्रेंड ने चूत और गांड दोनो मारी ।
हेल्लो दोस्तो मेरा नाम रितिका सैनी है और मैं दसवीं कक्षा की छात्र हू । मेरा फिगर बिल्कुल मस्त है किसी का भी लंड खड़ा हो जाएं ।
फिगर :- 34 की चुचियाँ , 28 की कमर और 36 की गांड । ** की उम्र थी ।गांड पूरी बाहर निकली हुई।चलते हुए जब मेरी गांड ऊपर नीचे होती है तो किसी बूढ़े के मुंह में भी पानी आ जाएं।
मैं अपने फैमिली के बार मे आपको बता दू की मेरे घर मे मैं,मेरी मम्मी और पापा रहते है।
दोस्तो ये कहानी मेरी है उस समय जवानी का नया नया जोश था । चूत में खुजली शुरू होने लगी थी लेकिन अब चूत की खुजली मिटाने के लिए मेरे बॉयफ्रेंड था ।
मैं अब उससे डेली ही चुदने लगी थी ।अगर अपने मेरी पहली स्टोरी नही पढ़ी तो आप पढ़ सकते है।तो चलिए अब आगे की स्टोरी मैं आपको बताती हु।
सौरव ने मेरी चूत तो मार ही ली थी और मुझे सौरव ने बाद में बताया कि वह मेरी गांड का दीवाना है ।उसने मुझे काफी फ़ोर्स भी किया पर मैने उसे मना कर दिया पर वह अब डेली मुझे गांड के लिए पूछता की कब दोगे मैं उसको हँस कर मना कर देती ।
मुझे सौरव से चुदने की आदत हो गई थी मैं अब डेली उस से चुदने लगी । उसने मुझे चोदने के लिए एक अलग फ्लैट ले लिया था ।
वह मुझे अपने फ्लैट पर स्कूल खत्म होते ही वहा ले जाता और मुझे तसली से चोदता ।मुझे भी काफी मज़ा आता था तो मैं भी सौरव को कभी मना नही करती थी।
एक दिन सौरव मुझे स्कूल के बाद अपने फ्लैट पर ले गया और मुझे पेट के बल लेटा कर पीछे से मेरी चूत मारने लगा ।
थोड़ी ही देर में मैं झड़ गई पर सौरव अभी मुझे चोदे जा रहा था ।अब मुझे मजा नही आ रहा था बल्कि अब मेरी चूत में दर्द होने लगा था ।
मैं हल्का हल्का चिलाने लगी तो सौरव ने मेरी चूत से लंड निकल कर मेरी गांड पर रखकर धका मार दिया ।मैं इससे पहले कुछ कर पाती मुझे गांड में इतना दर्द हुआ ।
कि मैं रोने लगी सौरव थोड़ी देर रुक ओर बोला जानेमन कितने दिनों से तुम्हारी गांड मारने की तमन्ना थी ।आज वो भी पूरी हो गयी और फिर मेरी गांड में धखे लगाने लगा।
कुछ देर बाद उसने मेरी गांड में अपना वीर्य छोड़ दिया ओर मेरे ऊपर से उतर कर मेरे साइड में मेरे साथ लेट गया। मैं उसकी तरफ गुस्से में देख रही थी ।
वो मेरी तरफ मुस्करा कर सॉरी मांग रहा था ।
मैं कुछ देर सौरव से नही बोली फिर मेरा दर्द कम हुआ और चुप-चाप लेटी रही।
सौरव फिर से आधा मेरे ऊपर चढ़ कर मेरी किस लेने लगा ।मैंने किस का कोई रिप्लाई नही दिया फिर थोड़ी देर बाद मैंने गुस्सा छोड़ कर मैं भी सौरव का साथ देने लगी और हमारा फिर से मूड बन गया सौरव का लंड भी बिल्कुल खड़ा हो गया था ।
उसने मेरी चूत पर लंड रखकर अंदर घुसा दिया और मुझे चोदने लगा । अब हम दोनों को काफी ज्यादा मज़ा आ रहा था । कुछ देर बाद हमारा वीर्य झड़ गया और हमने कपड़े पहनें ।
फिर सौरव मुझे घर के पीछे वाली गली तक छोड के चला गया । मुझे चलने में दिकत हो रही थी । लेकिन मैं आराम आराम से चल रही थी ताकि किसी को शक न हो । मै अपने घर पहुँच गई और एक पेनकिल्लर ले कर सो गई ।
रात को उठी खाना खाया और सौरव से थोड़ी देर बात करके फिर सो गई ।अब तो मैं डेली सौरव से चुदने लगी थी एक भी दिन ऐसे नही जाता था। कि मैं सौरव से न चुद पाऊं। मैं घर से कोई न कोई बहाना लगा कर निकाल जाती थी।
लेकिन फिर एक दिन मेरे पापा ने मुझे सौरव के साथ देख लिया उस दिन से मेरा स्कूल आना जाना , घर से निकलना भी बंद हो गया ।काफी दिन हो गए थे चुदे हुए घर वालो ने फ़ोन भी छीन लिया था ।
अब तो सिर्फ उंगली से काम चलाना पड़ता था । हम मैं एक नए लंड की तलाश में थी और वो लंड मुझे बहुत जल्दी मिल गया ।
उसकी स्टोरी मैं आपको बाद में बताऊंगी ।
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